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बिहार की इन 11 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी Asaduddin Owaisi की पार्टी AIMIM

असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार की 11 सीटों से उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है. इन 11 सीटों में किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, दरभंगा, भागलपुर, काराकाट, बक्सर, गया, मुजफरपुर और उजियारपुर शामिल हैे.

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असदुद्दीन ओवैसी (File Photo)
असदुद्दीन ओवैसी (File Photo)

लोकसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान से पहले ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा ऐलान किया है. ओवैसी ने बिहार की 11 सीटों पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है. AIMIM बिहार की किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, दरभंगा, भागलपुर, काराकाट, बक्सर, गया, मुजफरपुर और उजियारपुर सीट से अपने प्रत्याशी उतारेगी.

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असदुद्दीन ओवैसी ने पहले ही बिहार में अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारने के संकेत दे दिए थे. हालांकि, तब उन्होंने सिर्फ बिहार की किशनगंज सीट पर ही कैंडिडेंट उतारने की बात कंफर्म की थी. दरअसल, बिहार के किशनगंज में पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता मोहम्मद जावेद ने बाजी मारी थी. इतना ही नहीं, 2019 में बिहार में कांग्रेस सिर्फ इसी सीट पर चुनाव जीती थी.

बता दें कि बिहार की किशनगंज लोकसभा सीट देश की एक ऐसी चुनिंदी सीट है, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं जबकि मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में है. किशनगंज लोकसभा सीट 1957 में बनी और 1967 में इस सीट पर एक मात्र हिंदू उम्मीदवार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के एलएल कपूर ने जीत हासिल की थी. किशनगंज में 68 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है, जबकि 32 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है. ऐसे में इस सीट पर सभी पार्टियां मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारती हैं.

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तेलंगाना विधानसभा चुनाव में चमकी थी AIMIM

हाल ही में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए थे. 119 विधानसभा सीटों वाले राज्य में ओवैसी ने हैदराबाद के आसपास की सिर्फ 9 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे थे. इन 9 सीटों में सात हैदराबाद से आती हैं. एमआईएम ने चारमीनार, बहादुरपुरा, मलकपेट, चंद्रयानगुट्टा, नामपल्ली, याकुतपुरा, कारवां, राजेंदर नगर और जुबली हिल्स पर कैंडिडेट खड़े किए थे. इनमें से AIMIM ने चारमीनार, बहादुरपुरा, मलकपेट, चंद्रयानगुट्टा, नामपल्ली, याकुतपुरा, कारवां यानी 7 सीटों पर जीत हासिल की थी.

ये है AIMIM का इतिहास

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को मजलिस के नाम से भी जाना जाता है. इसकी शुरुआत हैदराबाद में सामाजिक-धार्मिक संस्था के रूप में हुई थी. नवाब महमूद नवाज खान ने साल 1928 में मजलिस की स्थापना की थी. 1948 तक वह इस संगठन को चलाते रहे. आजादी के बाद जब 1948 में हैदराबाद का भारत में विलय हुआ, तब भारत सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया और तत्कालीन अध्यक्ष कासिम राजवी को गिरफ्तार कर लिया गया था. जेल से छूटने के बाद राजवी पाकिस्तान चले गए. उन्होंने इस संगठन की जिम्मेदारी उस समय के मशहूर वकील अब्दुल वहाद ओवैसी को दे दी थी. अब्दुल वहाद ओवैसी पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के दादा थे. 1957 में अब्दुल वहाद ओवैसी ने मजलिस को राजनीतिक पार्टी बना लिया और इसके नाम में 'ऑल इंडिया' जोड़ दिया. 1976 में पार्टी की जिम्मेदारी अब्दुल वहाद ओवैसी के बेटे सलाहुद्दीन ओवैसी को दी गई. वह 2004 तक लगातार 6 बार हैदराबाद के सांसद चुने गए. अब सलाहुद्दीन ओवैसी के बेटे असदुद्दीन ओवैसी पार्टी के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद हैं.

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