17वीं लोकसभा के लिए 7 में से 4 चरणों में 372 संसदीय सीटों पर मतदान कराए जा चुके हैं और शेष सीटों पर 3 चरणों में मतदान कराया जाना है, जिसमें देश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट वाराणसी भी शामिल है. वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं और उनके खिलाफ चुनावी समर में श्री भगवान दास वेदांत आचार्य ने भी पर्चा दाखिल किया था, हालांकि निर्वाचन आयोग ने दाखिल नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी करते हुए श्री भगवान दास वेदांत आचार्य का पर्चा खारिज कर दिया.
वाराणसी संसदीय सीट पर अखिल भारतीय रामराज्य परिषद की ओर से श्री भगवान दास वेदांत आचार्य को बतौर प्रत्याशी नामांकन दाखिल किया था, लेकिन निर्वाचन आयोग ने उनका पर्चा खारिज कर दिया. श्री भगवान दास वेदांत आचार्य का पर्चा खारिज होने के बाद कलेक्ट्रेट ऑफिस में हंगामा हो गया. नाराज संतों ने पर्चा खारिज होने के मामले में निर्वाचन अधिकारी से मिलने की मांग करने लगे.
पर्चा खारिज होने के बाद संत समाज के कुछ लोग जबरदस्ती कलेक्ट्रेट ऑफिस में घुसने की कोशिश करने लगे. सुरक्षाकर्मियों ने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो वो धरने पर बैठ गए और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. आचार्य का नामांकन खारिज होने से साधु संत काफी नाराज हो गए और कलेक्टर ऑफिस पहुंच कर धरना प्रदर्शन करने लगे.
'प्रधानमंत्री का दबाव'
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस पर जोरदार नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि हमारा पर्चा जो खारिज किया जा रहा है वो प्रधानमंत्री के दबाव में किया जा रहा है. लोकशाही की हत्या है, तानाशाही है और यह बहुत गलत बात है. हम इसको किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों से आए 102 प्रत्याशियों ने 119 नामांकन पत्र दाखिल किए थे. करीब 13 घंटे पर्चों की जांच चली जिसमें 71 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए. इस तरह से 31 पर्चे वैध पाए गए. सपा की ओर से चुनाव लड़ रहे तेज बहादुर के टिकट पर आज बुधवार को फैसला आएगा.
वाराणसी में लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है.
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