चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा कार्यकर्ताओं को खिलाने-पिलाने में खर्च होने वाली चीजों के लिए रेट तय कर दिया है. 18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए मतदान नजदीक आने के साथ, जिला चुनाव पैनल चुनाव व्यय निगरानी प्रक्रिया के हिस्से के रूप में खर्चों की दरें तय की हैं.
इस लिस्ट में जलेबी, समोसा, चाय, चिकन और मिठाइयों सहित कई व्यंजनों को शामिल किया गया है. चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों को अपने खर्च का मैनेजमेंट निर्धारित सीमा के अंदर ही करना होगा. आइए जानते हैं कि अलग-अलग राज्यों में किए जाने वाले खर्च पर क्या सुझाव दिए गए हैं.
पंजाब: जालंधर में उम्मीदवार एक कप चाय के लिए 15 रुपये खर्च कर सकते हैं और लोकसभा चुनाव में सार्वजनिक बैठकों और प्रचार अभियानों के दौरान वे लोगों को एक समोसे के लिए भी उतनी ही कीमत दे सकते हैं. हालांकि, मध्य प्रदेश के मंडला में लोग एक कप चाय के लिए 7 रुपये और समोसे के एक टुकड़े के लिए 7.50 रुपये खर्च कर सकते हैं, जिसे देश के कई हिस्सों में मुख्य नाश्ता माना जाता है. जालंधर में छोले भटूरे की कीमत 40 रुपये तय की गई है, जबकि मटन और चिकन की कीमत क्रमश: 250 और 500 रुपये प्रति किलोग्राम है. डोडा (450 रुपये प्रति किलोग्राम) और घी पिन्नी (300 रुपये प्रति किलोग्राम) जैसी मिठाइयां भी मेन्यू में हैं. इसके अलावा लस्सी और नींबू पानी की कीमत क्रमशः 20 और 15 रुपये प्रति गिलास है.
आंध्र प्रदेश सहित ज्यादातर राज्यों में, लोकसभा उम्मीदवार के लिए खर्च की सीमा 95 लाख रुपये निर्धारित है. हालांकि, अरुणाचल प्रदेश, गोवा और सिक्किम में यह सीमा थोड़ी कम यानी 75 लाख रुपये प्रति उम्मीदवार है. इसी तरह, केंद्र शासित प्रदेशों के लिए, खर्च सीमा इलाके के आधार पर प्रति उम्मीदवार 75 लाख रुपये से 95 लाख रुपये तक है.
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मध्य प्रदेश: बालाघाट के रेट कार्ड में चाय की कीमत 5 रुपये कम है, लेकिन समोसे की कीमत 10 रुपये से ज्यादा है. बालाघाट रेट कार्ड में इडली, सांभर वड़ा और पोहा-जलेबी की कीमत भी 20 रुपये है. डोसा और उपमा की कीमत 30 रुपये तय की गई है.
मणिपुर: हिंसा प्रभावित राज्य के थौबल जिले में चाय, समोसा, कचौरी, खजूर और गाजा (मिठाई) की कीमत 10 रुपये रखी गई है.
तमिलनाडु: चेन्नई में चाय की कीमत 10 रुपये से बढ़ाकर 15 रुपये और कॉफी की कीमत 15 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये कर दी गई है, जबकि चिकन बिरयानी की कीमत 2019 की तुलना में 180 रुपये से घटाकर 150 रुपये प्रति पैकेट कर दी गई है.
नोएडा: गौतम बुद्ध नगर (नोएडा/ग्रेटर नोएडा) के खर्च रेट कार्ड में, शाकाहारी थाली 100 रुपये, एक समोसा या एक कप चाय 10 रुपये, कचौरी 15 रुपये, एक सैंडविच 25 रुपये और एक किलोग्राम जलेबी का दाम 90 रूपये तय किया गया है.
