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मुंबई: उद्धव के कैंडिडेट के प्रचार के लिए उतरा इब्राहिम मूसा, 93 ब्लास्ट में मिल चुकी है 10 साल की सजा

लोकसभा चुनाव के लिए तीन चरण की वोटिंग हो चुकी है और बांकी बचे हुए चरणों के लिए प्रचार अभियान जोरों से चल रहा है. इस बीच मुंबई में शिवसेना उम्मीदवार के लिए इब्राहिम मूसा भी वोट मांग रहा है. मूसा वहीं आरोपी है जिसने 93 बम ब्लास्ट के समय हथियार सप्लाई किए थे और अदालत से इस आरोपी को 10 साल की सजा दी हुई थी.

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मुंबई में 1993 में हुए ब्लास्ट का आरोप है इब्राहिम मूसा
मुंबई में 1993 में हुए ब्लास्ट का आरोप है इब्राहिम मूसा

 लोकसभा चुनाव की सरगर्मी में अब 93 ब्लास्ट के आरोपी की भी एंट्री हो चुकी है.. मुंबई उत्तर पश्चिम के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर के प्रचार में 93 बम धमाके का आरोपी इब्राहिम मूसा नजर आ रहा है. अमोल कीर्तिकर को उत्तर पश्चिम मुंबई सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है.अमोल कीर्तिकर से ईडी ने कोविड काल के दौरान हुए कथित ​​खिचड़ी घोटाला मामले में पूछताछ कर चुकी है.

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आपको बता दे इब्राहिम मूसा वहीं आरोपी है जिसने 93 बम ब्लास्ट के समय हथियार सप्लाई किए थे और अदालत से इस आरोपी को 10 साल की सजा दी हुई थी. ऐसे में अब उद्धव बाला साहब ठाकरे गुट वाली शिवसेना के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर के प्रचार में इब्राहिम मूसा के शामिल होने के बाद भाजपा को बैठे बिठाये एक मुद्दा मिल गया है.

मुंबई उत्तर-पश्चिम में ठाकरे खेमे के अमोल कीर्तिकर का मुकाबला सत्तारूढ़ सेना के रवींद्र वायकर से होगा. वायकर जो पहले सेना (यूबीटी) में थे, हाल ही में शिंदे खेमे में शामिल हुए हैं. वह वर्तमान में मुंबई में जोगेश्वरी पूर्व विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं.

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1993 में हुए थे मुंबई में ब्लास्ट

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आपको बता दें कि 12 मार्च, 1993 को दोपहर में मुंबई स्टॉक एक्सचेंज पर जोर धमाका हुआ. ऐसा धमाका, जिसकी गूंज दूर-दूर तक गई. चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई. इससे पहले कि हाहाकार के बीच लोग कुछ समझ पाते महज 2 घंटे 10 मिनट के भीतर मुंबई के अंदर 12 जगह धमाके हो गए. इनमें 257 लोगों की मौत हो गई, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

इसका साजिशकर्ता दाऊद इब्राहिम पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में मजे कर रहा है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियां ने कई आरोपियों को पकड़ा. कुछ दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई. इन बम धमाकों के 48 घंटे के भीतर मुंबई पुलिस ने आरोपियों की पहचना कर ली थी. तत्कालीन DCP राकेश मारिया के नेतृत्व में 150 पुलिसवालों की टीम इसकी जांच में जुटी हुई थी. इस अहम कड़ी माहिम में खड़े एक स्कूटर से मिली थी. उसमें आरडीएक्स रखा हुआ था. लेकिन वह फटा नहीं था. ऐसा पहली बार हुआ था कि धमाकों के लिए आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया हो. 1 अप्रैल 1994 को टाडा की विशेष अदालत में इस केस की सुनवाई शुरू हुई थी.

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