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महंगी पड़ी सलाह, 179 किसानों ने तेलंगाना के सीएम KCR की बेटी को हराया!

सरकार कुछ नहीं करती. इन्हीं बातों को लेकर किसान कल्वकुंतला कविता के खिलाफ निजामाबाद सीट से चुनाव लड़ गए. तेलंगाना के किसान अपने विद्रोही और सत्ता विरोधी तेवर के लिए मशहूर हैं.

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तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव की बेटी कल्वकुंतला कविता.(फाइल)
तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव की बेटी कल्वकुंतला कविता.(फाइल)

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तेलंगाना के किसानों ने सीएम के. चंद्रशेखर राव की बेटी कल्वकुंतला कविता की एक बात मानी तो वह कविता के ही खिलाफ चली गई. कविता टीआरएस के टिकट पर निजामाबाद सीट से चुनाव लड़ रही थीं. उनकी बात मानते हुए हल्दी और ज्वार पैदा करने वाले 179 किसानों ने भी निजामाबाद सीट से नामांकन कर दिया.

कविता भाजपा के अरविंद धर्मपुरी से 70,785 वोटों से हार गईं. लेकिन उन्हें हराने में उन 179 किसानों का भी योगदान था. कविता को 4,09,481, अरविंद धर्मपुरी को 4,79,748 और 179 किसानों को 98,723 वोट मिले. यहां स्पष्ट है कि कविता की हार के पीछे किसानों का हाथ है. निजामाबाद सीट से कुल 186 उम्मीदवार थे, 7 उम्मीदवार विभिन्न दलों के और 179 किसान. किसानों ने जमानत के 25-25 हजार रु. भी आपस में जुटाए थे.

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किसानों को दी गई ये सलाह पड़ी महंगी

कविता ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कहा था कि तेलंगाना के 1000 किसानों को वाराणसी और अमेठी जाकर नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहिए. इससे प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष को पता चलेगा कि किसानों की हालत कितनी खराब है. उनकी इसी बात को किसानों ने गंभीरता से ले लिया.

किसान बोले - मांग पूरी कराने और सरकार का ध्यान खींचने के लिए लड़े चुनाव

चुनाव लड़ने वाले किसानों ने कहा कि वे सिर्फ अपनी समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान खींचना चाहते थे. किसानों की शिकायत थी कि हल्दी का दाम इतना कम हो गया है कि 1 एकड़ पर उन्हें 40 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है. तेलंगाना में देश की 13% हल्दी पैदा होती है.

ये किसान लंबे समय से मांग कर रहे थे कि राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का गठन हो. हल्दी तथा लाल ज्वार का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो. एक क्विंटल हल्दी पैदा करने की लागत 7000 रु. है, पर मंडी में 5000 का भाव मिलता है. ‘ट्रेडर कार्टेल बनाते हैं, दाम गिराते हैं, सरकार कुछ नहीं करती. इन्हीं बातों को लेकर किसान कविता के खिलाफ निजामाबाद सीट  से चुनाव लड़ गए. तेलंगाना के किसान अपने विद्रोही और सत्ता विरोधी तेवर के लिए मशहूर हैं. जमींदारों और निजाम के खिलाफ 1946-48 के हथियारबंद किसान विद्रोह की याद अब भी लोगों के मन में है.

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1996 में नलगोंडा सीट से भी खड़े हुए थे 480 उम्मीदवार

1996 के लोकसभा चुनाव में फ्लोराइड की समस्या से जूझ रहे नलगोंडा में 480 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे. इनके लिए 50 पेज की बैलट पुस्तिका छपी थी. लगभग सबकी जमानत जब्त हुई थी. पर इसी के जरिए लोगों ने विरोध दर्ज कराया.

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