गोवा: उत्तरी गोवा के उम्मीदवार समोसे के जैसा ही 15 रुपये की कीमत पर मेन्यू में बटाटा वड़ा खा सकते हैं. चाय की कीमत 15 रुपये तय की गई है जबकि कॉफी की कीमत 20 रुपये हो सकती है.
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हरियाणा: जींद के रेट कार्ड में उम्मीदवारों को 300 रुपये में तंदूर किराए पर लेने की पेशकश की गई है. दाल मखनी और मिक्स वेज जैसे व्यंजन 130 रुपये में उपलब्ध हैं, जबकि मटर पनीर की कीमत 160 रुपये रखी गई है. बटर नान, मिस्सी रोटी और सादी रोटी जैसी ब्रेड, काजू कतली और गुलाब जामुन सहित मिठाइयों के अलावा थाली भी उपलब्ध हैं.
लिस्ट में नहीं शामिल है शराब
वहीं पार्टियां और उम्मीदवार अक्सर कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को शराब की पेशकश करते हैं, किसी भी रेट कार्ड में शराब का जिक्र नहीं है. रेट कार्ड में जिन अन्य चीजों का जिक्र है, उनमें महंगे बुनियादी ढांचे जैसे हेलीपैड, लक्जरी वाहन और फार्महाउस से लेकर फूल, कूलर, टॉवर एसी और सोफा जैसी तमाम चीजें शामिल हैं.
पूर्वोत्तर राज्य के टेंग्नौपाल जिले में उम्मीदवारों को काली चाय के लिए 5 रुपये और दूध वाली चाय के लिए 10 रुपये का भुगतान करना होगा. लिस्ट में मांसाहारी डिशेज भी शामिल हैं, जिनमें बत्तख और सूअर का मांस क्रमशः 300 रुपये और 400 रुपये प्रति किलोग्राम है. चिकन (ब्रॉयलर) और रोहू, मृगल और सारेंग जैसी मछलियां भी लिस्ट में शामिल की गई हैं.
प्रयोग में लाए जाने वाले वाहनों पर भी सुझाव
रेट कार्ड में प्रचार के लिए टाटा सफारी या स्कॉर्पियो से लेकर होंडा सिटी या सियाज या जनता को रैली मैदान तक ले जाने के लिए बस तक विभिन्न वाहनों को किराए पर लेने की दरों की सीमा भी निर्धारित की गई है.
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फूल मालाओं की दरें भी निर्धारित
कुछ चुनाव पैनलों द्वारा अलग-अलग फूल की मालाओं भी दरें निर्धारित की गई हैं, जबकि कुछ में टोपी और झंडे को भी शामिल किया गया है. रेट कार्ड में जगहों को किराए पर लेने के लिए अनुमेय दरों की एक लिस्ट भी है. इस खर्च में पब्लिक मीटिंग्स, रैलियों, विज्ञापनों, होर्डिंग्स, पैम्फलेट, फ्लेक्सी, कैंपेन मैटेरियल और अन्य सभी चुनाव-संबंधी कार्यों का खर्च शामिल है.
मौजूदा वक्त में, चुनावी मैदान में उम्मीदवारों के लिए कैंपेन फंड की एक सीमा है, लेकिन राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव प्रचार के लिए खर्च की जाने वाली धनराशि पर कोई सीमा नहीं है. इलेक्शन कमीशन द्वारा जारी संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार के लिए ज्यादा से ज्यादा खर्च तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अलग-अलग है.
नामांकन से नतीजे तक का हिसाब-किताब
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77 (1) में कहा गया है कि उम्मीदवारों से उम्मीद की जाती है कि वे 'नामांकन की तारीख' से लेकर 'नतीजे के ऐलान की तारीख' तक चुनाव में किए गए खर्च का हिसाब-किताब रखें. 543 लोकसभा सीटों के लिए मतदान सात चरणों में होगा. 19 अप्रैल को पहले चरण में 102 सीटों पर मतदान शुरू होगा, वहीं वोटों की गिनती 4 जून को होगी.