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ना हंसराज हंस, ना गौतम गंभीर, दिल्ली में 6 सांसदों का पत्ता साफ... समझिए राजधानी जीतने की BJP की रणनीति

बीजेपी ने बुधवार को जारी अपनी दूसरी लिस्ट में दिल्ली की बची हुई दोनों सीटों पर भी उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. इसी के साथ पार्टी ने राष्ट्रीय राजधानी की सभी 7 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की दी है. हालांकि बीजेपी ने इस बार 7 में से अपने 6 सांसदों का टिकट काट दिया है. इसके पीछे कई वजह सामने आ रही हैं.

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हंसराज हंस और गौतम गंभीर की जगह नए चेहरों को मौका दिया गया है
हंसराज हंस और गौतम गंभीर की जगह नए चेहरों को मौका दिया गया है

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट भी जारी कर दी है. बुधवार को जारी हुई इस लिस्ट में दिल्ली के बची हुई दोनों सीटों पर भी उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया गया है. इसी के साथ बीजेपी ने दिल्ली में अपने सातों उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. दूसरी लिस्ट में बीजेपी ने हंसराज हंस और गौतम गंभीर की जगह दिल्ली के दो पूर्व मेयर पर भरोसा जताया है. योगेंद्र चंदोलिया नॉर्थ दिल्ली एमसीडी के मेयर रह चुके हैं और दिल्ली बीजेपी के महासचिव हैं. वहीं हर्ष मल्होत्रा भी पूर्वी दिल्ली एमसीडी के मेयर रह चुके हैं. 

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सात सीटों पर इस बार 6 नए चेहरे मैदान में हैं, सिर्फ उत्तर पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी को फिर से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. बाकी सभी 6 सांसदों का टिकट बीजेपी ने काट दिया है. इनमें से गौतम गंभीर पहले ही चुनाव न लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. दिल्ली में उम्मीदवारों को उतारने में बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग का भरपूर उपयोग किया है. कारण, पार्टी ने हंसराज हंस और गौतम गंभीर जैसे सांसदों का टिकट काटकर बाहरी होने का टैग हटाते हुए स्थानीय कार्यकर्ताओं को मौका दिया है. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं को बड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है. वहीं इस बार जिन नए चेहरों को मौका दिया गया है, उनके जरिए भी पार्टी बड़ा संदेश देना चाहती है.

कारण, पार्टी ने सभी बातों को ध्यान में रखते हुए नए उम्मीदवार का चयन किया है. जैसे नई दिल्ली में युवा चेहरे के तौर पर बांसुरी स्वराज को मौका दिया गया है. वहीं सभी जाति और धर्मों का भी ध्यान उम्मीदवारों का चयन करते हुए रखा गया है. पार्टी की रणनीति एक बार फिर राजधानी की सभी सीटों पर कब्जा करने की है. यही कारण है कि एंटी इनकंबेंसी और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को ध्यान में रखते हुए 6 सांसदों का टिकट काटा गया है.

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बीजेपी ने किन चेहरों पर इस बार लगाया दांव 

बता दें कि बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए 2 बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन की टिकट काटकर प्रवीण खंडेलवाल को चांदनी चौक लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. वहीं, पश्चिमी दिल्ली सीट से 2 बार के सांसद परवेश सिंह वर्मा की जगह कमलजीत सहरावत, दक्षिणी दिल्ली से बीजेपी ने रमेश बिधूड़ी की जगह रामवीर सिंह बिधूड़ी, नई दिल्ली लोकसभा सीट से मीनाक्षी लेखी की जगह दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को मैदान में उतारा है. उत्तर पश्चिमी दिल्ली से हंसराज हंस की जगह योगेश चंदोलिया को टिकट दिया गया है. पूर्वी दिल्ली से गौतम गंभीर की जगह हर्ष मल्होत्रा और उत्तर पूर्वी से फिर से मनोज तिवारी को मैदान में उतारा है.

निगम चुनाव में बीजेपी का हारना भी बड़ी वजह

बता दें कि पिछले 15 साल से बीजेपी दिल्ली नगर निगम में काबिज थी, लेकिन 2022 के नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी नाम बीजेपी को हरा दिया.  इसके पीछे बड़ी वजह थी कि दिल्ली के सातों सांसदों में से कोई भी सफाई के मुद्दे पर केजरीवाल का सामना करता नजर नहीं आया. इसके कारण बीजेपी को निगम चुनाव हारना पड़ा. सात सांसदों में से पांच सांसदों की परफॉर्मेंस खराब रही. सिर्फ दो ही सांसद निगम में अच्छी परफॉर्मेंस दिखा पाए. एक सांसद मनोज तिवारी और दूसरे गौतम गंभीर. यही वजह है कि मनोज तिवारी को एक बार फिर से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया. 

