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'...लौटकर यहीं आएंगे', जयंत चौधरी के NDA में जाने पर बोलीं सपा की कैराना प्रत्याशी इकरा हसन

इकरा हसन ने आज तक से खास बातचीत में कहा,'जयंत चौधरी का INDIA ब्लॉक से अलग होना झटका जरूर है, लेकिन इससे ब्लॉक को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. जयंत ओर बीजेपी नेचुरल अलायंस नहीं हैं. लेकिन फिर भी किसी दबाव में उन्हें (जयंत चौधरी) को साथ जाना पड़ा.'

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इकरा हसन/जयंत चौधरी (File Photo)
इकरा हसन/जयंत चौधरी (File Photo)

उत्तर प्रदेश के कैराना से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार इकरा हसन ने जयंत चौधरी को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि जयंत चौधरी लौटकर यहीं (विपक्ष के पास) आएंगे. उन्होंने आगे कहा,'जयंत के साथ कुछ मजबूरियां रही होंगी, कोई तबाव रहा होगा. इसलिए वह एनडीए में शामिल हुए हैं.'

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इकरा हसन ने आज तक से खास बातचीत में कहा,'जयंत चौधरी का INDIA ब्लॉक से अलग होना झटका जरूर है, लेकिन इससे ब्लॉक को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. जयंत ओर बीजेपी नेचुरल अलायंस नहीं हैं. लेकिन फिर भी किसी दबाव में उन्हें (जयंत चौधरी) को साथ जाना पड़ा.'

कैराना को बदनाम करने का आरोप

कैराना का जिक्र करते हुए इकरा ने कहा,'कैराना को गलत कारणों से बदनाम किया गया. बीजेपी ने जिस तरीके से कैराना को लेकर प्रोपेगेंडा चलाया, उससे हमारे क्षेत्र का बहुत नुकसान हुआ. हालांकि, हमारे लोगों ने 2017 और 2022 में बीजेपी को हराकर इसका जवाब दे दिया था. ध्रुवीकरण कर कैराना की एक अलग इमेज बनाई गई. अगर मुजफ्फरनगर में दंगे हुए तो भी हमारा जिला बहुत शांतिपूर्ण रहा. यहां लोगों ने दंगे में सबकी मदद की.'

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'दलों का मेल हुआ, दिलों का नहीं'

बीजेपी पर आरोप लगाते हुए इकरा ने कहा कि बीजेपी ने कैराना में पलायन के मुद्दे को देशभर में खूब भुनाया, चित्रकूट तक यहां के पोस्टर  लगाए गए. लेकिन इसमें वह हार गई. जयंत चौधरी को लेकर बात करते हुए इकरा ने कहा,'जयंत बड़े नेता हैं. हमारे परिवार से उनका बहुत पुराना और गहरा रिश्ता रहा है. कुछ भी होता है तो हम जयंत चौधरी की तरफ देखते हैं, जयंत के जाने से हमें नुकसान तो नहीं होगा. लेकिन जाने की बात जानकर झटका जरूर लगा है. जयंत चले तो गए हैं, लेकिन वहां दलों का मेल हुआ है दिलों का नहीं.

कैराना हिन्दू-मुस्लिम गूजर बहुल इलाका

बता दें कि कैराना हिन्दू और मुसलमान गूजर बहुल माना जाता है. सपा ने यहां से इकरा हसन को अपना उम्मीदवार बनाया है तो वहीं, बीजेपी ने प्रदीप चौधरी को. दोनों गूजर हैं, लेकिन अब यहां की सियासत में बिरादरी से बड़ा धर्म का झोल है. कैराना लोकसभा में 5 विधानसभा मौजूद हैं. जिसमें कैराना, शामली, थाना भवन नुकुड और गंगोह विधानसभा सीट है. कैराना लोकसभा में जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. जिनकी संख्या करीब 5:45 लाख के आसपास है. उसके बाद दलित वर्ग के तकरीबन ढाई लाख वोटर हैं. कैराना में तकरीबन ढाई लाख के आसपास जाट वोटर हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस दौरान यहां पर भाजपा कैंडिडेट ने करीब 75000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी.

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