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लोकसभा चुनाव 2024 के 10 हैवीवेट... जनता को कितना कर पाएंगे इंप्रेस

इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायने में रोचक होगा. जहां नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री हैट्रिक की तैयारी में हैं तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष पार्टियों द्वारा बनाए गए INDIA गठबंधन ने प्रधानमंत्री चेहरे की घोषणा नहीं की है. यानी चुनाव बिना पीएम फेस लड़ा जाएगा. इस बार के चुनाव में कई ऐसे राजनीतिक चेहरे हैं, जिन पर देशभर के लोगों की नजर है.

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नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और असदुद्दीन ओवैसी
नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और असदुद्दीन ओवैसी

लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है. पूरा चुनाव 7 फेज में होगा और पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होगी. इलेक्शन की प्रक्रिया 43 दिन तक चलेगी और 4 जून को मतगणना के साथ ही नई सरकार का ऐलान हो जाएगा. सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी हैं. एक तरफ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए 400 प्लस का टारगेट लेकर चल रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां INDIA गठबंधन कर भारतीय जनता पार्टी के विजय रथ को रोकने की तैयारी कर रही है.

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इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायने में रोचक होगा. जहां नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री हैट्रिक की तैयारी में हैं तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष पार्टियों द्वारा बनाए गए INDIA गठबंधन ने प्रधानमंत्री चेहरे की घोषणा नहीं की है. यानी चुनाव बिना पीएम फेस लड़ा जाएगा. इस बार के चुनाव में कई ऐसे राजनीतिक चेहरे हैं, जिन पर देशभर के लोगों की नजर है. ये लगातार सुर्खियों में बने रहे हैं. फिर चाहे पीएम नरेंद्र मोदी हों या राहुल गांधी. असदुद्दीन ओवैसी हों या तेजस्वी यादव. हर कोई इस बार के चुनाव में अपनी-अपनी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा है. आइए जानते हैं ऐसे ही 10 बड़े चेहरों के बारे में-

नरेंद्र मोदी

लगातार तीसरे कार्यकाल की तलाश में नरेंद्र मोदी न केवल भारत पर अपने चुनावी प्रभुत्व की मुहर लगाना चाहते हैं, बल्कि हैट्रिक लगाकर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर इतिहास रचने की कवायद में हैं. पूरी तरह से अपने मजबूत राष्ट्रवाद के ब्रांड को आगे बढ़ाते हुए पीएम नरेंद्र मोदी अपनी "मोदी की गारंटी" और "विकसित भारत" के मुद्दे पर अपनी पार्टी बीजेपी का इस चुनाव में नेतृत्व कर रहे हैं. 73 वर्षीय नेता तीसरी बार कार्यालय में लौटने के आत्मविश्वास के साथ चुनावी मैदान में हैं. उन्होंने अपने अगले कार्यकाल के लिए खाका पर काम भी शुरू कर दिया है. मोदी वाराणसी से फिर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

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अमित शाह

मोदी सरकार की कैबिनेट में अघोषित 'नंबर 2' और बीजेपी के चुनावी रथ के 'चाणक्य' कहे जाने वाले अमित शाह भी बीजेपी की बड़ी जीत के लिए आश्वस्त नजर आ रहे हैं. मोदी सरकार 2.0 में गृह मंत्री बनकर अमित शाह ने देश में कई बड़े कदम उठाए हैं. चाहे अनुच्छेद 370 को निरस्त करना हो या सीएए कानून हो. गृह मंत्री के रूप में अमित शाह ने कई मुश्किल परिस्थितियों में सरकार को संभाला है. 59 वर्षीय शाह एक बार फिर चुनावी युद्ध के मैदान में अपनी पार्टी का नेतृत्व करते हुए एक जनरल के अवतार में नजर आएंगे. अमित शाह एक बार फिर गुजरात की गांधीनगर सीट से मैदान में हैं.

राहुल गांधी

बतौर कांग्रेस अध्यक्ष 2019 में पार्टी की करारी हार की जिम्मेदारी लेने वाले राहुल गांधी पिछले कुछ समय से सीरियस पॉलिटिक्स करते नजर आ रहे हैं. राहुल एक बार फिर केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. हालांकि इस बार वह कांग्रेस की विरासत कहे जाने वाली अमेठी सीट से चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर सस्पेंस है. कन्याकुमारी से कश्मीर भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल की छवि में बड़ा बदलाव किया है. हालांकि इस दौरान हुए राज्य चुनावों में पार्टी की स्थिति कुछ खास नजर नहीं आई. अब राहुल भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर रहे हैं. 53 वर्षीय गांधी फिर से लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कांग्रेस की गारंटी के साथ लोगों तक पहुंचे हैं. हालांकि यह लोगों को पसंद आएगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा. 

