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अरुणाचल विधानसभा में निर्विरोध जीत रहे 5 प्रत्याशी... चुनाव से पहले पहले BJP का बड़ा दावा

अरुणाचल में पांच सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध जीत दर्ज कर रहे हैं, इस स्थिति में 60 विधानसभा वाले अरुणाचल में 55 सीटों पर चुनाव होगा, जिसमें से पांच सीटों पर क्योंकि भाजपा पहले ही जीत दर्ज कर चुकी होगी तो वह पांच सीटों पर आगे रहेगी. 

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अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में निर्विरोध जीत रहे बीजेपी के 5 प्रत्याशी
अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में निर्विरोध जीत रहे बीजेपी के 5 प्रत्याशी

अरुणाचल प्रदेश में 19 अप्रैल को प्रदेश की 60 विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. इस बीच चुनाव से पहले प्रदेश कि सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा दावा किया है, पार्टी का कहना है कि उनके पांच प्रत्याशी निर्विरोध ही चुनाव जीत रहे हैं. दरअसल 27 मार्च तक प्रदेश में चुनाव के नामांकन को विड्रॉल का आखिरी दिन था. इससे पहले भाजपा के सात प्रत्याशियों के खिलाफ किसी ने नामांकन दर्ज ही नहीं किया. 

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इसमें खास बात यह है कि प्रदेश के सीएम पेमा खांडू और डिप्टी सीएम के खिलाफ भी किसी प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल नहीं किया है. ऐसे में ये सभी प्रत्याशी निर्विरोध चुनाव जीत रहे है. 

निर्विरोध चुनाव जीतना क्या होता है, किस स्थिति में कोई प्रत्याशी निर्विरोध चुना जाता है और यह स्थिति कब बनती है, इस चुनावी प्रक्रिया को समझने के लिए हमने बात की पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत से जिन्होंने बताया कि कभी भी चुनाव की स्थिति तब बनती है जब एक सीट पर एक से ज्यादा कैंडिडेट नॉमिनेशन फाइल करते हैं और विड्रोल की आखिरी तारीख तक वह नाम वापस नहीं लेते हैं. 

अगर एक से ज्यादा कैंडिडेट होते हैं तो चुनाव होता है, लेकिन अगर किसी सीट पर या किसी पद के लिए चुनाव हो रहे हों और वहां सारे कैंडिडेट विड्रॉल की आखिरी तारीख से पहले अपना नाम वापस ले लेते हैं या किसी एक कैंडिडेट के खिलाफ कोई भी चुनाव लड़ता ही नहीं है ऐसी स्थिति में बिना चुनाव के ही अकेले कैंडिडेट जीत जाता है. जब भी किसी कैंडिडेट के खिलाफ कोई भी दूसरा प्रत्याशी खड़ा नहीं होता या नॉमिनेशन नहीं करता है तो उसे निर्विरोध जीत मिल जाती है और इसको ही निर्विरोध प्रत्याशी चुनाव जाना कहा जाता है. 

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ओपी रावत बताते हैं कि लोकल बॉडी इलेक्शन और म्युनिसिपल के चुनाव में इस तरीके की स्थिति बहुत आम होती है जहां कोई प्रत्याशी निर्विरोध ही चुना जाता है, क्योंकि लोकल बॉडी इलेक्शन में किसी प्रत्याशी का प्रभाव इतना ज्यादा होता है कि उनके विरोध में कोई खड़ा नहीं होता लेकिन ऐसी स्थिति अक्सर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में देखने को नहीं मिलती है. यानी ऐसी स्थिति बनती जरूर है, लेकिन बहुत कम ही जगह प्रत्याशी निर्विरोध चुने जाते हैं. वहीं अगर बात अरुणाचल प्रदेश की की जाए तो अरुणाचल में इससे पहले भी निर्विरोध प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. 

अब आपके मन में यह सवाल जरूर होगा कि आखिर अरुणाचल जैसी स्थिति किसी और राज्य में बनती है या बात अगर अरुणाचल की ही करें तो वहां आगे क्या होगा दरअसल अरुणाचल में पांच सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध जीत दर्ज कर रहे हैं, इस स्थिति में 60 विधानसभा वाले अरुणाचल में 55 सीटों पर चुनाव होगा, जिसमें से पांच सीटों पर क्योंकि भाजपा पहले ही जीत दर्ज कर चुकी होगी तो वह पांच सीटों पर आगे रहेगी. 

आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि भारत में निर्विरोध चुनाव जीतने को लेकर कोई अलग से नियम नहीं बनाया गया है, चुनाव आयोग की मानें तो भारत में चुनाव की प्रक्रिया बहुत सरल है जिसमें को भारत का कोई भी नागरिक जिसकी उम्र 25 साल से ज्यादा है वह चुनाव में प्रत्याशी बन सकता हैं, प्रत्याशी बनने के बाद अगर उनको जनता का मत मिलता है तो वह चुनाव जीत जाते हैं लेकिन निर्विरोध चुने जाने की स्थिति में अगर प्रत्याशी का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है तो या तो कोई उनके विरोध में चुनाव लड़ता ही नहीं है या फिर अगर कोई प्रत्याशी चुनावी नामांकन भरत भी है तो वह विड्रोल से पहले उसे वापस ले लेता है.

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