केरल की त्रिशूर लोकसभा सीट पर 23 अप्रैल को तीसरे चरण में में मतदान हुआ. त्रिशूर लोकसभा सीट पर 77.34 फीसदी मतदान रिकॉर्ड किया गया, जबकि केरल की सभी लोकसभा सीटों पर 77.68 फीसदी वोटिंग हुई. अब 23 मई को मतगणना होगी और चुनाव के नतीजे सामने आएंगे. इस सीट पर कुल 8 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं.
त्रिशूर लोकसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी ने निखिल चंद्रशेखरन, कांग्रेस पार्टी ने टीएन प्रथापान, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने राजाजी मैथी थॉमस, भारतीय जनता पार्टी ने सुरेश गोपी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट) रेड स्टार को चुनाव मैदान में उतारा है. इसके अलावा तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. त्रिशूर लोकसभा सीट केरल की 20 संसदीय सीटों में एक है. इस सीट पर साल 1998 के बाद जितने लोकसभा चुनाव हुए उनमें कांग्रेस और सीपीआई (एम) में टक्कर रही.
यही दोनों दलों ने बारी-बारी से जीतते भी दर्ज की, लेकिन इस बार माहौल कुछ बदला सा लग रहा है. बीजेपी ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है और गोपी सुरेश को अपना उम्मीदवार बनाया है. हालांकि बीजेपी ने एनडीए के सहयोगी दल भारत धर्म जनसेना के अध्यक्ष तुषार वेल्लापली को यहां से चुनाव लड़ाने की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. वेल्लापली के जरिए बीजेपी इझावा वोट साधने की जुगत में थी, मगर अब ऐसा नहीं दिख रहा है.
इस सीट पर बीजेपी को इसलिए फायदे की उम्मीद है, क्योंकि सबरीमाला विरोध प्रदर्शन का असर सबसे ज्यादा असर इसी इलाके में हुआ था. सबरीमाला मंदिर का मुद्दा बीजेपी के लिए वोटों के ध्रुवीकरण के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है, क्योंकि इससे बीजेपी के वोटों में इजाफा होने की संभावना है. त्रिशूर ऐसी लोकसभा सीट है, जहां से कई बड़े नेता मात खाते रहे हैं. इनमें कांग्रेस नेता के. करुणाकरन, के. मुरलीधरन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वीवी राघवन के नाम शामिल हैं. यहां से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के मौजूदा सांसद सीएन जयदेवन हैं, जिन्होंने पिछले चुनाव में कांग्रेस के केपी धनापलन को 38 हजार 227 वोटों से हराया था.
चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक त्रिशूर निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 9 लाख 20 हजार 667 है. पिछले चुनाव में 61 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जिसके लिए 1 हजार 94 पोलिंग बूथ बनाए गए थे. इस सीट पर महिला मतदाताओं की संख्या 4 लाख 86 हजार 303 है.
साल 1951 में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इय्युनी चलक्का जीतकर सांसद बने थे. तब यह इलाका त्रावणकोर-कोचीन संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था. इसके बाद 1957 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कैंडिडेट के. कृष्णन वैरियर जीते थे. इसके बाद कई चुनावों तक यहां लगातार सीपीआई कैंडिडेट जीतता रहा और यह कम्युनिस्टों का गढ़ बन गया. यहां अब तक 10 बार सीपीआई प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं. साल 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद देश में कांग्रेस की लहर आई, उसमें फिर से यहां कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया.
इसके बाद यहां से कभी कांग्रेस तो कभी सीपीआई जीतती रही. अब बीजेपी भी अच्छे वोट हासिल कर यहां के मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है. यहां से अब तक छह बार कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीते और सांसद बने. त्रिशूर संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें त्रिशूर विधानसभा, ओल्लूर विधानसभा, पुडुकाड विधानसभा, मनालुर विधानसभा, गुरुवयूर विधानसभा, नत्तिका विधानसभा और इरिनजलाकुडा विधानसभा शामिल हैं.
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