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मंच पर मां... Hajipur में Chirag Paswan ने एक ही दांव से BJP और चाचा पारस पर बढ़ाया इमोशनल दबाव

बिहार के हाजीपुर में एक जनसभा के दौरान रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान भी बेटे चिराग के साथ मंच पर नजर आईं. चिराग ने अपनी मां को मंच पर उतारकर चाचा पशुपति पारस और बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया है.

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चिराग पासवान और उनकी मां रीना पासवान (फोटोः ट्विटर)
चिराग पासवान और उनकी मां रीना पासवान (फोटोः ट्विटर)

लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार की हाजीपुर सीट का पेच और उलझता नजर आ रहा है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान अपने पिता की परंपरागत सीट रही हाजीपुर से अपनी माता रीना पासवान को चुनाव लड़ाने का ऐलान कर चुके हैं. अब चिराग अपनी माताजी को मंच पर लेकर आ गए हैं. चिराग ने लोगों से इस बार अपनी पार्टी के पक्ष में रिकॉर्ड वोटिंग की अपील की. चिराग का अपनी माताजी को मंच पर उतार लाना, अपनी पार्टी के पक्ष में रिकॉर्ड मतदान की अपील करना इस बात का संकेत माना जा रहा है कि वह अपने पिता के गढ़ हाजीपुर में खुलकर खेलने की तैयारी में है.

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दरअसल, चिराग पासवान ने हाजीपुर में एक बड़ी रैली को संबोधित किया. चिराग ने इस रैली को संबोधित करते हुए दो बार अपने पिता की रिकॉर्ड अंतर से जीत को भी याद किया और यह उम्मीद भी जताई कि हाजीपुर की जनता इस बार लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए जब वोटिंग करेगी, नया रिकॉर्ड बनाएगी. उन्होंने अपने पिता रामविलास को मिले हाजीपुर की जनता के प्यार का भी जिक्र किया और यह मंशा भी जता दी कि वह इस बार यहां से अपनी माता रीना पासवान को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं.

इमोशनल कार्ड खेल चाचा और बीजेपी, दोनों को फंसा गए चिराग

यह पहला मौका था जब रीना पासवान बेटे चिराग के साथ किसी राजनीतिक मंच पर पहुंची थीं. रीना को मंच पर लाकर चिराग इमोशनल कार्ड खेल गए. हाजीपुर की जनता के रामविलास पासवान से कनेक्ट को फिर से जोड़ने के लिए चिराग का मां को आगे करना ब्रम्हास्त्र की तरह माना जा रहा है. चिराग ने इस दांव से अब चाचा पशुपति पारस और गठबंधन का नेतृत्व कर रही बीजेपी को भी फंसा दिया है.

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पशुपति पारस (फाइल फोटो)
पशुपति पारस (फाइल फोटो)

पशुपति और बीजेपी, दोनों के लिए ही रीना का विरोध कर पाना मुश्किल होगा. पशुपति पारस भतीजे चिराग के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं लेकिन रामविलास पासवान की हमेशा तारीफ ही की है. अब अगर वह रीना की उम्मीदवारी का विरोध करते हैं तो इससे रामविलास के विरोध का संदेश जाने का खतरा होगा और इसका नुकसान हाजीपुर के साथ ही पूरे प्रदेश में उठाना पड़ सकता है. 

चिराग की एनडीए में वापसी से फंसा हाजीपुर सीट पर पेच

हाजीपुर लोकसभा सीट लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के संस्थापक रामविलास पासवान की परंपरागत सीट रही. रामविलास पासवान हाजीपुर सीट से रिकॉर्ड वोट से जीतकर लोकसभा पहुंचते रहे. 2019 के चुनाव में रामविलास ने अपनी सीट से अपने भाई पशुपति पारस को उतार दिया. पशुपति पारस हाजीपुर सीट से निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंचे और रामविलास खुद राज्यसभा से संसद पहुंचे.

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रामविलास ने पार्टी की कमान अपने बेटे चिराग को सौंप दी थी लेकिन उनके निधन के कुछ महीने बाद ही चाचा और भतीजा में पार्टी के नाम-निशान पर कब्जे की जंग छिड़ गई. पशुपति पारस ने चिराग को सभी पदों से हटाए जाने और पार्टी के नाम-निशान पर दावा कर दिया. पशुपति एलजेपी कोटे से केंद्र सरकार में मंत्री भी बन गए. चुनाव आयोग ने एलजेपी का सिंबल फ्रीज कर दिया और चाचा-भतीजा, दोनों ही धड़ों को अलग दल के रूप में मान्यता दे दी. अब पेच ये है कि चिराग की भी एनडीए में वापसी हो चुकी है.

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चिराग पासवान ने हाजीपुर में बड़ी रैली कर दिखाई ताकत (फोटोः ट्विटर)
चिराग पासवान ने हाजीपुर में बड़ी रैली कर दिखाई ताकत (फोटोः ट्विटर)

चिराग अपने पिता की परंपरागत सीट हाजीपुर पर दावा कर रहे हैं. चिराग का तर्क है कि यह सीट उनके पिता की है, उनके पिता कई बार संसद में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं इसलिए यहां से वही अपना उम्मीदवार उतारेंगे. चिराग ने पहले तो खुद हाजीपुर से लड़ने की मंशा जताई थी लेकिन बाद में यहा साफ किया था कि वह जमुई से ही लड़ेंगे और हाजीपुर से माता रीना पासवान को चुनाव लड़ाएंगे.

न भतीजा नरम, ना चाचा सीट छोड़ने को तैयार

अब समस्या इसलिए आ रही है क्योंकि चाचा और भतीजा दोनों की ही पार्टियां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले एनडीए में हैं. चाचा अपनी सीटिंग सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं तो भतीजा भी अपने पिता की परंपरागत सीट छोड़ने के मूड में नहीं. दोनों के अपने-अपने दावे हैं, अपने-अपने तर्क हैं. पशुपति यह तर्क देते रहे हैं कि उनके भाई ने ही उनको अपनी विरासत (हाजीपुर सीट) सौंपी थी. हाजीपुर सीट छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है. चिराग अपने पिता की सीट पर अपना दावा कर रहे हैं. ऐसे में सबसे अधिक मुश्किल बीजेपी के लिए है. देखना होगा कि बीजेपी हाजीपुर सीट का पेच सुलझाकर चाचा और भतीजा, दोनों को एक साथ, एक बैनर तले कैसे रख पाती है? किस तरह से बैलेंस बना पाती है?

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