बिहार को लेकर बीजेपी नीत एनडीए में शामिल दलों के बीच सीट बंटवारे पर अभी आम सहमति नहीं बनी है. इस बीच चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने राज्य की 11 लोकसभा सीटों के लिए प्रभारियों का ऐलान कर बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने हाजीपुर, जमुई, खगड़िया, समस्तीपुर, वैशाली, नवादा, गोपालगंज, सीतामढ़ी, वाल्मीकि नगर, जहानाबाद और बेगुसराय में प्रभारियों की नियुक्ति की है.
इस कदम को चिराग पासवान की ओर से बीजेपी को यह संदेश माना जा रहा है कि वह इन 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहते हैं. अरविंद कुमार सिंह- हाजीपुर, अमरनाथ सिंह- जमुई, सुरेश भगत- खगड़िया, मिथिलेश निषाद- समस्तीपुर, राकेश कुमार सिंह- वैशाली, अभय कुमार सिंह- नवादा, परशुराम पासवान- गोपालगंज, शाहनवाज अहमद कैफी- सीतामढ़ी, सुरेंद्र विवेक- वाल्मीकिनगर, इंदु कश्यप- बेगूसराय और रामाश्रय शर्मा- जहानाबाद के प्रभारी नियुक्त किए गए हैं. चिराग पासवान फिलहाल खुद जमुई से सांसद हैं. उन्होंने हाजीपुर सीट पर प्रभारी की नियुक्ति कर अपना दावा ठोक दिया है. बता दें कि उनके चाचा पशुपति पारस यहां से सांसद हैं. रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में टूट पड़ गई थी. पशुपति पारस राष्ट्रीय लोजपा और चिराग लोजपा रामविलास नाम से अलग अलग पार्टियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. नवादा से चंदन सिंह, खगड़िया से महबूब अली कैसर, वैशाली से वीना देवी, समस्तीपुर से प्रिंस राज राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद हैं.
बाकी की सीटों पर चिराग पासवान की पार्टी ने नया दावा ठोका है. सीट बंटवारे से पहले ही इन सीटों पर प्रभारियों की नियुक्ति का कारण पूछे जाने पर चिराग की पार्टी के सूत्रों ने मीडिया से कहा, 'ये सीटें हमारी प्राथमिकता में शामिल हैं और इनमें से बंटवारे में जो भी सीटें मिलेंगी, उन पर पार्टी चुनाव लड़ने के लिए तैयार है'. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में बिहार में एनडीए में तीन पार्टियां शामिन थीं बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी. जेडीयू और बीजेपी ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि एलजेपी के खाते में 6 सीटें गई थीं.
इस बार बिहार में एनडीए में 6 दल शामिल हैं- बीजेपी, जेडीयू, लोजपा रामविलास (चिराग पासवान), राष्ट्रीय लोजपा (पशुपति पारस), हम सेकुलर (मांझी) और राष्ट्रीय लोक जनता दल (उपेंद्र कुशवाहा). ऐसे में सीट शेयरिंग का फार्मूला पिछली बार से अलग होने की उम्मीद है. ऐसे में बीजेपी के सामने सभी सहयोगियों को संतुष्ट करने की चुनौती है. देखने वाली बात होगी कि क्या बीजेपी अपनी और जूडीयू की सीटों में कटौती कर अन्य एनडीए सहयोगियों को समायोजित करती है. और क्या जेडीयू 17 से कम सीटों पर लड़ने के लिए तैयार होती है.