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कहीं प्रियंका ने संभाला मोर्चा, कहीं राहुल के फोन से बनी बात... गठबंधन पर कांग्रेस के लिए आखिरकार आने लगीं अच्छी खबरें

इंडिया गठबंधन को एक के बाद एक झटके लग रहे थे. गठबंधन के भविष्य को लेकर चर्चा छिड़ गई थी लेकिन पिछले दो दिन में यूपी-महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली और पश्चिम बंगाल तक से कांग्रेस के लिए अच्छी खबरें आने लगी हैं. यूपी में जहां सीट बंटवारे का औपचारिक ऐलान हो चुका है तो वहीं दिल्ली और महाराष्ट्र में भी करीब-करीब सहमति बन चुकी है.

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प्रियंका गांधी और राहुल गांधी (फाइल फोटो)
प्रियंका गांधी और राहुल गांधी (फाइल फोटो)

इंडिया गठबंधन से एक के बाद एक दल किनारा कर रहे थे. सबसे पहले ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया तो इसके कुछ ही दिन के भीतर गठबंधन की इस कवायद के सूत्रधार नीतीश कुमार एनडीए के साथ हो लिए. पश्चिम बंगाल और बिहार में इन झटकों से कांग्रेस और गठबंधन उबर भी नहीं पाए थे कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ हो ली.

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एक बाद एक पार्टियां गठबंधन छोड़कर जा रही थीं. दिल्ली से पंजाब और उत्तर प्रदेश तक सीट बंटवारे के उलझे गणित के बीच सियासी दल कांग्रेस को आंखें दिखा रहे थे. इंडिया गठबंधन के भविष्य और इसकी तस्वीर को लेकर बातें शुरू हो गई थीं. लेकिन अब यूपी-महाराष्ट्र से दिल्ली और पश्चिम बंगाल तक से कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए आखिरकार अच्छी खबरें आने लगी हैं. उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी की सक्रियता के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ सीट शेयरिंग का औपचारिक ऐलान हो गया तो वहीं महाराष्ट्र में भी बात बनती नजर आ रही है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं की बैठक हुई जिसमें सीट शेयरिंग फॉर्मूला करीब-करीब तय बताया जा रहा है तो वहीं पश्चिम बंगाल में भी टीएमसी का रुख अब नरम पड़ता नजर आ रहा है. सबसे पहले बात उत्तर प्रदेश की कर लेते हैं जहां सपा-कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग का ऐलान भी हो चुका है.

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यूपी में कैसे बनी सपा-कांग्रेस की बात

लोकसभा चुनाव के लिए अहम 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में एक समय सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत बंद होने की खबरें भी आने लगी थीं. अखिलेश यादव ने कांग्रेस को 17 सीट का फाइनल ऑफर देने के साथ ही यह दो टूक कह दिया कि इससे अधिक सीटें नहीं दे सकते. यूपी कांग्रेस के नेता बलिया, बिजनौर और मुरादाबाद समेत करीब 21 सीटों की मांग पर अड़े थे. दोनों दलों के बीच बातचीत की गाड़ी जब पटरी से उतरती लग रही थी, सपा ने पांच उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट भी जारी कर दी. इस लिस्ट में वाराणसी की सीट से उम्मीदवार का भी नाम था जहां से पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय लड़ते रहे हैं.

प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

सपा के वाराणसी से उम्मीदवार घोषित करने को कांग्रेस के लिए सख्त संदेश की तरह देखा गया. बात बिगड़ती देख यूपी कांग्रेस की प्रभारी रह चुकी प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला. प्रियंका ने अखिलेश से बात की और इसके बाद कांग्रेस के रुख में नरमी आई. कांग्रेस ने चार और सीटों की जिद छोड़ दी और फिर सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय और यूपी कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडेय ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीट शेयरिंग का औपचारिक ऐलान कर दिया.

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महाराष्ट्र में राहुल गांधी के एक फोन से बन गई बात

यूपी में सीट शेयरिंग को लेकर औपचारिक ऐलान के बाद अब दूसरे राज्यों में भी इसे लेकर बातचीत की गाड़ी न सिर्फ पटरी पर लौट आई है, बल्कि अंजाम की ओर भी पहुंचती नजर आ रही है. महाराष्ट्र में भी राहुल गांधी की सक्रियता के बाद अब सीटों को लेकर जल्द ऐलान की संभावनाएं जताई जा रही हैं. राहुल ने पहले शरद पवार से फोन पर बात की और उसके अगले ही दिन शिवसेना यूबीटी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से भी फोन पर बात की.

