पश्चिम बंगाल की श्रीरामपुर संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव के लिए सोमवार को वोट डाले गए. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक श्रीरामपुर में 78.71 फीसदी मतदान हुआ. वहीं पश्चिम बंगाल की सात सीटों पर 79.07 फीसदी वोटिंग हुई.
श्रीरामपुर पश्चिम बंगाल का महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है. इस सीट पर कांग्रेस का भी सांसद रहा है, सीपीआई का भी लेकिन यह संसदीय क्षेत्र उन क्षेत्रों में शामिल है जहां तृणमूल कांग्रेस ने बहुत जल्द ही पकड़ बना ली.
इस बार के चुनाव में 11 उम्मीदवार मैदान में हैं. तृणमूल कांग्रेस की ओर से कल्याण बनर्जी, माकपा से तीर्थंकर रे, बीजेपी से देबजीत सरकार, कांग्रेस से देबब्रत बिस्वास, बहुजन समाज पार्टी से लक्ष्मण रजक, इंडियन यूनिटी सेंटर से काशीनाथ मूर्मू, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) से प्रद्युत चौधरी और राष्ट्रीय जनाधिकार सुरक्षा पार्टी से प्रभाष चंद्र उम्मीदवार हैं. इसके अलावा तीन प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव में उतरे.
श्रीरामपुर संसदीय क्षेत्र का पूरा इलाका हावड़ा और हुगली जिले के तहत आता है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी 2420557 है. इसमें 24.34 फीसदी आबादी ग्रामीण और 75.66 फीसदी शहरी है. यहां अनुसूचित जाति और जनजाति का रेश्यो 14.43 और .9 पर्सेंट है. 2017 की वोटर लिस्ट के मुताबिक यहां मतादाताओं की संख्या 1725419 है.
यह ऐसा क्षेत्र है जहां ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की धमक सबसे पहले दिखाई देने लगी थी. 1998 में ही WBTC का उम्मीदवार यहां से जीत गया था. 2004 में तृणमूल कांग्रेस यहां से दूसरे नंबर पर रही थी. 2009 में तृणमूल कांग्रेस ने सीपीएम से यह सीट छीन ली थी और कल्याण बनर्जी सांसद चुने गए थे.
2014 में भी ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने अपनी जीत कायम रखी. AITC के कल्याण बनर्जी को 514933 वोट मिले तो सीपीएम के तीर्थंकर रे को 362407 वोट मिले. 2014 में इस सीट पर कुल 79.5 फीसदी वोटिंग हुई थी. AITC को 39.9 फीसदी वोट मिले, सीपीएम को 28.8 फीसदी और बीजेपी को 22.3 फीसदी वोट मिले. कांग्रेस को 6.67 फीसदी वोट मिले थे. यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था. बीजेपी को 22 फीसदी वोट मिलने से जीत का अंतर घट गया था.
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