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'कृष्णानगर का क्लिनिक मेरा इंतजार कर रहा...' BJP से टिकट कटने के बाद डॉ. हर्षवर्धन ने राजनीति को कहा अलविदा

डॉ. हर्षवर्धन ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, '30 साल से अधिक के शानदार चुनावी करियर में मैंने सभी पांच विधानसभा और दो संसदीय चुनाव लड़े, जो मैंने बड़े अंतर से जीते और पार्टी संगठन और राज्य और केंद्र की सरकारों में कई प्रतिष्ठित पदों पर काम किया. अब मैं अपनी जड़ों की ओर वापसी चाहता हूं.'

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डॉ. हर्षवर्धन ने सक्रिय राजनीति से किया किनारा (फाइल फोटो)
डॉ. हर्षवर्धन ने सक्रिय राजनीति से किया किनारा (फाइल फोटो)

बीजेपी की ओर से 2024 के आम चुनाव के लिए जारी कैंडिडेट लिस्ट के आने के साथ पार्टी में राजनीति से दूरी बनाने का सिलसिला भी जारी है. जहां गौतम गंभीर और जयंत सिन्हा ने जहां लिस्ट आने से पहले ही खुद को सक्रिय राजनीति से अलग करने का आग्रह किया था, तो वहीं अब सूची जारी होने के बाद डॉ. हर्षवर्धन ने भी सक्रिय राजनीति से खुद को अलग कर लिया है. बता दें कि  शनिवार को बीजेपी ने जो टिकटों की घोषणा की थी उनमें डॉ. हर्षवर्धन का टिकट भी काट दिया था. अब उन्होंने X पर एक लंबी पोस्ट लिखकर राजनीति से दूरी बनाने के अपने फैसले का ऐलान किया है.

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हर्षवर्धन की जगह प्रवीण खंडेलवाल को दिया गया है टिकट
बता दें कि हर्षवर्धन चांदनी चौक लोकसभा सीट से वर्तमान में सांसद हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के आम चुनाव के लिए बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया है. इस बार के लिए पार्टी ने प्रवीण खंडेलवाल को चांदनी चौक से टिकट दिया है. बता दें कि हर्षवर्धन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं.

हर्षवर्धन ने लिखी पोस्ट
डॉ. हर्षवर्धन ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि, 'तीस साल से अधिक के शानदार चुनावी करियर में मैंने सभी पांच विधानसभा और दो संसदीय चुनाव लड़े, जो मैंने बड़े अंतर से जीते, और पार्टी संगठन और राज्य और केंद्र की सरकारों में कई प्रतिष्ठित पदों पर काम किया. अब मैं अपनी जड़ों की ओर वापसी के लिए अनुमति चाहता हूं. 

अन्त्योदय दर्शन को मानता आया हूंः हर्षवर्धन
पचास साल पहले जब मैंने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने की इच्छा के साथ जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में एमबीबीएस में प्रवेश लिया तो मानव जाति की सेवा ही मेरा आदर्श वाक्य था. दिल से एक स्वयंसेवक बनकर, मैं हमेशा कतार के अंतिम व्यक्ति की सेवा करने की कोशिश करता रहा हूं. इस तरह मैं दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय दर्शन को मानने वाला रहा हूं. तत्कालीन आरएसएस नेतृत्व के आग्रह पर मैं चुनावी मैदान आया. वे मुझे केवल इसलिए मना सके क्योंकि मेरे लिए राजनीति का मतलब हमारे तीन मुख्य शत्रुओं - गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ने का अवसर था.

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कोविड के दौरान मिला सेवा का मौका
हर्षवर्धन ने आगे लिखा कि, मेरी एक अद्भुत पारी रही जिसके दौरान आम आदमी की सेवा करने को मैं जुनूनी तौर पर जुटा रहा. मैंने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के साथ-साथ दो बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्य किया. यह विषय मेरे दिल के करीब है. मुझे पहले पोलियो मुक्त भारत बनाने की दिशा में काम करने और फिर COVID-19 के संक्रमण के दौरान उससे जूझ रहे हमारे लाखों देशवासियों के स्वास्थ्य की देखभाल करने का दुर्लभ अवसर मिला.

'मैंने जिम्मेदारी से नहीं मोड़ा मुंह'
मानव जाति के लंबे इतिहास में, केवल कुछ ही लोगों को गंभीर खतरे के घंटों में अपने लोगों की रक्षा करने का विशेषाधिकार दिया गया है, और मैं गर्व से दावा कर सकता हूं कि मैंने जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ा, बल्कि इसका स्वागत किया. मां भारती के प्रति मेरी कृतज्ञता, मेरे साथी नागरिकों के प्रति मेरी श्रद्धा और हमारे संविधान में निहित मूल्यों के प्रति मेरी श्रद्धा रही. इसके साथ ही वह सबसे बड़ा सौभाग्य जो भगवान श्री राम ने मुझे दिया, वह मानव जीवन को बचाने में सक्षम होने का सौभाग्य रहा.'

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