भाजपा और शिवसेना ने लोकसभा चुनाव का प्रचार आज महाराष्ट्र के विदर्भ से शुरू कर दिया है. इस प्रचार सभा के लिए दोनों पार्टी के बड़े नेता अमरावती में शुक्रवार के दिन इकट्ठा हुए. 2019 लोकसभा चुनाव के लिए आपसी मतभेद को दूर करने के लिए अमरावती में भाजपा और शिवसेना कार्यकर्ताओ का सम्मलेन आयोजित किया गया. जहां 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार शिवसेना और भाजपा के वरिष्ठ नेता एक ही मंच से एक दूसरे की तारीफ़ करते नजर आए. दोनों पक्ष के कार्यकर्ताओं के बीच की दूरियां मिटाने और कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में एक साथ मेहनत करें इसलिए ही दोनों पक्ष एक दूसरे पर शब्दों के फूल बरसाते नजर आए.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने भाषण में पांच साल में केंद्र सरकार द्वारा किये गए विकास कार्यो को गिनाया तो वहीं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि पिछले 15-20 दिनों से जब से गठबंधन हुई है. समझ नहीं आ रहा था कि क्या बात करूं कैसे बात करूं क्योंकि अबतक दोनों के पार्टियों के बीच बहुत संघर्ष हुआ है.
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले पंढरपुर की सभा में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि चौकीदार ही चोर है. शुक्रवार को अमरावती में उन्होंने बीजेपी और मोदी सरकार की तीखी आलोचना करने का कारण बताया. उद्धव ने कहा कि पिछले साढे़ चार साल हम दोनों ने एक दूसरे की पार्टी की खूब आलोचना की. उद्धव ने कहा के भले ही दोनों के मन में कड़वाहट नहीं थी लेकिन दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ शब्दों की तलवार उठाई थी. अब समय आ गया है कि म्यान से तलवार तो निकाल दी जाए है और अब मन में जो नाराजगी है वो भी दूर की जाए.
चुनाव प्रचार और कार्यकर्ता सम्मेलन में उद्धव ने कहा कि "दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ जो भी बातें की थी वो पब्लिक के सामने की थी. 25 साल के गठबंधन और अब साढ़े चार साल में कभी संघर्ष तो कभी दोस्ती, लेकिन एक बात अच्छी है कि हम दोनों ने कभी भी एक दूसरे के बीच हो रहे संघर्ष को राज्य के विकास में रुकावट का कारण नहीं बनाया."
दोनों पार्टी के कार्यकर्तोओं के बीच दूरियां मिटाने और मनोमिलन कराने के लिए उद्धव ठाकरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मिसाल दी और कहा कि हिंदुत्व की रक्षा करने के मगसद से हम साथ आए हैं. साथ में काम भी मिलकर करना होगा. सिर्फ छत्रपति शिवाजी महाराज की जय बोलने से और भगवा झंडा हाथ में लेकर नारेबाजी करने से दोनों पक्षों में गठबंधन नहीं होगा.
उद्धव ठाकरे ने छत्रपति शिवजी महाराज का उदाहरण देते हुए कहा कि सामने तारीफ और पीठ पीछे कड़वाहट अगर छत्रपति शिवाजी महाराज को देखी होती तो उन्होंने हम सभी को पहाड़ी से धकेल देने की शिक्षा दी होती. उद्धव ठाकरे ये कहने से भी नहीं चुके कि अगर भाजपा और शिवसेना की गठबंधन नहीं हुई होती तो 2019 के चुनाव में हम हार गए होते और अगर हार हुई होती तो कौन सत्ता में आया होता इसका अंदाजा कार्यकर्ताओं को लगाने को कहा.
भाजपा एवं मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए 2014 की बात याद दिलाते हुए उद्धव ने कहा कि अब शरद पवार की मदद नहीं लेना, उन्हें पार्टी में नहीं लेना, क्योंकि कोई तो हो विपक्ष में जिनकी हम आलोचना कर सके.
देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार का नाम लिए बगैर ही कहा कि एक पार्टी के कप्तान ने पहले ऐलान किया के वो चुनाव लड़ने वाले हैं. कुछ ही दिनों बाद फिर से वही कप्तान बोले अब 2019 का चुनाव नहीं लडूंगा. फडणवीस ने कहा कि मोदी जी हरदम कहते हैं कि शरद पवार जी हवा का रुख पहचान लेते हैं. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अशोक चौहान ने राज्य में चुनावी हवा किधर जा रही है ये जान लिया है. उनकी हार निश्चित है और इसीलिए उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.
अमरावती में आयोजित चुनाव प्रचार का शुभारंभ और कार्यकर्ता सम्मेलन में दोनों पक्ष के समर्थक, विदर्भ में प्रचार के दौरान पांच जिलों से बड़ी संख्या में आए थे.