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त्रिपुरा पूर्व लोकसभा सीट: विधानसभा में शानदार प्रदर्शन के बाद BJP पर खाता खोलने का दबाव

त्रिपुरा पूर्व सीट पर बीजेपी की टक्कर कांग्रेस और लेफ्ट के अलावा इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा से है. जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित त्रिपुरा पूर्व संसदीय क्षेत्र से बीजेपी ने इस बार रेबती त्रिपुरा को मैदान में उतारा है. टीचर रहे रेबती त्रिपुरा की जमीनी पकड़ अच्छी है. सीपीएम ने यहां से मौजूदा सांसद जितेन्द्र चौधरी को ही टिकट दिया है.

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त्रिपुरा के CM बिप्लब कुमार देब (फोटो-TWITTER/BjpBiplab)
त्रिपुरा के CM बिप्लब कुमार देब (फोटो-TWITTER/BjpBiplab)

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त्रिपुरा में बीजेपी की पहली बार सरकार बनने के बाद अब सीएम बिप्लब कुमार देव पर राज्य की दोनों लोकसभा सीटें बीजेपी के खाते में लाने की चुनौती है. त्रिपुरा ईस्ट संसदीय क्षेत्र से फिलहाल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जितेंद्र चौधरी सांसद हैं. उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सचित्र देबर्मा को हराया था.

बीजेपी की टक्कर कांग्रेस और लेफ्ट के अलावा इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा से है.  जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित त्रिपुरा पूर्व संसदीय क्षेत्र से बीजेपी ने इस बार रेबती त्रिपुरा को मैदान में उतारा है. टीचर रहे रेबती त्रिपुरा की जमीनी पकड़ अच्छी है. सीपीएम ने यहां से मौजूदा सांसद जितेन्द्र चौधरी को ही टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस ने महाराज कुमारी प्रज्ञा देबबर्मन को टिकट दिया है. बीजेपी की सहयोगी रही इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा ने इस सीट से नरेंद्र चंद्र देबबर्मा को टिकट दिया है. इस सीट पर निर्दलीय समेत 10 उम्मीदवार मैदान में हैं.

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त्रिपुरा भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है. इस राज्य की सीमाएं असम, मिजोरम और बांग्लादेश से लगती हैं. त्रिपुरा की राजधानी अगरतला है. यहां पर बंगाली और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) बोली जाती हैं.

त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में माणिक्य नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने किया था. उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया था. त्रिपुरा साल 1956 में भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ था. इसके बाद साल 1972 में त्रिपुरा को राज्य का दर्जा दे दिया गया था.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

त्रिपुरा ईस्ट लोकसभा सीट पर अब तक 15 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम ने 11 बार जीत दर्ज की है. इस सीट पर सीपीएम के बाजू बन रियान सबसे ज्यादा 7 बार सांसद रह चुके हैं. इस लिहाज से अगर देखा जाए, तो इस सीट के वोटर एक पार्टी और एक नेता को कई बार चुनाव जिताते हैं.

इस सीट पर साल 1996 से लेकर अब तक सीपीएम का कब्जा है. इससे पहले कांग्रेस ने यहां से लगातार दो बार जीत दर्ज की थी. इस सीट पर सबसे पहले सीपीआई ने दो बार जीत हासिल की थी. इस सीट पर बीजेपी को कभी भी जीत हासिल नहीं हुई. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से यहां पर बीजेपी का प्रभाव तेजी से बढ़ा है. इस सीट पर सिर्फ कांग्रेस, सीपीआई और सीपीएम का ही कब्जा रहा.

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त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा है, जिनमें से 30 विधानसभा सीटें त्रिपुरा ईस्ट संसदीय क्षेत्र में आती हैं. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 25 साल से सत्ता में काबिज सीपीएम को उखाड़ फेंका था. इस चुनाव में बीजेपी ने 35 सीटों और उसकी सहयोगी पार्टी इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) ने 8 सीटों और सीपीएम ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद बीजेपी ने IPFT के साथ मिलकर सूबे में सरकार बना ली.

त्रिपुरा ईस्ट संसदीय क्षेत्र का सामाजिक ताना-बाना

त्रिपुरा ईस्ट लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यहां की अपनी अनोखी जनजातीय संस्‍कृति और दिलचस्‍प लोकगाथाएं है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या 11 लाख 40 हजार 269 है. त्रिपुरा ईस्ट संसदीय क्षेत्र में कुल 30 विधान सभा सीटें आती हैं. आपको बता दें कि त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा है.

त्रिपुरा राज्य की अपनी ऐतिहासिक विरासत है. मान्यता है कि त्रिपुरा राज्य का नाम यहां के राजा त्रिपुर के नाम पर पड़ा. वो ययाति वंश के 39वें राजा थे. इसके अलावा एक मत यह भी है कि स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा. त्रिपुर सन्दरी मंदिर को हिन्दू धर्म के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. इस राज्य में अवैध प्रवासियों का मुद्दा काफी सुर्खियों में रहा है. फरवरी में यहां भी अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की तरह सिटीजन अमेंडमेंट बिल का जमकर विरोध हुआ था.

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साल 2014 का जनादेश

लोकसभा चुनाव में त्रिपुरा ईस्ट सीट से सीपीएम के जितेंद्र चौधरी ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी और कांग्रेस प्रत्याशी सचित्र देवबर्मन को 4 लाख 84 हजार 358 वोटों से शिकस्त दी थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जितेंद्र चौधरी को 6 लाख 23 हजार 771 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सचित्र देवबर्मन को एक लाख 39 हजार 413 वोट मिले थे. इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या 11 लाख 40 हजार 269 है.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

दक्षिण त्रिपुरा के भूरताली जिले में 27 जून 1958 को जन्मे जितेंद्र चौधरी त्रिपुरा ईस्ट लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से पूरी की. उन्होंने 7 मई 1985 को मनीषा देवबर्मन से शादी की, जिनसे उनकी दो बेटियां हैं.

60 वर्षीय जितेंद्र चौधरी ने 331 दिन चली संसद की कार्यवाहियों में से 275 दिन उपस्थित रहे. इस दौरान उन्होंने 306 सवाल पूछे और 115 बहसों में हिस्सा लिया. इस दरमियान उन्होंने कोई प्राइवेट मेंबर बिल पेश नहीं किया. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों में कुल 15 करोड़ 52 लाख रुपये खर्च किए.

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