जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कलकत्ता हाई कोर्ट से इस्तीफा देकर सियासी पारी शुरू करने का इशारा किया है. उन्होंने कहा है कि वे मंगलवार को अपनी न्यायिक कर्तव्यों को समाप्त कर देंगे. इसके बाद वे ये तय करेंगे कि किस पार्टी को ज्वाइन कर करियर की नई पारी की शुरुआत की जाए. पश्चिम बंगाल में चर्चा है कि जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय बीजेपी की सदस्यता ले सकते हैं.
बंगाल में अटकलें लगाई जा रही है कि जस्टिस अभिजीत बंगाल के तामलुक संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं. ये सीट कभी मौजूदा बीजेपी नेता और सीएम ममता बनर्जी के पूर्व सहयोगी सुवेंदु अधिकारी की हुआ करती थी. अभी इस सीट से सुवेंदु अधिकारी के भाई दिब्येंदु अधिकारी सांसद हैं.
जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि वे अब लोगों की सेवा करना चाहते हैं और वे अपनी 'अंतरात्मा की पुकार' पर ऐसा कदम उठाने जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, "मैं कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के पद से इस्तीफा दे रहा हूं, यह मेरी अंतरात्मा की आवाज है. अब, मुझे बड़े लोगों और बड़े क्षेत्र में जाना चाहिए. एक न्यायाधीश कोर्ट में आने वाले मामलों को ही देखता है, लेकिन हमारे देश में और हमारे राज्य पश्चिम बंगाल में बहुत बड़ी संख्या में बहुत असहाय लोग हैं." उन्होंने कहा कि अगर वे राजनीति में उतरते हैं तो इन असहाय लोगों की मदद कर सकते हैं.
शिक्षा क्षेत्र का जिक्र करते हुए जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि वे दो साल से शिक्षा क्षेत्र से जुड़े मामलों को देख रहे हैं और उनके सामने भ्रष्टाचार के बड़े बड़े मामले सामने आए हैं.
ममता सरकार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "इस सरकार के शिक्षा क्षेत्र में बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण लोग अब जेल में बंद हैं या मुकदमा झेल रहे हैं. इसके बाद, मैं अब लेबर (श्रम) से जुड़े मामले उठा रहा हूं. मालिकों द्वारा भविष्य निधि ग्रेच्युटी के संबंध में भी बड़े घोटाले हुए हैं. मैंने इन मामलों में कुछ आदेश भी पारित किए हैं. लेकिन इस बाबत बहुत काम करना बाकी है.
उन्होंने कहा कि मंगलवार दोपहर को अपना इस्तीफा देने के बाद वे हाई कोर्ट भवन में स्थित स्वतंत्रता सेनानी सूर्य सेन की प्रतिमा के सामने पत्रकारों के सवालों का जवाब देंगे.
अपने फैसलों के लिए चर्चित रहे हैं जस्टिस गंगोपाध्याय
जस्टिस गंगोपाध्याय हाई कोर्ट में अपने फैसले के लिए काफी सुर्खियों में रहे हैं. कोलकाता हाई कोर्ट में उनकी पारी साल 2018 से शुरू होती है. तब से लेकर वे कई बार चर्चा में आए.
साल 2022 में उन्होंने ही सीबीआई और ईडी को पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल नौकरियों में घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया था. उन्होंने अपने इस फैसले में 32000 शिक्षकों की बहाली को रद्द करने का आदेश दिया था. हालांकि बाद में डिवीजन बेंच ने इस फैसले पर रोक लगा दिया था.
पिछले साल सितंबर में जस्टिस गंगोपाध्याय तब चर्चा में आए जब उन्होंने एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया. हाईकोर्ट के जज द्वारा एक चैनल को इंटरव्यू दिए जाने का ये एक अनोखा मामला था. इस इंटरव्यू में उन्होंने शिक्षकों की नियुक्ति में कथित घोटाले से जुड़े केस के पेंडिंग रहने का मुद्दा उठाया था. उन्होंने इस इंटरव्यू में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस नेतृ्त्व पर सवाल उठाए थे.
इस इंटरव्यू पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों को इस तरह इंटरव्यू नहीं देना चाहिए. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट रजिस्ट्री से जवाब तलब किया और बंगाल में शिक्षकों की नियुक्ति में कथित घोटाले का केस दूसरे जज को सुनने का आदेश दिया. इस मामले में तब राज्य की न्यायिक बिरादरी में बड़ी चर्चाएं हुई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल जनवरी में न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने उच्च न्यायालय के सहकर्मी जस्टिस सौमेन सेन पर "राज्य में एक राजनीतिक दल के लिए काम करने" का आरोप लगाया. ये आरोप उन्होंने तब लगाया था जब एक डिवीजन बेंच का हिस्सा रहे जस्टिस सौमेन सेन ने पुलिस को एक केस से जुड़े दस्तावेज को सीबीआई को सौंपने के अपने आदेश पर रोक लगा दी थी. यह मामला राज्य में एमबीबीएस एडमिशन में कथित "अनियमितताओं" के बारे में था.
बता दें कि उच्च न्यायालय में वकालत करने वाले न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय 2 मई, 2018 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कलकत्ता उच्च न्यायालय में शामिल हुए थे. हाई कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार उन्हें 30 जुलाई, 2020 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में प्रमोशन किया गया था.