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अब इन सांसदों के टिकट कटने की बात करें तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह इनकी एंटी इनकंबेंसी है. वहीं दूसरी वजह कार्यकर्ताओं के बीच न जाना भी है. तीसरी वजह की बात करें तो दिल्ली की केजरीवाल सरकार की खिलाफ मुद्दों को जनता तक सही तरीके से न ले जाना बताया जा रहा है. चौथी वजह कार्यकर्ताओं के काम न होना है, जिससे कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी देखने को मिल रही थी. इसके अलावा मीडिया के सामने तो केजरीवाल को चुनौती देते थे, लेकिन सड़कों पर न तो आंदोलन करते नजर आते थे, न ही विरोध प्रदर्शन करते दिख रहे थे. इसके अलावा कई और मुद्दे शामिल हैं, जिनपर आम आदमी पार्टी को घेरा जा सकता था, लेकिन वर्तमान सांसदों ने उन्हें भुनाया नहीं.

गौतम गंभीर का क्यों काटा टिकट?

इंडियन क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान गौतम गंभीर पूर्वी दिल्ली से सांसद है.  गौतम गंभीर पूरे 5 साल अपने संसदीय क्षेत्र में कम बल्कि चुनावी मैदान में कमेंट्री करते ज्यादा नजर आए. नतीजा ये हुआ कि कार्यकर्ताओं से लेकर विधायकों और निगम पार्षदों में काफी ज्यादा नाराजगी थी. हालांकि गौतम गंभीर ने कई ऐसे कार्य अपने क्षेत्र में किए, जिनको इलाके की जनता ने सराहा भी. जैसे ₹1 में खाने की थाली देना. दूसरा गाजीपुर लैंड फील्ड साइड में कूड़े के भार को कम करना. हालांकि केजरीवाल सरकार पर बेबाकी से जवाब देने वाले गौतम गंभीर बहुत ही काम मुद्दों पर मीडिया के सामने आते थे. यही वजह थी, जिसके कारण उनकी परफॉर्मेंस राजनीति में काफी खराब दिखाई दे रही थी. इसके कारण उनका टिकट काटा गया. हालांकि टिकट कटने से पहले ही गौतम गंभीर ने ट्वीट करके सक्रिय राजनीति से त्याग देने का फैसला कर लिया था. 

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क्यों काटा गया हंसराज हंस का टिकट?

वेस्ट दिल्ली से मौजूदा बीजेपी सांसद हंसराज हंस के बारे में कहा जाता है कि वह न तो बीजेपी दफ्तर में नजर आते हैं और न ही अपने कार्यकर्ताओं के बीच. इतना ही नहीं, संसदीय क्षेत्र में भी वह न के बराबर देखने को मिले. इसके अलावा हंसराज हंस लोकसभा में भी काफी कम मुद्दों को उठाते नजर आते थे. संसदीय क्षेत्र में परफॉर्मेंस अच्छा न होना, साथ ही लोकसभा में न होना और जनता के मुद्दे न उठाना, यही वजह हैं कि सांसद हंसराज हंस का टिकट बीजेपी ने काट दिया. उनकी जगह पार्टी ने इस बार एक सक्रिय कार्यकर्ता योगेंद्र चंदोलिया को इस क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है.  

क्यों कटा डॉक्टर हर्षवर्धन का टिकट?

डॉ हर्षवर्धन चांदनी चौक लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद है. हर्षवर्धन का भी इस बार पार्टी ने टिकट काटकर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल को उम्मीदवार बनाया है. डॉ हर्षवर्धन का टिकट काटे जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण उनकी उम्र है. इसके अलावा कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी शामिल है. हर्षवर्धन एक साफ छवि वाले नेता हैं. वह कई बार विधायक रहे हैं. दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर भी रह चुके हैं. डॉ हर्षवर्धन इकलौते ऐसे सांसद हैं, जिन पर केजरीवाल सरकार और उनके विधायक भी हमला करने से पहले कई बार सोचते हैं.

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रमेश बिधूड़ी का क्यों कटा टिकट?

रमेश बिधूड़ी साउथ दिल्ली से बीजेपी के सांसद हैं. रमेश बिधूड़ी का टिकट काटे जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण पिछले दिनों संसद के सत्र के दौरान बसपा के सांसद दानिश अली पर अभद्र टिप्पणी करना और उनसे बदसलूकी करना है. इसके अलावा वह कई बार इस तरह के बयान भी दे चुके हैं, जिससे पार्टी की छवि को प्रभाव पड़ा है.

प्रवेश वर्मा का क्यों कटा टिकट?

प्रवेश वर्मा वेस्ट दिल्ली से बीजेपी के सांसद हैं. प्रवेश वर्मा का टिकट कटने के पीछे एंटी इनकंबेंसी सबसे मुख्य कारण है. इसके अलावा कार्यकर्ताओं में भी इनके खिलाफ नाराजगी थी. प्रवेश वर्मा यूं तो वेस्ट दिल्ली से सांसद हैं, लेकिन वह नई दिल्ली में रहते हैं और अपने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से कम मिलते हैं. इसके अलावा वह हार्डकोर मुद्दों पर अपनी बयानबाजी देते नजर आते थे. यही सब कारण है कि पार्टी ने इस बार उनका टिकट काट दिया. 

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