
लोकसभा चुनाव करीब आ चुके हैं. सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अगुवाई कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कठिन सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान करने की तैयारी में है तो वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग का पेच ही नहीं सुलझा है. इंडिया गठबंधन में राज्यों से लेकर दिल्ली तक सीट शेयरिंग पर मंथन के जारी है. बैठकों का दौर चल रहा है, नेताओं की मेल-मुलाकातें जारी हैं लेकिन यूपी और बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र दिल्ली और पंजाब तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या हो? अभी तक यह भी तय नहीं हो पाया है.
अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दलों के अपने-अपने फॉर्मूले हैं, अपनी-अपनी मांग है. बिहार में लालू यादव की अगुवाई वाला राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) हो या नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), दोनों में से कोई भी सीटों के मामले में त्याग को तैयार नजर नहीं आ रहा है. यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) के अखिलेश यादव ने अपनी लकीर खींच रखी है तो महाराष्ट्र में शिवसेना यूबीटी की भी अपनी ही मांग है. दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी पार्टी ने साफ कर दिया है कि गोवा, गुजरात और हरियाणा में भी सीटों को लेकर बात होगी.
इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर जारी माथापच्ची के बीच सवाल यह भी उठ रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी ही त्याग करने को तैयार हो जाए और सभी घटक दलों की डिमांड मान ले तो उसके पास क्या बचेगा?
यूपी में अखिलेश ने खींच रखी है लकीर
लोकसभा सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अलग ही लकीर खींच रखी है. अखिलेश यादव ने यह साफ कह दिया है कि यूपी में इंडिया गठबंधन का नेतृत्व सपा ही करेगी. सपा और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर एक तरफ बातचीत चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ अखिलेश पार्टी यह संदेश देने में भी जुटी है कि हम 65 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस अगर सपा की बात मान लेती है तो उसे बची 15 लोकसभा सीटों में ही जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक दल को भी एडजस्ट करना होगा. जयंत की पार्टी भी छह सीटों की डिमांड कर रही है. ऐसे में कांग्रेस के लिए 80 सीटों वाले यूपी में महज नौ सीटें ही बचेंगी.
बिहार में 17 से कम सीटों पर तैयार नहीं जेडीयू-आरजेडी
बिहार में आरजेडी और जेडीयू भी 17-17 सीट से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं. जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी यह साफ कह चुके हैं कि हमारे 16 सांसद हैं और इन सीटों पर कोई समझौता नहीं होगा. इन सीटों को छोड़कर बाकी सीटों पर समझौते की बात होगी. जेडीयू ने 2019 का चुनाव बीजेपी के साथ लड़ा था और पार्टी ने तब 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. जेडीयू की कोशिश अपने कोटे की 17 सीटें अपने पास बचाए रखने की है.
दूसरी तरफ, आरजेडी भी विधानसभा में सबसे बड़ा दल होने के नाते अधिक नहीं तो जेडीयू के बराबर सीटों की डिमांड कर रही है. आरजेडी, जेडीयू से कम सीटों पर मानने को तैयार नहीं है. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और इन्हीं दोनों दलों ने 34 सीटों पर दावा कर दिया है. लेफ्ट भी छह सीटों की डिमांड कर रहा है. अब अगर यह मान लें कि कांग्रेस सभी सहयोगियों की मांग मान लेती है तो सूबे में कांग्रेस को एक या दो सीट से ही संतोष करना पड़ जाएगा.
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बंगाल में दो सीट से अधिक देने को तैयार नहीं हैं ममता
यूपी और बिहार के बाद बंगाल में भी कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव से पहले अपने लिए गठबंधन में सीटें लेने की लड़ाई आसान नहीं है. पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी कांग्रेस को दो सीट से अधिक देने को तैयार नहीं हैं. अब एक चुनौती यह भी है कि लेफ्ट पार्टियां टीएमसी के साथ जाने को तैयार नहीं. अब अगर यह मान भी लें कि इंडिया गठबंधन सूबे में एकजुट होकर ही चुनाव मैदान में उतरता है तो फिर कांग्रेस दो सीटों में अपने साथ लेफ्ट को भी कैसे एडजस्ट करेगी?
महाराष्ट्र में 23 सीट की डिमांड कर रही शिवसेना यूबीटी
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना यूबीटी भी महाराष्ट्र में 23 सीट की डिमांड कर रही है. 2019 के चुनाव में बीजेपी के साथ मैदान में उतरी शिवसेना ने 23 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 18 सीटें जीती थीं. हालांकि, तब पार्टी एकजुट थी. तब एनसीपी को चार सीटों पर जीत मिली थी. उद्धव की पार्टी अब उन सीटों की डिमांड कर रही है जहां 2019 में उसने उम्मीदवार उतारे थे. एनसीपी भी करीब दर्जनभर सीटों की डिमांड कर रही है. वंचित बहुजन अघाड़ी भी करीब चार सीटों की डिमांड कर रही है. सूबे में कुल 48 सीटें हैं और कांग्रेस को छोड़ दें तो करीब 40 सीटें इंडिया गठबंधन के घटक दल ही मांग रहे हैं.
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गुजरात, गोवा, हरियाणा में भी सीटें मांग रही AAP
दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग पर समझौता कैसे होगा? सवाल यही उठ रहे थे कि अब आदम आदमी पार्टी ने गुजरात, गोवा और हरियाणा में भी सीटों की डिमांड कर दी है. आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि सीट शेयरिंग की बात होगी तो बस दिल्ली और पंजाब में ही नहीं, इन पांच राज्यों में होगी. दिल्ली में सात, पंजाब में 13, हरियाणा में 10, गुजरात में 26 और गोवा में दो सीटें हैं. आम आदमी पार्टी दिल्ली में चार, पंजाब में सात, हरियाणा में तीन और गुजरात-गोवा में एक-एक सीटों की डिमांड कर रही है. कांग्रेस हरियाणा, गुजरात और गोवा में अकेले जाना चाहती है. अब अगर कांग्रेस आम आदमी पार्टी की डिमांड मान लेती है तो उसके लिए दिल्ली में तीन, पंजाब में छह, गुजरात में 25, हरियाणा में सात और गोवा में एक सीट ही बचेगी.