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बनारस में सपा ने तेजबहादुर को उतार दिलचस्प की लड़ाई, अतीक के आने से बिगड़ेगा खेल

सपा-बसपा ने बनारस में अपना प्रत्याशी बदलते हुए शालिनी यादव की जगह तेज बहादुर यादव को मैदान में उतार दिया है. इस सीट पर बाहुबली अतीक अहमद के भी आ जाने से लड़ाई और रोचक हो गई है. अतीक अहमद का मुस्लिम वोटरों पर अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है.

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बनारस से सपा के टिकट पर पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए तेज बहादुर यादव मैदान में हैं.
बनारस से सपा के टिकट पर पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए तेज बहादुर यादव मैदान में हैं.

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हाईप्रोफाइल सीट काशी की लड़ाई दिलचस्प हो गई है. प्रियंका गांधी की जगह अजय राय के मैदान में उतरने से माना जा रहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी को वाकओवर दे दिया गया है, लेकिन ऐन वक्त पर सपा-बसपा ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए शालिनी यादव की जगह तेज बहादुर यादव को मैदान में उतार दिया है. इस सीट पर बाहुबली अतीक अहमद के भी आ जाने से लड़ाई और रोचक हो गई है. अतीक अहमद का मुस्लिम वोटरों पर अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है.

सपा के फैसले से केजरीवाल गदगद

शालिनी यादव का टिकट काटकर BSF जवान रहे तेज बहादुर को टिकट देने के फैसले से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बेहद खुश हैं. उन्होंने फौरन ट्वीट कर अखिलेश यादव को बधाई देते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए तेज बहादुर को सलाम. सनद रहे कि अरविंद केजरीवाल पिछली दफा पीएम नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए खुद बनारस से लड़े थे. 20.3 फीसदी वोटों के साथ केजरीवाल दूसरे नंबर पर रहे थे. उन्हें 2, 09, 238 वोट मिले थे.

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सोशल मीडिया पर छाए वीडियो से हीरो बने थे तेजबहादुर

बीएसएफ जवान रहे तेज बहादुर यादव दो साल पहले एक वीडियो से सुर्खियों में आए थे. उन्होंने फौजियों को मिलने वाले खाने का एक वीडियो बनाया था जो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था. उन्होंने वीडियो में फौजियों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता बेहद खराब बताते हुए तमाम आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि खाने की शिकायत करने के बाद भी अफसर कोई सुनवाई नहीं करते हैं. यहां तक कि गृह मंत्रालय ने भी उनकी चिट्ठी पर कोई जवाब नहीं दिया. इस वीडियो के जरिए उन्होंने देशभर से सिंपैथी बटोरी थी. आनन-फानन में सेना ने जांच के आदेश दे दिए थे, जिसमें वे दोषी पाए गए और उन्हें बीएसएफ से निकाल दिया गया.

फौज के नाम पर राजनीति करने वाले PM को सिखाना है सबक

हरियाणा निवासी तेजबहादुर यादव अब जंग के मैदान से निकलकर सीधे चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. चुनाव में उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी है. बनारस की गलियों में चुनाव प्रचार के दौरान तेज बहादुर कह रहे हैं कि वे काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद से नकली चौकीदार को हराना चाहते हैं. तेज बहादुर का कहना है कि वे फ़ौज के नाम पर राजनीति करने वालों को हराना चाहते हैं.

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मैं असली चौकीदार, पीएम मोदी नकली चौकीदार

जिस राष्ट्रवाद की लहर पर सवार हो बीजेपी 2019 के चुनावी मैदान में उतरी है, उसी लहर का आसरा तेजबहादुर को भी है. खुद को असली चौकीदार बताते हुए तेज बहादुर कह रहे हैं कि सालों से वे देश की सरहद की हिफाजत करते रहे हैं, लिहाजा वे ही असली चौकीदार हैं.

प्रियंका गांधी के लड़ने की थीं अटकलें

बनारस में अभी तक पीएम नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस की ओर से पिछली बार के प्रत्याशी रहे अजय राय मैदान में हैं तो सपा-बसपा की तरफ से तेज बहादुर यादव. इस हाईप्रोफाइल सीट से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के भी लड़ने की अटकलें थीं, लेकिन बाद में कांग्रेस ने फैसला बदल दिया.

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अतीक अहमद निर्दलीय ठोकेंगे ताल

शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी लोहिया पार्टी की तरफ से अतीक अहमद के लड़ने की अटकलें थीं, लेकिन रविवार को अतीक की पत्नी ने ऐलान कर दिया कि उनके शौहर बनारस से निर्दलीय ताल ठोकेंगे. अतीक अहमद ने कोर्ट से चुनाव प्रचार के लिए पैरोल देने की मांग की थी, लेकिन सोमवार को कोर्ट ने आपराधिक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी.

मुस्लिम वोटरों पर अतीक का प्रभाव

2011 की जनगणना के मुताबिक काशी की जनसंख्या 36.8 लाख है जिसमें 19.2 लाख पुरुष और 17.5 लाख महिलाओं की आबादी शामिल है. वाराणसी में 85 फीसदी आबादी हिंदुओं की है जबकि 15 फीसदी मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं. अतीक अहमद के आने से यही 15 फीसदी मतदाता नतीजों पर असर डाल सकते हैं.

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कौन हैं शालिनी यादव, जिनका कटा टिकट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट पर महागठबंधन की ओर से सपा ने पेशे से फैशन डिजाइनर शालिनी यादव को उम्मीदवार बनाया था. वह सोमवार को ही कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हुई हैं. मोदी को टक्कर देने के लिए अखिलेश यादव ने उन्हें मैदान में उतारा था, लेकिन ऐन वक्त पर सपा ने अपना उम्मीदवार बदलते हुए बीएसएफ जवान तेज बहादुर को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. शालिनी के ससुर श्याम लाल यादव कभी गांधी परिवार के सिपहसलारों में से थे. वाराणसी में शालिनी यादव कांग्रेस के टिकट पर मेयर का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. हालांकि सफलता उन्हें नहीं मिली.

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