बिहार में लोकसभा सीट बंटवारे को लेकर राजद और कांग्रेस के बीच चल रही खींचतान को लेकर मंगलवार को बैठक हुई. एक सप्ताह से अधिक की खींचतान और राजद की ओर से अकेले ही बिहार में चार उम्मीदवारों की घोषणा करने के बाद आखिरकार कांग्रेस और राजद के बीच हुई बैठक में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव मुकुल वासनिक के आवास पर पहुंचे. इस मौके पर कांग्रेस के बिहार अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश भी मौजूद रहे.
सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि दोनों के बीच 'आम सहमति' बन जाने के बावजूद बातचीत अभी भी जारी है और बुधवार यानी आज एक और बैठक होगी, जिसमें सीटों को लेकर डील पक्की हो सकती है. दरअसल, 27 मार्च को तेजस्वी की बेटी का जन्मदिन है, ऐसे में उम्मीद है कि बिहार के इंडिया ब्लॉक के लिए कुछ अच्छी खबर आ सकती है.
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क्या कांग्रेस और राजद में सब ठीक चल रहा है?
लालू यादव ने एक मुलाकात में इशारों-इशारों में कहा था कि गांधी परिवार में अब बहू लाने का समय आ गया है. लालू का इशारा राहुल गांधी की ओर था. राजद नेता ने जोर देकर कहा था कि गांधी परिवार को जल्द ही शादी के बंधन में बंधना चाहिए. इसके बाद एक मौके पर राहुल गांधी, लालू यादव से खाना बनाते सीख रहे थे, जिसका वीडियो भी सामने आया था.
'गठबंधन टूटने की अटकलें भाजपा फैला रही है'
दिल्ली के 48 लोधी एस्टेट में मंगलवार की बैठक के बाद तेजस्वी ने दोहराया कि इंडिया ब्लॉक के सदस्यों के बीच सहमति है और गठबंधन टूटने की अटकलें भाजपा द्वारा बनाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि हमारे बीच शुरू से ही एक समझ है. राजद, वाम दल और कांग्रेस मिलकर भाजपा की विचारधारा के खिलाफ लड़ रहे हैं. हम सभी मिलकर NDA के लिए बड़ी चुनौती पेश करेंगे.
'पप्पू यादव' के लिए लिटमस टेस्ट?
पूर्व निष्कासित राजद नेता पप्पू यादव के INDIA गठबंधन में शामिल होने के बाद ही सीटों की डील में रुकावट आ गई. लालू के कट्टर आलोचक पप्पू यादव ने पार्टी मुख्यालय में अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर ही दिया था कि नाराज राजद ने पूर्णिया से बीमा भारती (जेडीयू विधायक हाल ही में राजद में शामिल हुई) की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी. यह कांग्रेस के लिए एक झटका माना गया, क्योंकि जाहिर तौर पर यह सीट पप्पू यादव को सौंप दी गई थी, जिन्होंने कहा था कि 'पूर्णिया मेरी मां है और मैं पूर्णिया कभी नहीं छोड़ूंगा और न ही कहीं और से चुनाव लड़ूंगा.'
दरअसल, दिल्ली में पार्टी के विलय से ठीक एक दिन पहले पप्पू यादव ने पटना में लालू से मुलाकात की थी, लेकिन पूर्णिया उनके लिए छोड़े जाने पर राजद की ओर से पप्पू यादव को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. पप्पू यादव ने दावा किया कि लालू ने उन्हें मधेपुरा से लड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया. पप्पू यादव भले ही कांग्रेस नेतृत्व से सौदेबाजी की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन उनके लिए आगे की राह कठिन लगती है.
कितना मुश्किल हो सकता है सीटों का बंटवारा
कांग्रेस ने नवादा, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, कटिहार और पूर्णिया की सीटों के लिए एक लिस्ट तैयार की थी. हालांकि, राजद द्वारा गया (कुमार सर्वजीत), औरंगाबाद (अभय कुशवाहा), नवादा (श्रवण कुशवाहा) और जमुई (अर्चना रविदास) के लिए उम्मीदवारों की घोषणा से उनकी उम्मीदें पर पानी फिर गया.
कांग्रेस को लुभाने के लिए राजद लगभग छह सीटें देने को तैयार थी. एक वरिष्ठ नेता ने इस बात का डर जताया कि कहीं कांग्रेस का अंत अतीत की तरह न हो जाए. क्योंकि राजद जिन सीटों का ऑफर दे रहा है, उनमें पटना साहिब, नालंदा, समस्तीपुर, सासाराम और भागलपुर है, जो ज्यादातर एनडीए के गढ़ हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए वहां से लड़कर जीतना चुनौती हो सकता है.
कटिहार सीट विवाद की जड़
दरअसल, कटिहार सीट राजद और कांग्रेस के बीच विवाद की जड़ बनी हुई है. राजद इसे अपने पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम और कांग्रेस नेता तारिक अनवर के लिए चाहता था. हालांकि, अगर कटिहार कांग्रेस के पास जाता है तो उसके लिए पूर्णिया के लिए मोलभाव करने की बहुत कम गुंजाइश है और पप्पू यादव मुश्किल में पड़ जायेंगे. दोनों पार्टियां जानती हैं कि अब समय कम बचा है और जल से जल्द सीटों के बंटवारे का समय आ गया है.