पश्चिम बंगाल और पंजाब में जहां INDIA ब्लॉक की मुख्य पार्टी कांग्रेस को सहयोगी दलों से झटका मिला है तो वहीं उसके लिए अब उत्तर प्रदेश से राहत भरी खबर सामने आ रही है. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि कांग्रेस सपा ने कांग्रेस को 11 सीटे ऑफर की हैं. बीते दिनों ही यूपी में INDIA ब्लॉक के तहत सपा और रालोद का गठबंधन हुआ था जिसके तहत रालोद को 7 सीटें दी गईं हैं.
अखिलेश का पोस्ट
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, 'कांग्रेस के साथ 11 मज़बूत सीटों से हमारे सौहार्दपूर्ण गठबंधन की अच्छी शुरुआत हो रही है… ये सिलसिला जीत के समीकरण के साथ और भी आगे बढ़ेगा. ‘इंडिया’ की टीम और ‘पीडीए’ की रणनीति इतिहास बदल देगी.' पिछले दिनों सूत्रों के हवाले से खबर सामने आई थी कि यूपी में कांग्रेस 80 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.
सपा की तरफ से साफ किया गया है कि सपा ने कांग्रेस को 11 सीटें ऑफर की हैं, अगर कांग्रेस अखिलेश यादव को और सीटों पर जिताऊ उम्मीदवारों के बारे में बताती है तो यह सीटें बढ़ाई भी जा सकती हैं. शुरुआती तौर पर सपा ने कांग्रेस को यूपी में 11 सीटें ऑफर की हैं.
प्रदेश कांग्रेस ने जताई नाराजगी
कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व ने अखिलेश यादव के 11 सीटें देने के प्रस्ताव पर नाराजगी जताई है. प्रदेश के शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व ने कहा है कि यह अखिलेश यादव का एकतरफा यानि अपना फैसला है जिससे वो सहमत नहीं है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अखिलेश यादव की पोस्ट पर प्रतिक्रया दी है. उन्होंने कहा कि बातचीत अभी भी जारी है. तस्वीर साफ होने के बाद हम घोषणा कर सकेंगे.
वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने आज तक से बातचीत करते हुए कहा कि जो मेरी जानकारी में है कि अभी बातचीत चल रही है. हमारी राष्ट्रीय कमेटी इस पर जो बातचीत कर रही है. मुकुल वासनिक के नेतृत्व में जो कमेटी है, उसकी समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर्स के साथ अभी बातचीत चल रही है. 11 सीटों को लेकर हुए समझौते की बात की अभी जानकारी में नहीं है. अभी कुछ फाइनल नहीं हुआ है.
ऐसा रहा था 2019 का चुनाव परिणाम
आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में एसपी का कांग्रेस के साथ कोई औपचारिक गठबंधन नहीं था, लेकिन अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ने रायबरेली और अमेठी सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था, जहां कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी ने चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने सूबे की 80 में से 67 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. पार्टी 6.4 फीसदी वोट शेयर के साथ केवल एक सीट ही जीत सकी और तीन सीटों पर दूसरे स्थान पर रही. तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी अपनी सीट भी नहीं बचा पाए थे.
सपा, कांग्रेस और आरएलडी, तीनों ही दलों के अपने-अपने दावे के समर्थन में अपने-अपने तर्क हैं. लेकिन आंकड़े क्या कहते हैं? इसकी चर्चा भी जरूरी है. साल 2019 के चुनाव की बात करें तो सपा, बसपा और आरएलडी से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी थी. सपा ने 37 और बसपा ने 38 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. आरएलडी के हिस्से तीन सीटें आई थीं. सपा-बसपा-आरएलडी के गठबंधन ने सोनिया गांधी की सीट रायबरेली और अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे. तब सपा ने 18.1 फीसदी वोट शेयर के साथ 37 में से पांच सीटें जीती थीं और 31 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे. एक सीट पर पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी. सपा को कुल 1 करोड़ 55 लाख 33 हजार 620 वोट मिले थे.
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