Suresh Mhatre
NCP (SP)
Kapil Moreshwar Patil
BJP
Nilesh Bhagwan Sambare
IND
Kanchan Vakhare
NEWRSP
Nota
NOTA
Tara Pintya Waghe
IND
Mumataz Ansari
BSP
Manisha S. Gondhale
IND
Manoj Govar Ture
IND
Jahid Murabtar Ansari
IND
Chandrakant Mote
IND
Rahul Ashok Kathole
IND
Ashok Bhiku Bahadare
SBP
Suresh Pandagale
APRAJP
Milind K. Kamble
IND
Akaram Abdul Hanan
AIMIM
Danish Ezaz Shaikh
BHMP
Harshad Ramesh Mhatre
IND
Mutkiri Shankar Nagesh
IND
Kapil Jayhind Patil
IND
Saifan Chand Pathan
BHMVP
Ranjana Ravi Tribhuwan
IND
Mohd. Kaleem Ansari
PPI(D)
Waseem Tufail Siddiqui
IND
Suresh Sitaram Mhatre
IND
Sonali Gangawane
IND
Aappa - Vishal Vijay More
IND
Ameerul Hasan Sayyed
IND
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महाराष्ट्र की भिवंडी लोकसभा सीट परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आई थी.  ठाणे जिले में आने वाली भिवंडी सीट परिसीमन के पहले डहाणू लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा थी. डहाणू से अलग होने के बाद भिवंडी में वो तीन विधानसभा आई जहां बीजेपी का दबदबा रहा. यही वजह है कि शिवसेना से गठबंधन के बाद बीजेपी इस सीट को अपने पास ही रखती आई है. 
भिवंडी में पहली बार 2009 में लोकसभा चुनाव हुआ था, जिसमें बीजेपी की हार हुई कांग्रेस के सुरेश तावरे जीते. जबकि बीजेपी के जगन्नाथ पाटिल को हार का सामना करना पड़ा. 
भिवंडी लोकसभा सीट की 6 विधानसभा सीटों पर हमेशा ही कांग्रेस और एनसीपी का दबदबा रहा है. 
ऐतिहासिक रूप से, भिवंडी में कोली और कोंकणी लोग रहते थे. हालांकि, 20वीं सदी के अंत में, भिवंडी एक छोटा सा शहर बन गया. शहर में कपड़ा उद्योगों के तेजी से उछाल ने भी मुख्य रूप से प्रवासियों को आकर्षित किया. भिवंडी एक वाणिज्यिक शहर और एक प्रमुख व्यापार केंद्र है जो मुंबई को शेष भारत से जोड़ता है. शहर की मजबूत और लगातार बिजली और परिवहन बुनियादी ढांचे ने कई कपड़ा कंपनियों को आकर्षित किया. इसलिए 1930 के दशक में, शहर कपड़ा उद्योग का केंद्र बन गया, जिसके पास देश में सबसे ज्यादा पावरलूम और हैंडलूम हैं. साथ ही, अधिकांश आबादी पावरलूम  क्षेत्र में काम कर रही है. दूसरा सबसे बड़ा पावरलूम होने के कारण, भिवंडी एशिया के सबसे बड़े वेयरहाउसिंग हब में से एक है क्योंकि इसमें भारत के कुछ सबसे बड़े गोदाम हैं. इसके अलावा, शहर में कामवाड़ी नदी (अब बंदर मोहल्ला) पर एक मसाला बंदरगाह भी है.    
2019 का जनादेश
इस सीट पर बीजेपी ने तत्कालीन सांसद कपिल पाटिल को टिकट दिया था. जबकि कांग्रेस ने पूर्व सांसद सुरेश तावड़े को उम्मीदवार बनाया था. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं.
इश सीट से बीजेपी के कपिल पाटिल ने जीत दर्ज की, उन्हें 5,23,583 वोट मिले थे. तो वहीं कांग्रेस के सुरेश तावड़े 3,67,254 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे और वीबीए के अरुण दामोदर सावंत 51,455 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे. भिवंडी लोकसभा सीट पर 52.69 फीसदी मतदान हुआ था. 
2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में यहां बीजेपी के कपिल पाटिल ने चुनाव जीता था. उन्हें 4,11,070 वोट हासिल हुए थे. उन्होंने कांग्रेस के विश्वनाथ पाटिल को चुनाव हराया. उन्हें 3,01,620 वोट हासिल हुए थे. वहीं, मनसे के सुरेश महात्रे तीसरे स्थान पर रहे. उन्हें 93,647 वोट मिले थे.
Taware Suresh Kashinath
INC
Prof. (dr.) Arun Savant
VBA
Nitesh Raghunath Jadhav
IND
Nota
NOTA
Deepak Pandharinath Khambekar
IND
Suhas Dhananjay Bonde
IND
Ansari Mumtaz Abdulsattar
BARESP
Balaram Vitthal Mhatre
IND
Dr. Nooruddin Nizam Ansari
SP
Sanjay Ganapat Wagh
BTP
Kapil Jayhind Patil
IND
Engineer Navid Betab
IND
Feroz Abdurrahim Shaikh
JANADIP
Kapil Yashwant Dhamane
IND
Kishor Rambhauji Kinkar
BHAPRAP
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं. शरद पवार का दावा है कि एनसीपी केस में सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों का अजित पवार ने बिलकुल भी पालन नहीं किया है.
समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आम दिनों में भी एक-दूसरे को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते, अभी तो यूपी में उपचुनाव का ही माहौल है - लेकिन, अखिलेश यादव का ताजा हमला तुक्का ज्यादा लग रहा है.
'बंटेंगे तो कटेंगे' के जरिये शुरुआत तो योगी आदित्यनाथ ने की थी, लेकिन संघ के एनडोर्समेंट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे चुनाव कैंपेन से जोड़ दिया है - साफ है, लोकसभा चुनाव में INDIA ब्लॉक की जातीय राजनीति से बीजेपी काफी परेशान है.
महाराष्ट्र में सियासी पारा चढ़ने लगा है. शरद पवार की एनसीपी ने जैसे ही भिवंडी लोकसभा सीट के लिए सुरेश म्हात्रे को उम्मीदवार घोषित किया, वैसे ही एमएमआरडीए के अधिकारी उनके वेयरहाउस पर कार्रवाई करने के लिए पहुंच गए. वहीं, इस करवाई को जितेंद्र आव्हाड ने शिंदे सरकार की सियासी रंजिश करार दिया है.