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कांग्रेस ने कर्नाटक में लोकसभा के 60% टिकट परिवारवालों के बीच बांटे, भाजपा और JDS भी बहुत पीछे नहीं

इस 'पारिवारिक राजनीति' के रास्ते पर राज्य में भाजपा और जनता दल (एस) कांग्रेस से बहुत पीछे नहीं है. लेकिन मौजूदा समय में जहां एक ओर 140 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में अपना महत्व एक बार फिर से हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है तो वहीं दूसरी ओर पार्टी पहले से ही जड़ें जमा चुकी वंशवाद की राजनीति के आगे घुटने टेकती हुई दिख रही है.

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राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे (फाइल फोटो)
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे (फाइल फोटो)

राजनीति में परिवारवाद या फिर भाई-भतीजावाद या कुछ परिवारों का वर्चस्व कोई नई चीज नहीं है. परिवारवाद को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार विपक्ष के निशाने पर भी रहती है. इस बीच लोकसभा चुनावों को लेकर कर्नाटक में कांग्रेस ने 60% लोकसभी सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है जिनके रिश्तेदार पहले से ही राजनीति में हैं. इसके लिए दलील यह दी जा रही है कि मौजूदा परिस्थितियों में यह सर्वोत्तम उपलब्ध विकल्प है.      

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हालांकि इस 'पारिवारिक राजनीति' के रास्ते पर राज्य में भाजपा और जनता दल (एस) कांग्रेस से बहुत पीछे नहीं है. लेकिन मौजूदा समय में जहां एक ओर 140 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में अपना महत्व एक बार फिर से हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है तो वहीं दूसरी ओर पार्टी पहले से ही जड़ें जमा चुकी वंशवाद की राजनीति के आगे घुटने टेकती हुई दिख रही है. इस कदम से वैसे कार्यकर्ता नाराज हो रहे हैं जो लंबे समय से राज्य में पार्टी को लेकर वफादार रहे हैं.   

खड़गे कर रहे हैं नेतृत्व

कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से हैं. कांग्रेस अध्यक्ष के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि को पार्टी ने खड़गे के गृहनगर कलबुर्गी से टिकट दिया है. मल्लिकार्जुन खड़गे पर चुनाव लड़ने का दवाब था ताकि वो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी का रास्ता खुला रख सकें. लेकिन 2019 में भाजपा के उमेश जाधव से हारने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बार कोई जोखिम न उठाने का फैसला किया.     

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इसके अलावा राज्य में सिद्धारमैया सरकार के पांच मंत्रियों के परिवार वालों ने टिकट पाने में सफलता हासिल की.  इनमें रामलिंगा रेड्डी की बेटी सौम्या रेड्डी (बेंगलुरु दक्षिण सीट से), शिवानंद पाटिल की बेटी संयुक्ता पाटिल (बागलकोट से), ईश्वर खंड्रे के बेटे सागर खंड्रे (बीदर से), लक्ष्मी हेब्बालकर के बेटे मृणाल हेब्बालकर (बेलगाम से) और सतीश जारखिहोली की बेटी प्रियंका जारखिहोली (चिक्कोडी सीट से) से शामिल है.

साथ ही एक अन्य मंत्री एसएस मल्लिकार्जुन की पत्नी और कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष शमनूर शिवशंकरप्पा की बहू डॉ. प्रभा मल्लिकार्जुन को दावणगेरे से चुनावी मैदान में उतारा जा रहा है. इनका मुकाबला गायत्री सिद्धेश्वरा से है जो कि मौजूदा बीजेपी सांसद जीएम सिद्धेश्वरा की पत्नी हैं.

इनके अलावा कांग्रेस की टिकट पर जो चुनाव लड़ रहे हैं उनमें बेंगलुरु सेंट्रल से पूर्व केंद्रीय मंत्री रहमान खान के बेटे मंसूर अली खान, बेंगलुरु उत्तर से विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एमवी वेंकटप्पा के बेटे डॉ. राजीव गौड़ा, बेंगलुरु ग्रामीण से केपीसीसी प्रमुख डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश, हासन से पूर्व मंत्री पुट्टास्वामी गौड़ा के पोते श्रेयस पटेल, हावेरी के पूर्व विधायक गद्दादेवरमुट्ट के पुत्र आनंद गद्दादेवरमुट्ट, कोप्पल से पूर्व विधायक हितनाल के बेटे राजशेखर हितनाल, और मंत्री मधु बंगारप्पा की बहन गीता शिवराजकुमार शामिल हैं. 

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कांग्रेस पार्टी ने अब तक 28 में से 24 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. बची हुई चार सीटों पर जिन नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया है वो भी राजनीतिक परिवारों से आते हैं. इनमें चामराजनगर से मंत्री एचसी महादेवप्पा के बेटे सुनील बोस, कोलार से मंत्री केएच मुनियप्पा के दामाद चिक्कपेद्दन्ना, बेल्लारी से विधायक तुकाराम की पत्नी सुपर्णिका तुकाराम, और एमएलसी एमआर सीताराम के बेटे रक्षा रमैया का नाम शामिल है. 

लेकिन इसके वाबजूद न तो भाजपा और न ही JD(S) राज्य में इस स्थिति में हैं कि वो इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर सवाल उठा सकें. क्योंकि इन दोनों पार्टियों और कांग्रेस के बीच परिवार के बीच टिकट बांटने में कोई ज्यादा अंतर नहीं दिखता है. 

चार बार मुख्यमंत्री रह चुके वरिष्ट भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र को  हाल ही में पार्टी आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. विजयेंद्र भाजपा के विधायक हैं, जबकि येदियुरप्पा के बड़े बेटे राघवेंद्र सांसद हैं. राघवेंद्र शिवमोगा से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. वहीं बेंगलुरू दक्षिण से मैदान में उतरे तेजस्वी सूर्या भाजपा विधायक रवि सुब्रमण्यम के भतीजे हैं. 

वहीं JD(S) राज्य में जिन तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी उनमें से दो सीटों पर गौड़ा परिवार के सदस्य ही चुनावी मैदान में हैं. मांड्या से एचडी कुमारस्वामी और हासन से प्रज्वल रेवन्ना चुनाव मैदान में हैं. तो वहीं परिवार के तीसरे सदस्य डॉ. सीएन मंजूनाथ, जो कि देवेगौड़ा के दामाद हैं, बेंगलुरु ग्रामीण से बीजेपी के उम्मीदवार हैं.

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मतदाताओं से टूट रहा है संपर्क

जैसे-जैसे निर्वाचन क्षेत्रों का आकार बढ़ रहा है वैसे वैसे निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए अपने मतदाताओं के साथ व्यक्तिगत संपर्क बनाए रखना अधिक कठिन होता जा रहा है. जो सांसद और विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं को लागू करते हैं वो भी इसकी देखरेख एवं जिम्मा स्थानीय नेताओं और अपनी विश्वसनीय एजेंसियों पर छोड़ देते हैं. इसके कारण लोगों के बीच नेताओं की गैरमौजूदगी बढावा मिल रहा है. परिणामस्वरूप सत्ता में मौजूद लोगों को अपने रिश्तेदारों को राजनीति में प्रवेश कराने में आसानी होती है और उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहन भी मिलता है.

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