ढाई दशक से ज्यादा समय तक भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में चले आ रहे वाम शासन को पिछले साल ध्वस्त करने के बाद सत्ता पर पहली बार काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए राज्य में यह पहला बड़ा चुनाव है. बीजेपी यहां से दोनों सीटों पर जीत हासिल करने की योजना में लगी हुई है. अब देखना होगा कि यहां पर इस बार लड़ाई किस तरह की होती है.
त्रिपुरा की 2 लोकसभा सीटों में से एक त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट पर पहले चरण (11 अप्रैल) में मतदान हो रहा है. इस बार चुनावी समर में 16 उम्मीदवार मैदान में हैं. कांग्रेस ने सुबल भौमिक, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने प्रतिमा भौमिक, सीपीआई ने अपने निवर्तमान सांसद शंकर प्रसाद दत्ता को टिकट दिया है. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की ओर से मामन खान मैदान में हैं. 7 निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं.
त्रिपुरा वेस्ट संसदीय क्षेत्र पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के शंकर प्रसाद दत्ता सांसद हैं. उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने करीबी प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार अरुणोदय साहा को हराया था.
क्षेत्रफल के लिहाज से भारत के तीसरे सबसे छोटे राज्य त्रिपुरा की सीमाएं असम, मिजोरम और बांग्लादेश से लगती हैं. इसकी राजधानी अगरतला है. यहां के लोग त्रिपुरी भाषा (कोकबोरोक) और बंगाली बोलते हैं. 14वीं शताब्दी में माणिक्य नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने त्रिपुरा राज्य की स्थापना की थी. माणिक्य ने हिंदू धर्म अपनाया था. इसके बाद साल 1956 में त्रिपुरा को भारत में शामिल कर लिया गया. इसके बाद 1972 में त्रिपुरा को नए राज्य का दर्जा भी दे दिया गया. इस लोकसभा संसदीय क्षेत्र में हाल ही में बीजेपी का प्रभाव काफी बढ़ा है. ऐसे में इस बार के चुनाव में यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.
9 बार सीपीएम की जीत
त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट पर अब तक 15 बार चुनाव और एक बार उपचुनाव हो चुके हैं. इनमें से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम ने नौ बार जीत दर्ज की है. साल 2002 में हुए उपचुनाव में भी सीपीएम ने ही जीत दर्ज की थी. अगर पहले के चुनाव नतीजों पर गौर किया जाए, तो साफ होता है कि इस सीट के वोटर पार्टी के नाम पर वोट देते हैं. इस सीट पर बीजेपी को कभी जीत नहीं मिली. अब तक इस सीट पर सीपीएम के अलावा सीपीआई, कांग्रेस और बीएलडी ने ही जीत हासिल की है.
हालांकि पिछले साल राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जोरदार जीत हासिल करते हुए पहली बार सत्ता पर पकड़ बनाई और 25 साल से सत्ता पर काबिज सीपीएम को मात दी थी. बतौर सत्तारुढ़ पार्टी होने के बाद बीजेपी लोकसभा में जीत हासिल करने की जुगत में होगी. राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा की 30 सीटें त्रिपुरा वेस्ट संसदीय क्षेत्र में आती हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 35 सीटों और उसकी सहयोगी दल इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) को 8 और सीपीएम को 16 सीटों पर जीत मिली थी. इसके बाद बीजेपी ने अपनी सहयोगी पार्टी IPFT के साथ मिलकर राज्य में पहली बार सरकार बनाई थी. बनामलीपुर विधानसभा सीट भी इसी संसदीय क्षेत्र में आती है. बनामलीपुर सीट से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव विधायक हैं.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट पर वोटरों की संख्या 12,46,794 है. इस संसदीय क्षेत्र में कुल 30 विधानसभा सीटें आती हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक इस सीट पर कुल आबादी 36,71,32 है. इसमें से पुरुषों की संख्या 18,71,867 है, जबकि महिलाओं की आबादी 17,99,165 है.
2014 में सीपीएम के दत्ता जीते
2014 के लोकसभा चुनाव में त्रिपुरा वेस्ट सीट से सीपीएम के शंकर प्रसाद दत्ता ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी और कांग्रेस प्रत्याशी अरुणोदय साहा को 5 लाख 3 हजार 486 वोटों से करारी मात दी थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में शंकर प्रसाद दत्ता को 6 लाख 71 हजार 665 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सचित्र देवबर्मन को एक लाख 68 हजार 179 वोट मिले थे. इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या 12 लाख 48 हजार 550 है. पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 86.17 फीसदी वोटिंग हुई थी.
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