चेन्नई, कोयंबटूर, मदुरई और त्रिची के बाद तिरुनेलवेली तमिलनाडु का सबसे बड़ा शहर है. यहां खेती के अलावा, पर्यटन, बैंकिंग, खेती से जुड़ी मशीनरी, आईटी और शिक्षा जगत से जुड़ी सेवाओं से ज्यादातर लोग जुड़े हुए हैं. यहां अन्ना यूनिवर्सिटी का कैंपस भी है. यहां एआईएडीएमके के केआरपी प्रभाकरन लोकसभा सांसद हैं. उनसे पहले लगातार दो चुनावों में यह सीट कांग्रेस के पास थी.
राजनैतिक पृष्ठभूमि
तिरुनेलवेली में पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव हुए थे. पहली बार यहां से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. उसके बाद कांग्रेस की जीत का सिलसिला 1957 और 1962 में भी जारी रहा. 1967 में एसडब्लूए नाम की पार्टी यहां से जीती. 1971 में सीपीआई ने यहां से जीत दर्ज की. लेकिन 1977 के चुनाव में एआईएडीएमके ने यह सीट सीपीआई से छीन ली. लेकिन 1980 आते-आते डीएमके ने यहां मौजूदगी दर्ज कराई. लेकिन 1984, 1989 और 1991 में एक बार फिर एआईएडीएमके ने यहां जीत दर्ज की. 1996 में डीएके ने फिर यहां जीत हासिल की. 1998 और 1999 में यहां एक बार फिर एआईएडीएमके ने जीत हासिल की. लेकिन 2004 और 2009 में यह सीट लंबे समय के बाद कांग्रेस के पाले में आ गई. 2014 के लोकसभा चुनाव में तिरुनेलवेली सीट से केआरपी प्रभाकरन ने जीत दर्ज की.
सामाजिक तानाबाना
2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक तिरुनेलवेली लोकसभा क्षेत्र की कुल आबादी 1868434 है. इसमें 47.59% ग्रामीण और 52.41% शहरी आबादी है. 2016 की वोटर लिस्ट के मुताबिक यहां कुल 1483945 मतदाता हैं.
विधानसभा सीटों का समीकरण
तिरुनेलवेली लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभा सीटें आती हैं. ये हैं- तिरुनेलवेली, पलायमकोट्टाई, अलंगुलम, अंबासमुद्रम, नानगुनेरी और राधापुरम. यहां तीन विधानसभा सीटों पर डीएमके, दो पर एआईएडीएमके तो एक सीट कांग्रेस के कब्जे में है.
2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके के केआरपी प्रभाकरन को जीत मिली थी. दूसरे नंबर पर डीएमके के देवदासा सुंदरम रहे.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
एआईएडीएमके के युवा सांसद केआरपी प्रभाकरन पहली बार लोकसभा सांसद 2014 में चुने गए. वे वाणिज्य मंत्रालय की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य हैं.
ग्रैजुएशन तक शिक्षा ग्रहण कर चुके प्रभाकरन का संसद में अच्छा प्रदर्शन रहा है. 13 फरवरी, 2019 तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा में उनकी उपस्थिति 82 फीसदी रही है. उन्होंने 13 बार चर्चा में हिस्सा लिया और इस दौरान 140 प्रश्न पूछे. उनकी सांसद निधि का 85.97 फीसदी हिस्सा विकास पर खर्च किया गया है.