scorecardresearch
 

भारत के परमाणु हथियार नष्ट करने के चुनावी वादे पर बवाल, विपक्ष ने भी बनाई CPM के घोषणापत्र से दूरी

पीएम मोदी ने कहा था कि विपक्षी गठबंधन में शामिल एक दल ने देश के खिलाफ खतरनाक ऐलान किया है. उन्होंने अपने मैनिफेस्टो में कहा है कि भारत के परमाणु हथियार नष्ट कर देंगे और उन्हें दरिया में डुबो देंगे. भारत जैसा देश जिसके दोनों तरफ पड़ोसियों के पास परमाणु हथियार हो. क्या उस देश में परमाणु हथियार समाप्त करना ठीक होगा? क्या परमाणु हथियार समाप्त होने चाहिए.

Advertisement
X
भारत की परमाणु क्षमता
भारत की परमाणु क्षमता

देश के परमाणु हथियारों को खत्म करने के वादे वाले सीपीआई (एम) के मेनिफेस्टो को लेकर इंडिया ब्लॉक बीजेपी के निशाने पर आ गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में राजस्थान के बाड़मेर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्षी पार्टी के परमाणु हथियारों को नष्ट करने के चुनावी वादे पर जमकर निशाना साधा था.

Advertisement

पीएम मोदी ने कहा था कि विपक्षी गठबंधन में शामिल एक दल ने देश के खिलाफ खतरनाक ऐलान किया है. उन्होंने अपने मेनिफेस्टो में कहा है कि भारत के परमाणु हथियार नष्ट कर देंगे और उन्हें दरिया में डुबो देंगे. भारत जैसा देश जिसके दोनों तरफ पड़ोसियों के पास परमाणु हथियार हो. क्या उस देश में परमाणु हथियार समाप्त करना ठीक होगा? क्या परमाणु हथियार समाप्त होने चाहिए.

उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि आपके ये साथी किसके इशारे पर काम कर रहे हैं. ये कैसा गठबंधन है, जो भारत को शक्तिहीन करना चाहता है. किसके दबाव में आपका ये गठबंधन हमारे परमाणु हथियारों को समाप्त करना चाहता है. मोदी देश को शक्तिशाली करना चाहता है. ये लोग देश को कमजोर बनाना चाहते हैं. हमें कमजोर देश मंजूर नहीं है. देश इनको सजा देगा.

Advertisement

बीजेपी के वरिष्ठ नेता कविंद्र गुप्ता ने कहा कि सीपीएम चीन के इशारों पर काम करती है. चुनाव आयोग को सीपीएम के देशविरोधी व्यवहार पर संज्ञान लेना चाहिए. बीजेपी के महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां भारत को कमजोर करना चाहती हैं. लेकिन देश के लोग उन्हें अपने एजेंडे में कामयाब होने नहीं देंगे. 

'परमाणु हथियारों को नष्ट करना संभव नहीं'

परमाणु हथियारों को नष्ट करने के सीपीएम के चुनावी वादे की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने भी आलोचना की. जेडीयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन ने भारत के रणनीतिक हितों के खिलाफ बयानबाजी के लिए विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि भारत एक सशक्त देश है और उसे अपनी इस लय को बरकरार रखने की जरूरत है.

कांग्रेस सहित विपक्ष ने बनाई दूरी

इस पूरे विवाद पर कांग्रेस ने दूरी बना ली है. कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इन सब बातों का जवाब सीपीआईएम ही देगी. इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है. 

समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि परमाणु हथियारों को नष्ट करना संभव नहीं है. हम ऐसा नहीं कर सकते. हम इसका समर्थन नहीं करेंगे. ऐसा कोई नहीं कर सकता. अगर हमारे पड़ोसी देशों के पास परमाणु हथियार हैं तो हमारे पास भी होने चाहिए.

Advertisement

हालांकि, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इस मामले पर कहा कि इसे गलत संदर्भ में लिया जा रहा है. आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पीएम मोदी हमेशा अपने भाषणों में पाकिस्तान और चीन का जिक्र करते हैं. सीपीआईएम के बयान को गलत संदर्भ में लिया जा रहा है. पीएम तलवार बांटने की बात करते हैं.

क्या कहता है सीपीएम का मेनिफेस्टो?

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने अपने घोषणापत्र में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) और नागरिकता संसोशधन अधिनियम (CAA) जैसे कानूनों को खत्म करने का वादा किया है.

सीपीआईएम ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि वह सत्ता में आने पर भारत के परमाणु हथियारों को खत्म कर देगी. साथ ही मिलिट्री बेसों को समात्प कर देगी. उसने कई राज्यों द्वारा बनाए गए धर्मांतरण विरोधी कानूनों को रद्द करने का वादा भी अपने मेनिफेस्टो में किया है और ‘नई पेंशन योजना’ को समाप्त करने का भी वादा किया है.

भारत और उसके पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन की परमाणु क्षमता

फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट का अनुमान है कि दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार अमेरिका और रूस के पास हैं. इसके मुताबिक, भारत के पास 160 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 165 हैं. चीन के पास 350 परमाणु हथियार हैं.

Advertisement

भारत ने पहली बार 18 मई 1974 को राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था. उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. इसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तो 11 से 13 मई 1998 के बीच पोखरण में एक बार फिर परमाणु परीक्षण हुआ. इस दौरान पांच परमाणु परीक्षण किए गए. अमेरिका और चीन समेत दुनिया के कई देशों ने इस पर आपत्ति जताई. 13 मई 1998 को भारत परमाणु संपन्न देश बना. अमेरिका ने भारत पर कई प्रतिबंध लगा दिए. विपक्षी पार्टियों ने भी घेरना शुरू कर दिया. 

Live TV

Advertisement
Advertisement