सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और पुडुचेरी में लोकसभा चुनाव के लिए निर्धारित 18 अप्रैल की तारीख में बदलाव करने से इनकार किया है. इस संबंध में देश की सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
ईसाइयों के एक संगठन ने अपनी याचिका तत्काल सूचीबद्ध करने का न्यायालय से अनुरोध किया था. याचिका में तमिलनाडु एवं पुडुचेरी में मतदान की तारीख 18 अप्रैल में बदलाव करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि यह चुनाव की तारीख बदली जाए क्योंकि यह गुड फ्राइडे और ईस्टर के बीच पड़ रही है.
याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मतदान की तिथि गुड फ्राइडे और ईस्टर के बीच में है, इसलिए इसके लिए नई तारीख तय की जाए.
इस पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एसए बोबडे ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या आप किसी पवित्र दिन पर मतदान नहीं कर सकते? और 'हम आपको यह सलाह नहीं देना चाहते कि प्रार्थना कैसे करें और मतदान कैसे करें.' यह कहते हुए कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
त्योहार के कारण मतदान की तारीख बदलने की यह पहली गुहार नहीं है. कई राजनीतिक दलों ने रमजान महीने के दौरान लोकसभा चुनाव की तिथियों पर आपत्ति जताई थी, राजनीतिक दलों का दावा था कि रमजान महीने के चलते मुस्लिम कम संख्या में वोट करने जाएंगे और इसका फायदा भाजपा को मिलेगा. जिस ओवैसी ने कहा यह पूरा विवाद गैरजरूरी बताया था
क्यों खास है गुड फ्राइडे
ईसाई समुदाय के लिए गुड फ्राइडे खास दिन होता है. प्रभु यीशू का बलिदान दिवस 'गुड फ्राइडे' इस बार 30 मार्च को है. यह ईसाई समुदाय का प्रमुख त्योहार है. कहा जाता है कि आज के दिन ही प्रभु ईसा मसीह ने अपने भक्तों के लिए बलिदान देकर निःस्वार्थ प्रेम का सर्वोच्च उदाहरण दिया था. प्रभु यीशू ने सूली पर चढ़कर प्रेम और क्षमा का संदेश दिया था. इस दिन को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि प्रभु यीशू को इस बात का पहले ही एहसास हो गया था. इसलिए गुड फ्राइडे के 40 दिन पहले ही जीसस ने व्रत शुरू कर दिया था. यह ईसा के पुनरुत्थान के तीन दिन पूर्व पड़ने वाले शुक्रवार को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भक्तगण उपवास के साथ प्रार्थना और मनन करते हैं.
इस दौरान श्रद्धालु प्रभु यीशू द्वारा तीन घंटे तक क्रॉस पर भोगी गई पीड़ा को याद करते हैं. रात के समय कहीं-कहीं काले वस्त्र पहनकर श्रद्धालु यीशू की छवि लेकर मातम मनाते हुए एक समारोह निकालते हैं और प्रतीकात्मक तौर पर उनका अंतिम संस्कार भी किया जाता है. चूंकि गुड फ्राइडे प्रायश्चित्त और प्रार्थना का दिन है. इसलिए इस दिन गिरजाघरों में घंटियां नहीं बजाई जातीं.