Gwalior Lok Sabha Seat Result: मध्य प्रदेश की ग्वालियर लोकसभा सीट कांग्रेस पार्टी हार गई है. BJP के भारत सिंह कुशवाह ने कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण पाठक को करीब 70 हजार वोटों से हरा दिया. दोनों ही दलों ने साल 2023 के विधानसभा चुनाव में हार चुके उम्मीदवारों पर भरोसा जताया था.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और माधवराव सिंधिया जैसे दिग्गज नेताओं की सीट ग्वालियर में मुकाबला लगभग करीब करीब बराबर का माना जा रहा था. लेकिन आखिर राउंड तक पहुंचते पहुंचते जीत हार में बड़ा अंतर देखने को मिला.
बीजेपी के भारत सिंह कुशवाह को 6 लाख 68 हजार से ज्यादा मत हासिल हुए जबकि कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक को करीब 5 लाख 99 हजार के आसपास वोट मिले. इस चुनाव में कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़े कल्याण सिंह कंषाना 33 हजार से ज्यादा वोट ले गए.
बता दें कि लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 7 मई को ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में वोट डाले गए थे. यहां 62.13 फीसदी वोटिंग हुई. इसके पहले 2019 के चुनाव में 59.82 मतदान हुआ था. 8 विधानसभाओं वाले इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस और बीजेपी हार जीत के अपने अपने दावे कर रही थीं.
बीजेपी जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और पिछड़े वर्ग को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ी, तो वहीं कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड खेलकर अपनी अपनी चाल चली. साथ राज्य और केंद्र के विपक्षी दल को अल्पसंख्यक वर्ग का भी समर्थन मिलने का विश्वास रहा.
पिछले 4 लोकसभा चुनाव से लगातार इस सीट पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन राजनीति के जानकार ग्वालियर सीट को किसी पार्टी के लिए एकतरफा न मानकर कांटे का मुकाबला मान रहे हैं.
ग्वालियर लोकसभा सीट पर बीते चार चुनाव से बीजेपी का ही कब्जा है, जिसकी शुरुआत साल 1999 में भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया की जीत के साथ हुई थी. लेकिन जब इस सीट पर पहला चुनाव हुआ था, उस वक्त ग्वालियर लोकसभा सीट पर हिंदू महासभा ने अपनी जीत का परचम लहराया था.
साल 1952 में हिंदू महासभा के प्रत्याशी वीजी देशपांडे ने यहां जीत दर्ज कराई थी. इसके बाद हिंदू महासभा के ही प्रत्याशी नारायण भास्कर खरे ने हिंदू महासभा की लोकसभा सीट को बरकरार रखा, लेकिन साल 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सूरज प्रसाद ने यह सीट हिंदू महासभा से छीन ली.
साल 1962 के चुनाव में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस के टिकट पर ग्वालियर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी और अपनी जीत भी दर्ज कराई. साल 1967 में भारतीय जन संघ के राम अवतार शर्मा ने इस सीट को कांग्रेस से छीन लिया. भारतीय जन संघ के ही टिकट पर चुनाव लड़े अटल बिहारी वाजपेई ने 1971 में हुए चुनाव में एक बार फिर से भारतीय जन संघ को ग्वालियर लोकसभा सीट पर जीत दिलाई, जबकि साल 1977 में जनता पार्टी से नारायण शेजवलकर ने जीत हासिल करते हुए ग्वालियर लोकसभा सीट पर इतिहास रच दिया.
1980 के चुनाव में भी नारायण शेजवलकर ने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा. साल 1984 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी से माधवराव सिंधिया ने चुनाव लड़ा और फिर भी लगातार यहां से चुनाव जीतते गए. 1984 से शुरू हुआ माधवराव सिंधिया की जीत का सिलसिला 1989 से लेकर 1991, 1996 और 1998 तक बरकरार रहा. फिर साल 1999 में बीजेपी से जयभान सिंह पवैया ने चुनाव लड़ते हुए संसद का रास्ता साफ किया और यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई, जबकि साल 2004 के चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस के रामसेवक सिंह ने यहां से जीत दर्ज की.
2007 के लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने फिर से इस सीट को अपने खाते में कर लिया और यशोधरा राजेश सिंधिया ग्वालियर से सांसद चुनी गई. यशोधरा ने अपनी जीत को बरकरार रखते हुए 2009 में भी बीजेपी का परचम लहराया, जबकि साल 2014 में नरेंद्र सिंह तोमर ने इस सीट पर जीत दर्ज की.
बीते आम चुनाव में BJP प्रत्याशी विवेक नारायण शेजवलकर ने कांग्रेस कैंडिडेट अशोक सिंह को एक लाख 46 हजार मतों से पराजित किया था. वहीं, 2014 के चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर ने बीजेपी के टिकट पर अशोक सिंह को 29 से कुछ अधिक मतों से हरा पाया था. 2009 के चुनाव में हार जीत का यह आंकड़ा 26 हजार के आसपास था. तब भी कांग्रेस के अशोक सिंह बीजेपी की यशोधरा राजे सिंधिया से हारे थे.
इस तरह भाजपा के लिए ग्वालियर लोकसभा सीट उसका गढ़ बन गई. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने भारत सिंह कुशवाहा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. भारत सिंह कुशवाहा शिवराज सरकार में उद्यानिकी मंत्री रह चुके हैं, लेकिन साल 2023 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा से उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था.
वहीं, कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में प्रवीण पाठक पर दांव खेला है. पाठक 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर महज 121 वोटों से जीते थे. उन्होंने ग्वालियर दक्षिण सीट से बीजेपी के नारायण सिंह कुशवाह को हरा दिया था. हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में पाठक नारायण सिंह कुशवाह से चुनाव हार गए.