खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह संधू (31 साल) एक बार फिर चर्चा में है. अमृतपाल की मां बलविंदर कौर ने पंजाब की खडूर साहिब सीट से बेटे के लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. अमृतपाल एनएसए के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है और हाल ही में पंजाब सरकार ने उसकी एनएसए कस्टडी को एक साल और बढ़ा दिया है. इस बीच, अमृतपाल के चुनावी मैदान में उतरने की खबरों से सियासत भी गरमा गई है. कट्टरपंथी विचारधारा के साथ चुनावी राजनीति में एंट्री करने के दावे से सवाल उठाए जा रहे हैं. हालांकि, इससे परिवार चिंतित नहीं है. क्योंकि अमृतपाल पहले ही कट्टरवाद और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से लिंक होने के आरोपों से विवादों में घिरा रहा है. फिलहाल, खालिस्तानी समर्थक को अब भारतीय संविधान के दायरे में रहकर चुनावी लड़ाई लड़ना होगी.
पंजाब में कुल 13 लोकसभा सीटें हैं. सभी सीटों पर सातवें चरण में 1 जून को मतदान होना है. खडूर साहिब सीट को शिरोमणि अकाली दल (बादल) का गढ़ माना जाता है. 1992 से इस सीट पर शिअद का दबदबा देखने को मिलता रहा है. हालांकि, 2019 के चुनावों में शिअद को झटका लगा और कांग्रेस उम्मीदवार जसबीर सिंह डिंपा ने जीत हासिल की थी. इस बार चुनाव में शिअद (बादल) ने यहां से पूर्व विधायक विरसा सिंह वल्टोगा को उम्मीदवार बनाया है. इस बीच, कांग्रेस ने पूर्व विधायक कुलबीर सिंह जीरा को अपना दावेदार बनाया है.
'अजनाला की घटना के बाद चर्चा में आया अमृतपाल'
पंजाब सरकार ने अमृतपाल की एनएसए कस्टडी बढ़ाने का आधार भी बताया है. सरकार ने अमृतपाल को डिब्रूगढ़ की सेंट्रल जेल में कैद के दौरान अवैध गतिविधियों में कथित संलिप्तता का हवाला दिया है. सरकार ने कहा कि विध्वंसक घटनाओं को अंजाम देने के कथित उद्देश्य के साथ वो भारत और विदेश में अपने सहयोगियों के साथ संपर्क में था. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, खालिस्तानी संगठन वारिस पंजाब दे के मुखिया अमृतपाल सिंह का पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध है. अजनाला थाने में बवाल की घटना के बाद वो पंजाब की राजनीति में अचानक चर्चा में आया. उसे अप्रैल 2023 में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था, तब से वो एनएसए के आरोप में असम की सेंट्रल जेल में बंद चल रहा है.
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'अमृतपाल के चुनाव लड़ने पर बहस तेज'
सुरक्षा हलकों में इस बात पर बहस चल रही है कि क्या ऐसी साख वाले व्यक्ति को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए? लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किसी अपराध के दोषी व्यक्तियों और दो साल या उससे ज्यादा जेल की सजा पाने वाला व्यक्ति संसद या विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकता है और ना उसे सदस्यता के लिए मनोनीत किया जा सकता है. हालांकि, यह अधिनियम विचाराधीन कैदियों को चुनाव में हिस्सा लेने से नहीं रोकता है.
'वो भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहा है'
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथियों के चुनाव लड़ने पर कहा, अमृतपाल आईएसआई का एक गुर्गा है जो भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और उसे राजनीतिक सत्ता में आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. मेरा मानना है कि चुनाव आयोग को ऐसे व्यक्तियों को इलेक्शन लड़ने से रोकने के लिए एक सिस्टम पर काम करना चाहिए. उसके आईएसआई से लिंक के संबंध में पर्याप्त सबूत हैं. वो पॉलिटिकल पावर हासिल करने की कोशिश कर रहा है. अमृतपाल सिंह के संदर्भ में कहेंगे कि आईएसआई का एक तिल भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और वो खालिस्तान की एक लॉबी का हिस्सा है.
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'कुछ असर नहीं होने वाला है'
पंजाब के पूर्व डीजीपी शशिकांत ने कहा, खडूर साहिब सीट हमेशा कट्टरपंथ समर्थक रही है और ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोग उसके (अमृतपाल) के लिए काम कर रहे हैं. शशिकांत कहते हैं, मुझे नहीं लगता कि इसका कोई असर होने वाला है. गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे लोग भी हो सकते हैं, जो उनका समर्थन कर सकते हैं. सुरक्षा एजेंसियों के चिंतित होने की संभावना है. पुलिस में हमें सबसे निचले स्तर की स्थिति को संभावना के रूप में देखने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. सिमरनजीत सिंह मान जैसे अन्य लोग भी हैं, जिन्होंने जीत हासिल की है. लेकिन इसका कोई बड़ा असर नहीं होगा.
'2022 में दुबई से भारत लौटा अमृतपाल'
अमृतपाल सिंह एक दशक दुबई में रहने के बाद साल 2022 में पंजाब लौटा था. उस समय अभिनेता और एक्टिविस्ट दीप सिद्धू की हादसे में मौत हो गई थी और उनके संगठन वारिस पंजाब डे को बारिस की तलाश थी. अमृतपाल ने इस संगठन की बागडोर संभाली और आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के नक्शेकदम पर चलने लगा. उसने खालिस्तानी विचारधारा का प्रचार करने के लिए सोशल मीडिया और पंजाब के गुरुद्वारों में भाषण देना शुरू कर दिया. विवादित भाषणों से अचानक चर्चा में आ गया.
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'आईएसआई के गुर्गों से नजदीक संबंध बनाए रखे'
अमृतपाल की खुफिया और कस्टडी रिपोर्ट से पता चलता है कि उसने आईएसआई गुर्गों के साथ अपने नजदीकी संबंध बनाए रखे. उसके साथ जुड़े पेशेवरों और विदेश स्थित खालिस्तान समर्थकों के बीच बैठकें हुईं. कथित तौर पर आईएसआई द्वारा आयोजित इन बातचीत को अमृतपाल की रिहाई के बाद भारत को अस्थिर करने की एक व्यापक साजिश के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. इसके अलावा, हाल के खुलासे से संकेत मिलता है कि अमृतपाल से जुड़े व्यक्तियों ने पाकिस्तान में आईएसआई वर्कर्स से हथियार मांगे हैं, जो अमृतपाल और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के बीच निरंतर संबंध की तरफ इशारा कर रहे हैं.
'हिरासत से बाहर आने पर सुरक्षा को लेकर आशंका'
सरकार ने कहा कि इस खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है कि हिरासत से रिहा होने पर अमृतपाल ऐसी गतिविधियों में शामिल हो जाएगा और राज्य की सुरक्षा के लिए चुनौती पैदा कर सकता है. सेंट्रल जेल डिब्रूगढ़ में हिरासत के दौरान आईएसआई के साथ उसने संपर्क किया है. अमृतपाल के कहने पर आईएसआई से निर्देश लेने के लिए उसके पेशेवर साथियों ने पाकिस्तान का दौरा किया. ये पेशेवर इन एनएसए बंदियों के साथ करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं और सभी हिरासत अवधि के दौरान लगातार उनके संपर्क में रहे हैं. यह पता चला है कि जनवरी 2024 में कुछ अज्ञात सहयोगी / अमृतपाल के समर्थक पाकिस्तान स्थित आईएसआई गुर्गों के संपर्क में हैं और सरकारी कार्रवाई का बदला लेने के लिए हथियारों की तलाश कर रहे हैं.