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मल्लिकार्जुन खड़गे

पार्टी कार्यकर्ता और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से सांसद हैं. अक्टूबर 2022 में उन्हें पार्टी की कमान मिली. 81 वर्षीय खड़गे को अब कांग्रेस का नेतृत्व करते हुए अपनी सबसे कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है. उनके नेतृत्व में यह पहला लोकसभा चुनाव होगा. इस चुनाव में पार्टी के सामने अस्तित्व का सवाल है और यह चुनाव खड़गे के लिए भी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है.

ममता बनर्जी

टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने अंततः पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करने से पहले सीट-बंटवारे को लेकर विपक्षी INDIA गठबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं. 69 वर्षीय बनर्जी बीजेपी का जोरदार मुकाबला कर रही हैं और भगवा पार्टी के साथ द्वंद्व में उलझी हुई हैं. जब भी विपक्षी दलों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन की बात आती है तो उनका मंत्र 'एक ला चलो' होता है, लेकिन वह बीजेपी के विरोध में वैचारिक मुद्दे पर दृढ़ दिखती हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में ममता के नेतृत्व में टीएमसी क्या खास कर पाती है, आने वाला समय ही बताएगा.

नीतीश कुमार

बिहार में सत्ता पर बने रहने और आसानी से पाला बदलने के अपने कौशल के लिए जाने जाने वाले नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले एक और पलटवार किया. 73 वर्षीय नेता का एनडीए में जाना, INDIA ब्लॉक के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ. उनके भाजपा के साथ हाथ मिलाने से बिहार में नाटकीय रूप से स्थिति बदल गई है और अब लोगों को उनके नवीनतम यू-टर्न पर अपना फैसला देना है. यानी इस लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पाला बदल राजनीति के चलते जेडीयू को कितना बिहार का साथ मिलता है, यह देखने वाली बात होगी.

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शरद पवार

अपने ही भतीजे अजित पवार से धोखा खाने वाले 83 वर्षीय मराठा कद्दावर नेता शरद पवार शायद अपने करियर के आखिरी पड़ाव में सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं. अपने कभी हार न मानने वाले रवैये के लिए जाने जाने वाले पवार को चतुर राजनीतिक के तौर पर जाना जाता है. जानकारों की मानें तो वह अब भी महाराष्ट्र में एनडीए के लिए कांटा साबित हो सकते हैं क्योंकि वह भाजपा को कड़ी चुनौती देने के लिए महाविकास अघाड़ी के साथ मिलकर कुछ कमाल कर सकते हैं.

एमके स्टालिन

द्रमुक सुप्रीमो एमके स्टालिन ने तमिलनाडु में अपना प्रभुत्व स्थापित किया है और दक्षिणी राज्य में भाजपा के आक्रमण को कड़ा प्रतिरोध देने का काम किया है. वामपंथियों और कांग्रेस को साथ लेकर स्टालिन से तमिलनाडु में विपक्षी गुट को जरूरी चुनावी बढ़त दिलाने की उम्मीद है. 71 वर्षीय स्टालिन भी गांधी परिवार के कट्टर समर्थक हैं, लेकिन उनकी पार्टी के नेताओं की 'सनातन धर्म' पर विवादास्पद टिप्पणियों ने कई मौकों पर INDIA गठबंधन को बैकफुट पर ला दिया है और उत्तर में उन्हें नुकसान हो सकता है. 

तेजस्वी यादव

आरजेडी नेता और लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी को नीतीश कुमार की पाला बदल राजनीति से हाल ही में बड़ा झटका लगा. लेकिन इसके बाद से INDIA गठबंधन में उनका कद बढ़ गया है. 34 वर्षीय तेजस्वी ने बिहार में विपक्षी गुट का उत्साहपूर्वक नेतृत्व किया है और कई लोग उन्हें बिहार में अपने पिता लालू प्रसाद की विरासत के सक्षम उत्तराधिकारी के रूप में देखते हैं. जमीन पर लोगों के साथ अपनी केमिस्ट्री से वह एनडीए के गणित को बिगाड़ पाएंगे या नहीं, इसका परीक्षण लोकसभा चुनाव में होगा. 

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असदुद्दीन ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अक्सर राज्य चुनावों में विपक्षी गुट के लिए 'बिगाड़ने' की भूमिका निभाई है और कुछ नेताओं ने उन्हें भाजपा की बी-टीम करार दिया है. 54 साल के औवेसी इस बार के लोकसभा चुनावों में भी कई राज्यों में उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं. हालांकि इस चुनाव में वह क्या खास करेंगे, यह देखने वाली बात होगी.

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