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त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट का क्या है सियासी गणित?

त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट पर सीपीएम, कांग्रेस, बीजेपी और सीपीआई के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा. हालांकि इस सीट पर अभी तक बीजेपी ने एक भी बार जीत दर्ज नहीं की है, लेकिन हाल ही में यहां पर बीजेपी का प्रभाव तेजी से बढ़ा है. इसी के चलते पिछले साल त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की और सरकार बनाई. फिलहाल त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट से सीपीएम के शंकर प्रसाद दत्ता सांसद हैं. इस बार के चुनाव में भी सीपीएम ने दत्ता पर ही विश्वास जताया है. वहीं, कांग्रेस ने सुबल भौमिक और भारतीय जनता पार्टी ने प्रतिमा भौमिक को चुनाव मैदान में उतारा है.

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फाइल फोटो (Courtesy- PTI)
फाइल फोटो (Courtesy- PTI)

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भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में लोकसभा घमासान तेज हो गया है. इस राज्य में लोकसभा की दो सीटे आती हैं. यहां पहले चरण में 11 अप्रैल और दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोटिंग होगी. इसके बाद 23 मई को दोनों लोकसभा सीटों के नतीजे आएंगे.

त्रिपुरा वेस्ट संसदीय क्षेत्र से फिलहाल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के शंकर प्रसाद दत्ता सांसद हैं. उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने करीबी प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार अरुणोदय साहा को हराया था. इस बार भी सीपीएम ने शंकर प्रसाद दत्ता पर विश्वास जताया है, जबकि कांग्रेस ने सुबल भौमिक और भारतीय जनता पार्टी ने प्रतिमा भौमिक को चुनाव मैदान में उतारा है.

भारत के तीसरे सबसे छोटे राज्य त्रिपुरा की सीमाएं असम, मिजोरम और बांग्लादेश से लगी हैं. इसकी राजधानी अगरतला है. यहां के लोग त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) और बंगाली बोलते हैं.

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14वीं शताब्दी में माणिक्य नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने त्रिपुरा की स्थापना की थी. माणिक्य ने हिंदू धर्म अपनाया था. इसके बाद साल 1956 में त्रिपुरा को भारतीय गणराज्य में शामिल कर लिया गया. फिर साल 1972 में त्रिपुरा को राज्य का दर्जा दे दिया गया. इस लोकसभा संसदीय क्षेत्र में हाल ही में बीजेपी का प्रभाव काफी बढ़ा है. ऐसे में इस बार के चुनाव में यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट पर अब तक 15 बार चुनाव और एक बार उपचुनाव हो चुके हैं. इनमें से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम ने नौ बार जीत दर्ज की है. साल 2002 में हुए उपचुनाव में भी सीपीएम ने ही जीत दर्ज की थी. अगर पहले के चुनाव नतीजों पर गौर किया जाए, तो साफ होता है कि इस सीट के वोटर पार्टी के नाम पर वोट देते हैं. इस सीट पर बीजेपी को कभी जीत नहीं मिली. अब तक इस सीट पर सीपीएम के अलावा सीपीआई, कांग्रेस और बीएलडी ने ही जीत हासिल की है.

सूबे की 60 सदस्यीय विधानसभा की 30 सीटें त्रिपुरा वेस्ट संसदीय क्षेत्र में आती हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में त्रिपुरा में बीजेपी को शानदार जीत हासिल हुई थी और 25 से सत्ता पर काबिज सीपीएम को करारी हार मिली थी. इस चुनाव में बीजेपी को 35 सीटों और उसकी सहयोगी दल इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) आठ सीटों और सीपीएम को 16 सीटों पर जीत मिली थी. इसके बाद बीजेपी ने अपनी सहयोगी पार्टी IPFT के साथ मिलकर सूबे में सरकार बना ली थी. बनामलीपुर विधानसभा सीट भी इसी संसदीय क्षेत्र में आती है. बनामलीपुर सीट से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव विधायक हैं.

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त्रिपुरा वेस्ट संसदीय क्षेत्र का सामाजिक ताना-बाना

त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट अपनी अनोखी जनजातीय संस्कृति और दिलचस्प लोकगाथाओं को समेटे हुए है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या 12 लाख 46 हजार 794 है. इस संसदीय क्षेत्र में कुल 30 विधान सभा सीटें आती हैं. त्रिपुरा में विधानसभा की 60 सीटें हैं.

ऐतिहासिक विरासत से रचे बसे त्रिपुरा राज्य के नाम को लेकर भी तमाम मान्यताएं हैं. माना जाता है कि त्रिपुरा राज्य का नाम यहां के राजा त्रिपुर के नाम पर पड़ा. त्रिपुर ययाति वंश के 39वें राजा थे. इसके अतिरिक्त एक मान्यता यह भी है कि स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा पड़ा. त्रिपुर सुन्दरी देवी की पीठ हिन्दू धर्म के 51 शक्ति पीठों में से एक है.

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक इस सीट पर कुल आबादी 36 लाख 71 हजार 32 है. इसमें से पुरुषों की संख्या 18 लाख 71 हजार 867 है, जबकि महिलाओं की आबादी 17 लाख 99 हजार 165 है.

साल 2014 का जनादेश

लोकसभा चुनाव में त्रिपुरा वेस्ट सीट से सीपीएम के शंकर प्रसाद दत्ता ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी और कांग्रेस प्रत्याशी अरुणोदय साहा को 5 लाख 3 हजार 486 वोटों से करारी मात दी थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में शंकर प्रसाद दत्ता को 6 लाख 71 हजार 665 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सचित्र देवबर्मन को एक लाख 68 हजार 179 वोट मिले थे. इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या 12 लाख 48 हजार 550 है. पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 86.17 फीसदी वोटिंग हुई थी.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड

त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए शंकर प्रसाद दत्ता का जन्म 18 अगस्त 1957 को सूबे की राजधानी अगरतला में हुआ था. उन्होंने मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी से एलएलबी और एमए की पढ़ाई की. एक जून 1992 को उनकी शादी कृष्णा रक्षित के साथ हुई. दत्ता की एक बेटी भी है. शंकर प्रसाद दत्ता सांसद के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता, वकील और ट्रेड यूनियन के सदस्य हैं.

61 वर्षीय दत्ता ने 331 दिन चली संसद की कार्यवाहियों में से 248 दिन उपस्थित रहे. इस दौरान उन्होंने 297 सवाल पूछे और 141 बहसों में हिस्सा लिया. इस दरमियान उन्होंने 5 प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों में कुल 17 करोड़ 78 लाख रुपये खर्च किए.

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