पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के मटुआ-बाहुल्य ठाकुरनगर इलाके में रविवार रात नाटकीय दृश्य देखने को मिला. भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर और टीएमसी सांसद ममता बाला ठाकुर के समर्थक एक घर के नियंत्रण को लेकर आमने-सामने आ गए. दरअसल, यह घर 'बड़ोमां' (बड़ी मां) नाम से प्रसिद्ध मटुआ समुदाय की कुलमाता बीनापाणि देवी से जुड़ा है. वह पांच साल पहले अपनी मृत्यु तक इसी घर में रहती थीं.
टीएमसी के अनुसार, यह घटना तब हुई जब शांतनु ठाकुर ने अपने समर्थकों के साथ कथित तौर पर बोरोमा के घर पर बलपूर्वक कब्जा करने की कोशिश की, जहां वर्तमान में ममता बाला रहती हैं. शांतनु बीनापाणि देवी के पोते हैं, जबकि ममता बाला ठाकुर उनकी बहू हैं. टीएमसी ने एक्स हैंडल पर घटना से जुड़ा एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, 'भाजपा की गुंडागर्दी चरम पर है. बनगांव से चौंकाने वाले दृश्य आ रहे हैं, जहां भाजपा उम्मीदवार शांतनु ठाकुर अपने गुंडों के साथ धारदार हथियार लेकर हमारी राज्यसभा सांसद ममता बाला ठाकुर के आवास पर हिंसक हमले की योजना बना रहे हैं.'
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कथित वीडियो में कुछ लोग घर का गेट तोड़ते नजर आ रहे हैं. शांतनु ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा, 'मेरे संपत्ति के कानूनी दावेदारों में से एक होने के बावजूद, ममता बाला ठाकुर पूरी संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर रही हैं और यहां तक कि इसके एक हिस्से को टीएमसी पार्टी कार्यालय में बदल रही हैं. मैं कानूनी उत्तराधिकारियों में से एक हूं और इस संपत्ति के आधे हिस्से पर मेरा अधिकार है. लेकिन ममता बाला ठाकुर ने अवैध रूप से इसका पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है.'
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ममता बाला ठाकुर ने आरोपों से इनकार किया है और घटना के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने कहा, 'मैंने गायघाटा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है, क्योंकि शांतनु ठाकुर और उनके सहयोगियों ने मेरे आवास में घुसने की कोशिश की थी. वे जबरन मेरे आवास में घुस आए.' शांतनु ठाकुर ने 2019 के लोकसभा चुनावों में बनगांव सीट पर अपने निकटतम टीएमसी प्रतिद्वंद्वी, ममता बाला ठाकुर को हराया था. ये दोनों मटुआ समुदाय के प्रभावशाली नेता हैं. बता दें कि मटुआ समुदाय के बीच सीएए और एनआरसी मुद्दे मुख्य चुनावी मुद्दे थे.
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मतुआ समुदाय अनुसूचित जाति (SC) के रूप में वर्गीकृत, हिंदू शरणार्थी हैं. बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होने के बाद इस समुदाय ने पश्चिम बंगाल की ओर पलायन शुरू किया. मतुआ पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है. मतुआ समुदाय की ज्यादातर आबादी उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में केंद्रित है. इनका प्रभाव नादिया, हावड़ा, कूच बिहार, उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर और मालदा जैसे सीमावर्ती जिलों में है.