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अब पर्दे के पीछे से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करेंगे वीरभद्र

लोकसभा चुनाव के ‘रण’ में विजय ही लक्ष्य हो को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरभ्रद सिंह को चुनाव रणनीति की कमान सौंपी है.

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वीरभद्र सिंह (फोटो- इंडिया टुडे आर्काइव)
वीरभद्र सिंह (फोटो- इंडिया टुडे आर्काइव)

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लोकसभा चुनाव का शंखनाद होते ही मानो सियासी दलों के बीच ‘महाभारत’ छिड़ा हुआ है. ‘रण’ में विजय ही लक्ष्य हो, को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरभ्रद सिंह को चुनाव रणनीति की कमान सौंपी है. 85 साल के वीरभद्र सिंह को लंबा राजनीकि अनुभव है वो इस दौरान प्रदेश-केंद्र में कई अहम पदों पर रहे. फिलहाल वीरभद्र प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष हैं.

शुरुआती जीवन और शिक्षा

वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के सराहन (हिमाचल प्रदेश की तत्कालीन बुशहर रियासत में स्थित एक कस्बा) में हुआ. उनके पिता स्वर्गीय पदम सिंह बुशहर रियासत के राजा थे. उनकी माता का नाम शांति देवी था. वीरभ्रद सिंह शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से शुरुआती शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में बीए (ऑनर्स) और एमए डिग्री हासिल ही.

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सेंट स्टीफन में पढ़ाई के दौरान साल 1954 में वीरभ्रद सिंह की शादी जुब्बल की राजकुमारी रत्नकुमारी के साथ हुई. दोनों के चार बेटियां हुईं. रत्नकुमार का निधन 1983 को हुआ. इसके बाद 1985 में उन्होंने मंडी जिले की रियासत क्योंथल की राजकुमारी प्रतिभा सिंह के साथ दूसरी शादी की. प्रतिभा सिंह शादी के समय वीरभद्र सिंह से 20-25 साल छोटी थीं. दोनों के विक्रमादित्य और अपराजिता दो बच्चे हुए हैं. अपराजिता की शादी कैप्टन अमरिंदर सिंह के पोते अंगद सिंह से हुई है और विक्रमादित्य राजनीति में सक्रीय हैं.  

वीरभ्रद का राजनीतिक सफर

वीरभ्रद सिंह का राजनीति सफर उपलब्धियों से भरा है. उनके नाम कई राजनीतिक रिकॉर्ड दर्ज हैं. उनके राजनीतिक सफर से स्पष्ट है कि उनकी राज्य के साथ केंद्र की सियासत में खूब धाक रही है. सांसद, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री समेत कई पदों अहम पदों पर अपना योगदान दिया. इस सियासी सफर में उनका नाता कुछ विवाद से भी रहा. उनका नाम सीडी कांड और सम्पत्ति मामले में सामने आया.  

केंद्र की राजनीति में वीरभद्र

साल 1962 में वीरभद्र ने पहली बार महासू संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीते. महासू शिमला का पहले यही नाम था. इस समय वीरभ्रद की उम्र 28 साल थी. 1967 में लोकसभा में वे दूसरी बार निर्वाचित हुए. 1971 में तीसरी बार लोकसभा चुनाव में विजयी रहे. 1976-77 के दौरान वह पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सहायक मंत्री रहे. 1977 में वो एक बार फिर लोक सभा का चुनाव लड़े लेकिन इस बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.

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1980 के लोकसभा चुनावों में उन्हें चौथी बार चुना गया. 1982-83 में वे राज्य उद्योग मंत्री रहे. 2004 में उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह हिमाचल के मंडी से चुनाव लड़ा और जीतीं. 2009 में वीरभद्र सिंह 5वीं बार लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में मई 2009 को उन्हें केंद्रीय स्टील मंत्री बनाया गया. 19 जनवरी 2011 को उन्होंने सूक्ष्‍म,लघु और मध्‍यम उद्योगों के केंद्रीय मंत्री का पदभार संभाला.  

राज्य की राजनीति में वीरभद्र

साल 1977 में जब वीरभद्र सिंह लोकसभा चुनाव हारे तो वो कांग्रेस के साथ जुड़े रहे. 1977, 1979 और 1980 तक वीरभद्र हिमाचल प्रदेश प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. साल 1983-85, 1985-90, 1993-98, 2003-07 और 2012-17 पांच बार हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री रहे. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने वीरभ्रद को मौका दिया लेकिन वो चुनाव हार गए. इस समय उनकी उम्र 83 साल थी.

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