पहले विजेंदर सिंह और अब गौरव वल्लभ. दो दिनों के अंदर कांग्रेस पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं. एक दिन पहले ही बॉक्सर विजेंदर सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा था और आज कांग्रेस के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे गौरव वल्लभ ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है. उन्होंने बकायदा कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर यह बताया है कि आखिर क्यों उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया.
गौरव वल्लभ के राजनीतिक करियर की बात की जाए तो 2019 में उन्होंने पहली बार झारखंड के जमशेदपुर ईस्ट से चुनाव लड़ा था. वल्लभ को 18 हजार से अधिक वोट मिले और वह तत्कालीन सीएम रघुबर दास और सरयू रॉय के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे. इसके बाद 2023 में उन्होंने राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उदयपुर से चुनाव लड़ा. गौरव वल्लभ यहां बीजेपी के ताराचंद जैन से 32 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए थे.
पेशे से CA और इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर भी रहे
गौरव वल्लभ को अर्थशास्त्र के अच्छे जानकार के तौर पर जाना जाता है. वह पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट और इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर भी रह चुके हैं. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा के साथ उनका एक डिबेट वीडियो काफी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने पात्रा से पूछा था कि एक ट्रिलियन में कितने जीरो होते हैं.
वायरल हुआ था ट्रिलियन में कितने जीरो वाला Video
दरअसल, एक डिबेट के दौरान संबित पात्रा मोदी सरकार के 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य के बारे में बात कर रहे थे. इस डिबेट में कांग्रेस की तरफ से गौरव वल्लभ भी शामिल हुए थे. उन्होंने चर्चा के दौरान संबित पात्रा से पूछा कि वे बताएं कि 5 ट्रिलियन में कितने जीरो होते हैं. हालांकि, दो-तीन बार पूछने के बाद जब संबित पात्रा ने इस सवाल को टालना चाहा तो गौरव वल्लभ ने खुद बताया कि 5 ट्रिलियन में 12 जीरो होते हैं.
कैसे हुआ कांग्रेस से मोहभंग?
> गौरव वल्लभ ने खड़गे को लिखे पत्र में कहा,'पार्टी के स्टैंड से असहज हूं. मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है. जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की कद्र होती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पा रहा है.'
> पार्टी के वर्तमान ढांचे के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा,'पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है. जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मजबूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही है. इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है, जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है. जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता, तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है.'
> राम मंदिर के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए गौरव वल्लभ ने कहा,'अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं. मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं. पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया. पार्टी और गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं, और पार्टी का उसपर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है.'
> गौरव वल्लभ ने खड़गे को लिखे पत्र में कहा,'इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है. एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं. यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक खास धर्म विशेष के ही हिमायती होने का भ्रामक संदेश दे रही है. यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है.'
> आर्थिक मामलों पर बात करते हुए उन्होंने पत्र में लिखा,'वर्तमान समय में कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश के वेल्थ क्रिएटर्स को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है. आज हम उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (एलपीजी) नीतियों के खिलाफ हो गए हैं, जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय दुनिया ने हमें दिया है. देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नजरिया हमेशा नकारात्मक रहा. क्या हमारे देश में बिजनेस करके पैसा कमाना गलत है?'