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महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद UP में BJP ने तेज की गठबंधन की कवायद

महाराष्ट्र में शिवसेना को साधने और तमिलनाडु में AIADMK को अपने साथ जोड़ने के बाद बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपनी सहयोगी अपना दल और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी को साथ बरकरार रखने की कवायद में जुट गई है.

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लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी एनडीए के रुठे साथियों को मनाने और नए दलों को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है. महाराष्ट्र में शिवसेना को साधने और तमिलनाडु में AIADMK को अपने साथ जोड़ने के बाद बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपनी सहयोगी अपना दल और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से साथ बरकरार रखने की कवायद में जुट गई है. माना जा रहा है कि 26 फरवरी को बीजेपी सूबे में अपने गठबंधन का ऐलान कर सकती है.

अपना दल (एस) की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के कड़े तेवर दिखाने और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के गठबंधन से अलग होने के अल्टीमेटम के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सूबे के दोनों उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा व केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिले.

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बता दें कि उत्तर प्रदेश में अपना दल (एस) के साथ बीजेपी का 2014 के लोकसभा चुनाव में समझौता हुआ था. बीजेपी ने अपना दल को 2 सीटें दी थी, जहां वो जीतने में कामयाब रही थी. वहीं, ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के साथ बीजेपी ने 2017 विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया था.

राजभर सूबे में कम से कम 2 सीटों की मांग रखी है. इनमें घोसी और चंदौली संसदीय सीट शामिल है. इन दोनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. राजभर पिछले काफी दिनों से योगी सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार किए हुए हैं. इस कड़ी में उन्होंने हाल ही में एक मंत्रालय भी छोड़ दिया था.

इसके बाद राजभर ने मंगलवार को देर रात दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने ओबीसी के आरक्षण कोटे में कोटे की मांग को लेकर चर्चा की. हालांकि लोकसभा सीटों को लेकर 26 फरवरी को फिर से बीजेपी अध्यक्ष चर्चा करेंगे. माना जा रहा है कि उन्हें एक लोकसभा सीट दी जा सकती है.

सूबे के बदले समीकरण में अपना दल ने भी बीजेपी के सामने 2 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाए हुए है. हाल ही में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर की थी और पीएम मोदी के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं थी. इतना ही नहीं अनुप्रिया पटेल ने गोंडा में कहा कि हमने बीजेपी को 20 फरवरी तक का समय दिया था यदि बात नहीं बनी तो उनका दल अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है.

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दरअसल यूपी में सपा-बसपा गठबंधन और प्रियंका गांधी के राजनीति में दस्तक के बाद सूबे में सियासी समीकरण काफी बदलते दिख रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के सामने अपने सहयोगी को साधने की चुनौती है. यही वजह है कि  अपना दल और ओमप्रकाश राजभर ने अपनी डिमांड बढ़ा दी है, ऐसे में देखना है कि बीजेपी इन दोनों दलों को कैसे साधकर रखती है.

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