शरद पवार, राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
शरद पवार, राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)

राहुल की दो घटक दलों के शीर्ष नेताओं के साथ फोन पर हुई बातचीत के बाद अब लोकल लीडरशिप भी एक्टिव मोड में आती नजर आ रही है. शिवसेना यूबीटी 23 सीटों पर दावा कर रही है तो वहीं शरद पवार की पार्टी भी दर्जनभर से अधिक सीटों पर दावेदारी कर रही है. राजू शेट्टी की स्वाभिमानी शेतकारी पार्टी, सपा और लेफ्ट के साथ ही वंचित बहुजन अघाड़ी के भी अपने-अपने दावे हैं.

हालांकि, कहा यह भी जा रहा है कि 48 सीटों वाले महाराष्ट्र की 40 सीटों पर करीब-करीब सहमति बन चुकी है और बात आठ सीटों पर अटकी हुई है. जिन सीटों का गणित इंडिया गठबंधन अभी नहीं सुलझा सका है उनमें रामटेक, हिंगोली, जालना, मुंबई नॉर्थ-वेस्ट, मुंबई साउथ सेंट्रल, शिरडी, भिवंडी और वर्धा शामिल हैं. इन सीटों के लिए कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी, दोनों ही दल दावेदारी कर रहे हैं. इंडिया गठबंधन में शामिल नेता यह दावे कर रहे हैं कि सीटों का गणित अगली बैठक में सुलझा लिया जाएगा.

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AAP नेताओं संग बैठक में सीट शेयरिंग की ओर बढ़े कदम

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के आवास पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं की बैठक हुई जिसमें दोनों ही दलों के बीच चार और तीन के फॉर्मूले पर करीब-करीब सहमति बन जाने की बात सामने आई. हालांकि, दिल्ली में एक सीट पर पेच फंसा है. दोनों ही पार्टियां चार सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती हैं. कांग्रेस के नेता चांदनी चौक, नॉर्थ ईस्ट और ईस्ट दिल्ली की सीटों के साथ दिल्ली नॉर्थ वेस्ट (सुरक्षित) सीट भी चाहती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन आम आदमी पार्टी की तुलना में बेहतर रहा था.

अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी (फाइल फोटो)
अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी (फाइल फोटो)

कांग्रेस गुजरात की भरूच सीट भी अपने कोटे में चाहती है जहां से आम आदमी पार्टी उम्मीदवार का ऐलान भी कर चुकी है. इसे लेकर दोनों दलों के बीच बातचीत जारी है. आम आदमी पार्टी भरूच सीट के साथ ही गोवा और असम की वह सीटें भी कांग्रेस के लिए छोड़ सकती है जहां से पार्टी अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. दूसरी तरफ, कांग्रेस हरियाणा में केजरीवाल की पार्टी को एक सीट देने के लिए तैयार बताई जा रही है.

कांग्रेस को अब बंगाल से भी मिला सिग्नल

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबसे पहले अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. ममता ने यह ऐलान तब किया था जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने वाली थी. ममता ने दो टूक कह दिया था कि हम कांग्रेस को दो सीटें देने के लिए तैयार हैं लेकिन यह प्रस्ताव उन्हें मंजूर नहीं.

ममता बनर्जी और राहुल गांधी (फाइल फोटो)
ममता बनर्जी और राहुल गांधी (फाइल फोटो)

अब खबर है कि टीएमसी ने फिर से कांग्रेस को दो सीट की पेशकश करते हुए सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत का प्रस्ताव दिया है. टीएमसी पश्चिम बंगाल में दो सीट देने के लिए तैयार है और मेघालय की तुरा और असम में एक सीट मांग भी रही है. कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अधिक सीटें चाहती है और तुरा सीट देने के लिए भी तैयार नहीं है.

पश्चिम बंगाल में सीट शेयरिंग को लेकर समझौता होगा या नहीं, यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन ममता बनर्जी ने जब से एकला चलो का नारा बुलंद किया था. तब से टीएमसी के नेता बार-बार कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत की संभावनाओं को नकार रहे थे. ऐसे में टीएमसी के बदले रुख को कांग्रेस के लिए अच्छी खबर ही कहा जा रहा है.

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