वाराणसी से सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द हो गया है. नामांकन रद्द होने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए तेज बहादुर ने प्रशासन पर तानाशाही रवैया अख्तियार करने का आरोप लगाया. अब तेज बहादुर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे.
नामांकन रद्द होने के बाद सपा प्रत्याशी तेज बहादुर यादव ने कहा, 'मेरा नामांकन रद्द हुआ, जो पूरी तरह से गलत था. प्रशासन का तर्क है कि जो सबूत मांगा गया था, वह आप पेश नहीं कर पाए, जबकि हमसे जो सबूत मांगे गए थे, वह शाम को 6.15 बजे मांगे गए थे, मैंने कहा कि मैं कोई अंबानी या अडाणी नहीं हूं, जो चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली जाऊंगा, लेकिन फिर भी मैंने कोशिश की और हमारे सबूत भी आ गए, लेकिन मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया, जो कि तानाशाही रवैया है.'
Samajwadi Party candidate Tej Bahadur Yadav after his nomination from Varanasi parliamentary seat was rejected: We have been told that we did not produce the evidence that was asked from us before 11 am. Whereas, we had produced the evidence. pic.twitter.com/SOkMRcS2BP
— ANI UP (@ANINewsUP) May 1, 2019
तेज बहादुर यादव के वकील राजेश गुप्ता का कहना है कि हमने सभी सबूत दिए, लेकिन बावजूद इसके हमारा नामांकन रद्द कर दिया गया. हम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
Rajesh Gupta, Tej Bahadur Yadav's lawyer: We had submitted the evidence that was asked from us. Still, the nomination was declared invalid. We will go to the Supreme Court. pic.twitter.com/erLdG6N7up
— ANI UP (@ANINewsUP) May 1, 2019
इस मामले में वाराणसी के डीएम का कहना है कि पिछले 5 सालों के भीतर राज्य या केंद्र सरकार की सेवा से बर्खास्त किए गए व्यक्ति को चुनाव आयोग से प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है, जिसमें कहा गया हो कि उसे निष्ठाहीनता या भ्रष्टाचार के कारण बर्खास्त नहीं किया गया है. सर्टिफिकेट सुबह 11 बजे से पहले देना था, वे नहीं दे पाए, इसलिए नामांकन खारिज कर दिया गया.
DM Varanasi:A person who has been dismissed from service from state or central govt within last 5 yrs has to obtain a certificate from EC stating he/she hasn't been dismissed due to disloyalty or corruption.Certificate wasn't produced before 11am, so, the nomination was rejected pic.twitter.com/Intq2S9Kpc
— ANI UP (@ANINewsUP) May 1, 2019
क्या है मामला
तेज बहादुर ने नामांकन के दो हलफनामों में अपनी बर्खास्तगी से जुड़ी दो अलग-अलग जानकारी दी थीं. उन्होंने पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 24 अप्रैल को वाराणसी से नामांकन किया था. इसके साथ दिए गए हलफनामे में उन्होंने बताया था कि भ्रष्टाचार के आरोप के चलते सेना से उन्हें बर्खास्त किया गया, लेकिन बाद में जब समाजवादी पार्टी का टिकट मिलने पर दोबारा नामांकन (29 अप्रैल) के वक्त तेज बहादुर ने जो हलफनामा दायर किया उसमें इस जानकारी को छुपा लिया गया. वाराणसी के रिटर्निंग ऑफिसर ने इसी तथ्य को आधार बनाते हुए तेज बहादुर यादव से सफाई मांगी थी. सुबह 11 बजे तक अपना जवाब दाखिल करना था. संतुष्टि भरा जवाब ना देने पर उनकी उम्मीदवारी रद्द की गई.
कौन हैं तेज बहादुर
2017 में बीएसएफ जवान के तौर पर तेज बहादुर यादव चर्चा में आए थे. उन्होंने एक वीडियो जारी सेना के जवानों को दिए जाने वाले खाने की क्वॉलिटी पर सवाल खड़े किए थे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. सेना की तरफ से अनुशासनहीनता का दोषी पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त किया था. इसके बाद से ही वह सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे और अंत में उन्होंने वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ ही चुनाव लड़ने का ऐलान किया था.
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