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योगी आदित्यनाथ बोले- मायावती ने सपा पर कर दी कृपा, 10 सीटें भी नाक रगड़कर लेते अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा और बसपा के गठबंधन को मजबूरी का सौदा करार दिया है. उन्होंने कहा सपा-बसपा का एक साथ आना भारतीय जनता पार्टी के लिए कोई चैलेंज नहीं है, बल्कि अब जब दोनों साथ आ गए हैं तो इन्हें निपटाना और आसान हो गया है.

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योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)

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उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा और बसपा के गठबंधन को 'मजबूरी का सौदा' करार दिया है. उन्होंने कहा सपा-बसपा का एक साथ आना भारतीय जनता पार्टी के लिए कोई चैलेंज नहीं है, बल्कि अब जब दोनों साथ आ गए हैं तो इन्हें निपटाना और आसान हो गया है.

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बसपा से ज्यादा सपा गठबंधन के लिए मजबूर थी. क्योंकि अगर ये गठबंधन नहीं करते तो अखिलेश कन्नौज की सीट भी नहीं बचा पाते, इटावा और मैनपुरी की सीट तो दूर की बात है. योगी ने कहा, 'मायावती ने सपा कृपा कर दी है, जरूरत से ज्यादा सीटें दे दिया. मायावती सपा को 10 सीटें भी देतीं तो अखिलेश नाक रगड़कर ले लेते. क्योंकि राज्य में सपा की स्थिति बेहद खराब है.'

...अब दोनों को निपटाना हुआ और आसान

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योगी ने दावा किया कि सपा उत्तर प्रदेश में 10 से ज्यादा सीटों पर चुनौती देने की स्थिति में नहीं है. कन्नौज की सीट बचाने के लिए अखिलेश ने गठबंधन किया है. योगी की मानें तो इस गठबंधन का असर चुनाव पर नहीं पड़ेगा और अब दोनों के साथ आने से इन्हें निपटाना और आसान हो गया है.  

कुंभ पर इंडिया टुडे (India Today Round Table on The Kumbh Mela in Prayagraj) के कार्यक्रम में योगी ने कहा, 'सपा और बसपा ने जिस प्रकार राजनीति की है वो जनता जानती है. 1993 से लेकर 1995 तक दोनों ने साथ मिलकर सरकार चलाई थी. उसके बाद भी दोनों ने अलग-अलग पूर्ण बहुमत वाली सरकार दी. इन्होंने केवल राज्य में जाति की राजनीति की.'

सपा पर योगी का प्रहार

सपा पर प्रहार करते हुए योगी ने कहा, 'इनकी सरकार में भ्रष्टाचारियों और गुंडों का बोलबाला था. चारों तरफ आराजकता का माहौल था. लूट-खसोट, दंगे करवाए जाते थे. इन्होंने केवल एक खास तबके की राजनीति की, लेकिन उनके हित में एक काम नहीं किया.'

उन्होंने कहा कि अखिलेश ने यह गठबंधन कर सबसे पहले मुलायम सिंह यादव को और पीछे धकेल दिया है. पिछले लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में मुलायम सिंह यादव को आगे किया था, क्या इस बार मायावती को आगे करेंगे? इन पार्टियों का बताना चाहिए कि इनका पीएम उम्मीदवार कौन है?

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नेतृत्वविहीन गठबंधन को जनता कतई स्वीकार नहीं करेगी. इस गठबंधन के पक्ष में मुलायम नहीं थे. अब जब गठबंधन हो ही गया है तो देखना ये है कि ये मुलायम को टिकट देते हैं या नहीं, हालांकि शिवपाल पहले ही कह चुके हैं हम नेताजी को टिकट देंगे.  

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