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निर्मला सीतारमण के बाद जेएनयू से पढ़े दूसरे मंत्री होंगे एस जयशंकर

चीन में भारतीय राजदूत के तौर पर सबसे ज्यादा रहने वाले एस जयशंकर मोदी कैबिनेट में शामिल हुए हैं. रिटायर हो चुके एस जयशंकर को बीते मार्च में पद्मश्री सम्मान मिला था, आज वह मोदी मंत्रिमंडल में शपथ लेने जा रहे हैं.

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फाइल फोटो एस जयशंकर
फाइल फोटो एस जयशंकर

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चीन में सबसे ज्यादा समय तक भारतीय राजदूत के तौर तैनात रहे एस. जयशंकर आज मोदी कैबिनेट में शामिल हो रहे हैं. रिटायर हो चुके एस जयशंकर को बीते मार्च में पद्मश्री सम्मान मिला था, अब मई में उन्हें कैबिनेट में जगह मिल रही है. निर्मला सीतारमण के बाद एस जयशंकर दूसरे मंत्री होंगे जिन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्व (जेएनयू) विद्यालय दिल्ली से पढ़ाई की है. 

इसी साल 2019 में रिटायर हुए सुब्रह्मण्यम जयशंकर सबसे लंबी 36 साल की विदेश सेवा के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से इंटरनेशनल रिलेशन में एमए किया है.

क्यों मोदी के प्रिय हैं एस. जयशंकर

हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते में पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर की बड़ी भूमिका मानी जा रही है. इसी साल अप्रैल में रिटायर हुए एस. जयशंकर टाटा समूह के नए ग्लोबल कॉरपोरेट अफेयर्स प्रेसीडेंट की जिम्मेदारी निभा रहे थे.

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विदेश सेवा में ऐसे बनाई पहचान

तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीते कार्यकाल में मोदी सरकार की आक्रामक विदेश नीति का आधार तैयार करने में एस. जयशंकर का हाथ माना जाता है. कहा जाता है कि वह शांत प्रकृति के ऐसे अधिकारी हैं जिनके रहते विदेश नीति में कई बदलाव हुए.

कूटनीति में माहिर हैं एस. जयशंकर

कहा जाता है कि अपनी बहुआयामी कूटनीतिक योग्यता की वजह से एस. जयशंकर ने मोदी सरकार में अपनी अलग जगह बना ली है. प्रधानमंत्री की गुडबुक में ही नहीं एस. जयशंकर ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भी भरोसा जीता है. राजनयिकों के साथ तमाम बैठकों में वह नरेंद्र मोदी के साथ हिस्सा लेते नजर आए हैं. कहा जाता है कि हाल ही में चीन से सीमा विवाद को सुलझाने में भी इनकी कूटनीति की ही भू‍मिका रही.

ये हैं खास पद भार

1985 से 1988: अमेरिका के भारतीय दूतावास में पहले सचिव  

2007 से 2009: सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त रहे

2009 से 2013 : चीन में भारत के राजदूत रहे

2015 से 2018:  भारत सरकार के विदेश सचिव

तमिल मूल के हैं एस जयशंकर

मूलत: तमिल परिवार में जन्मे 64 साल के एस जयशंकर की परवरिश दिल्ली में हुई. उन्होंने शुरुआती शिक्षा एयरफोर्स स्कूल से ली. उनके पिता के सुब्रह्मण्यम प्रशासनिक अधिकारी थे. वहीं भाई संजय सुब्रह्मण्यम एक जाने माने इतिहासकार हैं.

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इंडो न्यूक्लियर डील से जुड़े रहे  

एस जयशंकर ने विदेश सचिव के तौर पर अमेरिका, चीन समेत आसियान के खास कूटनीतिक असाइनमेंट पर काम किया. भारत और अमेरिका के बीच इंडो न्‍यूक्‍लियर डील में उनके खास रोल के बारे में उन्हें पहचाना जाता है.

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