पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में विपक्षी दलों को एक साथ एक मंच पर लाने के लिए रैली कर रही हैं. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता में राजनीतिक दलों से लेकर बीजेपी के बागी और मोदी विरोधी नेता भी एकजुट हो रहे हैं. लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव सहित विपक्ष के करीब 7 ऐसा नेता हैं जो ममता बनर्जी के मंच पर नजर नहीं आएंगे. इन नेताओं के ममता की रैली में न पहुंचने के पीछे राजनीतिक मायने भी छिपा हुआ है.
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता के शक्ति प्रदर्शन करने के लिए ममता बनर्जी महारैली करने जा रही हैं. इस महारैली में लाखों लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है, इसके अलावा विपक्षी दलों के तकरीबन सभी दलों के नेता जुटेंगे.
हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, बसपा अध्यक्ष मायावती, टीआरएस चीफ व तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर और जगन मोहन रेड्डी इस रैली में शामिल नहीं हो रहे हैं. इसके अलावा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के शामिल होने को लेकर संशय बरकरार है. वहीं, डीएमके के इस मंच पर आने से AIADMK ने दूरी बना रखी है.
सोनिया-राहुल ममता के मंच पर क्यों नहीं
ममता के मंच पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के न पहुंचने के पीछे सबसे बड़ी वजह कांग्रेस की पश्चिम बंगाल कमेटी मानी जा रही है. पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी ममता की रैली में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के शामिल होने को लेकर सहमत नहीं था.
बताया जा रहा है कि राज्य की कांग्रेस कमेटी आने वाले लोकसभा चुनावों को अकेला लड़ने के लिए तैयार हैं और उन्होंने ही राहुल गांधी को रैली में शामिल न होने का सुझाव दिया, जिसके बाद उन्होंने शामिल न होने का फैसला किया गया. हालांकि, सोनिया-राहुल ने अपनी जगह वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजना का फैसला किया है.
माया खुद क्यों नहीं
ममता के मंच पर बसपा अध्यक्ष मायावती भी खुद नहीं जा रही हैं बल्कि अपनी जगह पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को भेज रही हैं. बसपा प्रमुख कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को छोड़कर किसी और दूसरे मंच पर विपक्षी नेताओं के साथ नहीं दिखी हैं. दरअसल, मायावती खुद भी पीएम पद की दावेदार के तौर पर पेश कर रही हैं. ऐसे में वो किसी और से मंच पर जाकर अपनी मजबूती को कमजोर नहीं करना चाहती हैं.
नवीन पटनायक एकला चलो की राह पर
टीएमसी की रैली में ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजेडी अध्यक्ष नवीन पटनायक भी नहीं दिख सकते हैं. उन्होंने इंडिया टुडे माइंड रॉक्स कार्यक्रम में कहा था उनकी पार्टी की नीति साफ है, वह बीजेपी और कांग्रेस से समान दूरी बनाकर चल रहे हैं. वो दोनों पार्टियों में से किसी के साथ भी गठबंधन नहीं करेंगे. इसके अलावा अभी तक विपक्ष के ऐसे किसी भी मंच पर नहीं दिखे हैं. हालांकि, केसीआर से लेकर ममता तक ने नवीन पटनायक से मुलाकात कर फेडरल फ्रंट में शामिल होने का न्योता दिया था.
नायडू के चलते रेड्डी ने बनाई दूरी
ममता के मंच पर आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष व आंध्र प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी भी नजर नहीं आएंगे. दरअसल ममता की रैली टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू जा रहे हैं. माना जा रहा है कि इसी के चलते जगन मोहन रेड्डी इस रैली से दूरी बनाए हुए हैं, क्योंकि नायडू से उनका सियासी विरोध है.
इसी तरह ममता की रैली में AIADMK का भी कोई नेता नजर नहीं आएंगे, क्योंकि डीएमके के नेता स्टालिन पहुंच रहे हैं. तमिलनाडु में दोनों दल एक- दूसरे के विरोधी हैं, ऐसे में दोनों दल एक मंच पर साथ आने से गुरेज कर रहे हैं. जबकि डीएमके और AIADMK दोनों पार्टियां बीजेपी के खिलाफ हैं.
मंच पर नजर आएंगे ये नेता
टीएमसी की रैली में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, एचडी कुमारस्वामी, एचडी देवगौड़ा, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार, चंद्रबाबू नायडू, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, तेजस्वी यादव, स्टालिन, मल्लिकार्जुन खड़गे, अजित सिंह, जयंत चौधरी, शरद यादव, हेमंत सोरेन, लालधुवहावमा और गेगांग अपांग उपस्थित होंगे.
इन नेताओं के अलावा मोदी विरोधी हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी जैसे नेता भी शामिल होंगे. इसके अलावा बीजेपी के बागी नेताओं में यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और अरुण शौरी भी मंच साझा करेंगे.