यूपी की हाईप्रोफाइल सीट बनारस में सातवें चरण में चुनाव है. नामांकन के आखिरी दिन यानि सोमवार को यहां से सपा-बसपा गठबंधन ने अपना प्रत्याशी बदल कर BSF के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को टिकट थमा दिया है. तेज बहादुर की एक गलती अब पार्टी पर भारी पड़ सकती है. उन्होंने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कबूल किया था कि उन्हें भ्रष्टाचार के कारण नौकरी से बर्खास्त किया गया था. लेकिन सोमवार को सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन करते वक्त तेजबहादुर इस सच को छिपा गए. तेज बहादुर की ये गलती शालिनी यादव के लिए वरदान बन सकती है.
मंगलवार को देना होगा प्रमाण पत्र
जिला निर्वाचन कार्यालय ने तेज बहादुर को नोटिस जारी करते हुए 1 मई को सुबह 11 बजे तक जवाब देने का समय दिया है. तेज बहादुर को बीएसएफ की NOC लाने को कहा गया है. चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि अगर तेज बहादुर यादव प्रमाण नहीं देते हैं तो उनका नामांकन खारिज कर दिया जाएगा. और इसी के साथ शालिनी यादव के लिए संभावनाएं बढ़ जाएंगी. शालिनी की दावेदारी इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि अपना पत्ता कटने के बावजूद शालिनी ने अनुशासित सिपाही की तरह पार्टी लाइन से हटकर कोई बयान नहीं दिया है.
माहौल बदला तो बदल दिया प्रत्याशी
सपा के खाते में आई इस सीट पर अखिलेश यादव ने हाल ही में पार्टी में शामिल हुईं शालिनी यादव को अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन बदलते समीकरणों और माहौल को भांपते हुए गठबंधन ने तेज बहादुर को मैदान में खड़ा कर दिया. पार्टी के ऐलान के बावजूद शालिनी यादव ने नाम वापस नहीं लिया. यानि, वे खुद को अभी भी उम्मीदवारी की रेस में मानती हैं. उनका कहना है कि अगर पार्टी कहेगी तो वे अपना नाम वापस ले लेंगी.
शालिनी ने आखिरी दिन किया नामांकन
इस बीच तेज बहादुर के नामांकन में झूठ बोलने पर चुनाव आयोग ने आंखें तरेर ली हैं. आयोग ने अगर तेजबहादुर का पर्चा खारिज कर दिया तो शालिनी यादव फिर से गठबंधन की प्रत्याशी हो सकती हैं. शालिनी खुद को इसीलिए होड़ में बनाए हुए हैं. उन्होंने आखिरी दिन नामांकन भरा. उनके अलावा आखिरी दिन कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय, अतीक अहमद समेत कई लोगों ने नामांकन दाखिल किया है.
झूठ गठबंधन के लिए बन सकता है बड़ी चूक
तेज बहादुर की उम्मीदवारी पर तलवार लटकी है. उन्होंने 24 अप्रैल को निर्दल प्रत्याशी के रूप में अपने शपथ पत्र में बताया था कि 'हां' उन्हें भ्रष्टाचार के कारण नौकरी से बर्खास्त किया गया था, लेकिन 29 अप्रैल को दूसरी बार नामांकन करते समय तेज बहादुर ने इसी कॉलम में 'नहीं' लिखा है, जिसका अर्थ ये है कि उन्हें भ्रष्टाचार की वजह से नौकरी से नहीं निकला गया है. ये झूठ गठबंधन के लिए बड़ी चूक साबित हो सकता है.
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