scorecardresearch
 

भाई असदुद्दीन ओवैसी की सीट से अकबरुद्दीन ने भी किया नामांकन, सामने आई ये वजह

अकबरुद्दीन फिलहाल पार्टी के सिंबल पर चंद्रायनगुट्टा से विधायक हैं. इतना ही नहीं, कुछ घंटे पहले तक वह अपने भाई असदुद्दीन ओवैसी के लिए हैदराबाद के अलग-अलग इलाकों में जाकर प्रचार भी रहे थे. अब ऐसे में राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या हैदराबाद सीट से दोनों भाई आमने-सामने होंगे?

Advertisement
X
अकबरुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा के लिए नामांकन किया
अकबरुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा के लिए नामांकन किया

देश की सबसे चर्चित लोकसभा सीटों में से एक हैदराबाद पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ने भी नामांकन कर दिया है. अकबरुद्दीन फिलहाल पार्टी के सिंबल पर चंद्रायनगुट्टा से विधायक हैं. इतना ही नहीं, कुछ घंटे पहले तक वह अपने भाई असदुद्दीन ओवैसी के लिए हैदराबाद के अलग-अलग इलाकों में जाकर प्रचार भी रहे थे. अब ऐसे में राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या हैदराबाद सीट से दोनों भाई आमने-सामने होंगे? क्या ओवैसी भाइयों के बीच सब सही है? इन सवालों पर विराम लगाते हुए जवाब भी सामने आ गया है. 

Advertisement

दरअसल, AIMIM ने अकबरुद्दीन ओवैसी का बैकअप या वैकल्पिक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन कराया है. ऐसा इसलिए कि किन्हीं कारणों से अगर असदुद्दीन ओवैसी का नामांकन खारिज हो जाता है तो AIMIM के बार बैकअप के तौर पर अकबरुद्दीन ओवैसी का नामांकन रहेगा और पार्टी का एक उम्मीदवार चुनाव में बना रहेगा. यह पहली बार नहीं है जब AIMIM ने इस तरह की योजना अपनाई हो. इससे पहले राज्य के विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिला था. जहां अकबरुद्दीन ओवैसी ने चंद्रायनगुट्टा से अपना नामांकन दाखिल किया था, और बाद में उनके बेटे नूर उद्दीन औवेसी ने भी नामांकन दाखिल कर दिया था. बाद में बेटे ने अपना नामांकन वापस ले लिया था.

हैदराबाद पर 1984 से ओवैसी परिवार का कब्जा

बता दें कि हैदराबाद लोकसभा सीट ओवैसी परिवार का गढ़ माना जाता है. यहां AIMIM 1984 से लगातार जीतती आ रही है. इस सीट पर करीब 60 प्रतिशत मुसलमान तो करीब 40 प्रतिशत हिंदू आबादी है. हैदराबाद सीट पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के पिता दिवंगत सलाहुद्दीन ओवैसी 1984 से 1999 तक लगातार 6 चुनाव जीते. इसके बाद 2004 से लेकर 2019 तक, 4 बार से असदुद्दीन ओवैसी यहां से परचम लहरा रहे हैं. कुल मिलाकर 10 बार से लगातार इस सीट पर ओवैसी परिवार का कब्जा है. अबकी बार ओवैसी के सामने बीजेपी की मजूबत उम्मीदवार माधवी लता हैं. वह अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही हैं. वहीं कांग्रेस ने फिलहाल कोई उम्मीदवार यहां नहीं उतारा है. 

Advertisement

क्यों रखा जाता है वैकल्पिक उम्मीदवार?

यदि चुनाव अधिकारियों द्वारा जांच के बाद मुख्य उम्मीदवार की उम्मीदवारी खारिज कर दी जाती है या उम्मीदवार की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसे में वैकल्पिक उम्मीदवार पार्टी का मुख्य चेहरा बन जाता है. अधिकांश बड़ी राजनीतिक पार्टियों द्वारा एक विकल्प या एक कवरिंग उम्मीदवार को बैकअप के रूप में मैदान में उतारा जाता है. इस उम्मीदवार की उम्मीदवारी नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि तक ही रहती है. जब मुख्य उम्मीदवार का नामांकन चुनाव कार्यालय द्वारा अनुमोदित हो जाता है, तो वैकल्पिक का हलफनामा अमान्य घोषित कर दिया जाता है. कुछ पार्टियां ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में ऐसे उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारती हैं, जहां कांटे की टक्कर होती है. 

Live TV

Advertisement
Advertisement