केरल की राजनीतिक जमीन लेफ्ट-राइट का राजनीतिक अखाड़ा बनी हुई है. लेफ्ट के दुर्ग में कमल खिलाने के लिए बीजेपी हर संभव कोशिश में जुटी है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को मिशन केरल के दौरे पर हैं. इस दौरान योगी सूबे में लोकसभा चुनाव 2019 के प्रचार अभियान का आगाज करेंगे. माना जा रहा है कि योगी केरल में सबरीमाला मुद्दे को भी उठा सकते हैं.
योगी आदित्यनाथ दोपहर 2 बजे केरल के तिरुवनंतमपुरम, पथानमथिट्टा, अट्टिंगल और कोल्लम लोकसभा क्षेत्र के प्रभारियों के साथ पहले बैठक कर जीत का मंत्र देंगे. इसके बाद करीब साढ़े तीन बजे पथानमथिट्टा संसदीय क्षेत्र के बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.
बीजेपी केरल में अपने आधार को बढ़ाने के लिए हर दांव आजमा रही है. सबरीमाला के जरिए वो लेफ्ट के हिंदुत्व वोट को अपने पाले में लाने की कोशिश में है. माना जा रहा है कि बीजेपी इसी मद्देनजर कट्टर छवि के माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ के जरिए केरल में चुनावी अभियान की शुरुआत कर रही है.
दरअसल, बीजेपी देश की सत्ता पर काबिज होने के बाद से पश्चिम बंगाल और केरल में कमल खिलाने की कोशिशों में जुटी है. बीजेपी के लिए ये राज्य न सिर्फ सियासी रूप से उसके लिए अहम है बल्कि वामपंथ से वैचारिक दुश्मनी के चलते भी वो इन राज्यों में अपना आधार खड़ा करना चाहती है.
लेफ्ट-राइट के बीच हिंदू वोटों की लड़ाई
दरअसल, केरल में वामपंथी पार्टियों का आधार हिंदू वोटर हैं, तो वहीं कांग्रेस का ईसाई और मुस्लिम मतदाताओं में अच्छा आधार है. बीजेपी अभी तक केरल में सियासी जगह बनाने में सफल नहीं हो सकी है. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट राज्य में 6.4 फीसदी से बढ़कर 10.33 तक पहुंच गया था. एनडीए का कुल वोट राज्य में 15 फीसदी था. केरल विधानसभा चुनाव 2016 में बीजेपी ने खाता खोलने में कामयाब रही है. सूबे की 140 विधानसभा सीटों में से एक सीट नेमोम पर बीजेपी के राजगोपाल ने जीत हासिल की थी.
केरल का समीकरण
बता दें कि केरल के सामाजिक हालात देश के बाकी हिस्सों से एकदम अलग हैं. केरल में हिंदुओं की आबादी करीब 52 पर्सेंट है. इसके अलावा 27 फीसदी मुस्लिम और 18 फीसदी ईसाई आबादी है. सूबे में मुख्य मुकाबला लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन के बीच रहता है.