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महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित जिला गढ़चिरौली में वोटिंग बड़ी चुनौती, शांतिपूर्ण मतदान के लिए प्रशासन ने की ये तैयारी

2008 में परिसीमन के बाद गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. उसके पहले यहां चिमूर लोकसभा सीट हुआ करती थी. गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा सीट में गढ़चिरौली जिले की 3 विधानसभा सीट आती है. इनमें गढ़चिरौली, आरमोरी और अहेरी सीट आती है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

महाराष्ट्र में 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है. पहले चरण में महाराष्ट्र की कुल 5 सीटों के लिए मतदान होगा. जिनमें रामटेक, नागपुर, भंडारा-गोंदिया, चन्द्रपुर और गढ़चिरौली-चिमूर. चंद्रपुर और गढ़चिरौली-चिमूर नक्सल प्रभावित इलाके होने के कारण यहां शांतिपूर्ण और ज्यादा से ज्यादा मतदान करना एक बड़ी चुनौती है. इसी चुनौती से पार पाने के लिए गढ़चिरौली-चिमूर में 11 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं. आर्मी और एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर की मदद से मतदान प्रक्रिया पूरा करने के लिए लोगों को और सारी जरूरी चीजे पहुंचाई गई हैं.

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गढ़चिरौली के एसपी नीलोत्पल ने कहा कि सफलतापूर्वक मतदान के लिए प्रशासन द्वारा सारी तैयारियां पूरी की जा रही हैं. लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में निकल कर मतदान करने की अपील की गई है.

2008 में अस्तित्व में आई गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा सीट
2008 में परिसीमन के बाद गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. उसके पहले यहां चिमूर लोकसभा सीट हुआ करती थी. गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा सीट में गढ़चिरौली जिले की 3 विधानसभा सीट आती है. इनमें गढ़चिरौली, आरमोरी और अहेरी सीट आती है. वहीं, चंद्रपूर जिले की 2 विधानसभा सीट आती है. इनमें चिमूर और ब्रम्हपुरी सीट शामिल है. साथ ही गोंदिया जिले की एक विधानसभा सीट आमगाव आती है.

गढ़चिरौली चिमूर सीट पर 2009 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ. जिसमें कांग्रेस के प्रत्याशी मारोतराव कोवासे ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी के अशोक नेते को हराया. महाराष्ट्र की 48 सीटों में शुरुआती 5 चरणों में वोटिंग होगी. 19 अप्रैल को पहला फेज, 26 अप्रैल को दूसरा फेज, 7 मई को तीसरा फेज, 13 मई को चौथा फेज और 20 मई को पांचवे फेज के लिए वोटिंग होगी.

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महाराष्ट्र में बदल चुका है सियासी गणित 
इस बार महाराष्ट्र का चुनाव इसलिए भी दिलस्प है, क्योंकि इन पांच सालों में महाराष्ट्र का सियासी गणित काफी बदल चुका है. तब शिवसेना भी एक थी, लेकिन अब उसमें दो फाड़ हो चुकी है. वहीं, एनसीपी भी अलग-अलग दो हिस्सों में बंटी हुई है. जिसमें असली एनसीपी का दर्जा अजीत पवार गुट को मिला है.

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