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अकाली दल ने बिगाड़ दिया खडूर साहिब से खालिस्तानी अमृतपाल का खेल? पिता बोले- ये ऐतिहासिक गलती होगी

खालिस्तानी अलगाववादी और वारिस पंजाब दे प्रमुख अमृतपाल सिंह खडूर साहिब से चुनाव लड़ने की तैयारी में है. लेकिन यहां शिरोमणि अकाली दल ने उसका खेल खराब कर दिया है. अकाली दल के उम्मीदवार ने अमृतपाल के परिवार से मुलाकात की और तस्वीरें शेयर कर संदेश दे दिया कि उन्होंने अमृतपाल के परिवार से समर्थन हासिल कर लिया है. हालांकि, अमृतपाल का परिवार चुनाव लड़ने की बात पर अड़ा है. अमृतपाल सिंह फिलहाल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं.

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अकाली दल के उम्मीदवार ने अमृतसर में धरने पर बैठे अमृतपाल सिंह के परिवार से मुलाकात की.
अकाली दल के उम्मीदवार ने अमृतसर में धरने पर बैठे अमृतपाल सिंह के परिवार से मुलाकात की.

लोकसभा चुनाव का प्रचार जोर पकड़ गया है और पंजाब में सबसे आखिरी चरण में मतदान होना है. यहां खडूर साहिब सीट चर्चा में है. दरअसल, असम की डिब्रूगढ़ जेल में NSA के तहत बंद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की मां ने हफ्तेभर पहले ऐलान किया है कि उनका बेटा खडूर साहिब से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेगा. उसके बाद से राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई. सिमरनजीत सिंह मान के शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) ने खुलकर अमृतपाल को समर्थन देने का ऐलान किया तो अन्य पार्टियों की भी परेशानी बढ़ गई.

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इस बीच, सुखबीर सिंह बादल की पार्टी SAD और कांग्रेस समेत अन्य दलों ने यहां से अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. अकाली दल ने विरसा सिंह वल्टोहा को प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने मौजूदा सांसद जसवीर सिंह गिल का टिकट काट दिया है और खडूर साहिब में नए उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा को मैदान में उतारा है.

'शिअद का गढ़ मानी जाती है खडूर साहिब सीट'

ऐसे में खडूर साहिब की जंग रोचक हो गई है. 2008 में परसीमन के बाद यहां 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव हुए और दो चुनाव में बादल की पार्टी SAD ने जीत हासिल की. 2019 में कांग्रेस को जीत मिली. इससे पहले यह सीट तरनतारन का हिस्सा रही. परमीसन से ठीक पहले 2004 के चुनाव में भी शिअद को ही जीत मिली थी. यहां शिअद का खासा प्रभाव रहा है और इसे शिअद का गढ़ माना जाता है. हालांकि, इस चुनाव में शिअद के सामने यही बड़ी चुनौती है कि वो कांग्रेस के कब्जे से यह सीट वापस हासिल कर सके. खडूर साहिब लोकसभा सीट में जंडियाला, तरनतारन, खेम करण, पट्टी, खडूर साहिब, बाबा बकाला, कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी और जीरा समेत 9 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.

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'SAD से टिकट मिलते ही अमृतपाल के परिवार से मिले वल्टोहा'

इधर, सुखबीर सिंह बादल ने SAD से जिन विरसा सिंह वल्टोहा को उम्मीदवार बनाया है, वो टिकट घोषित होने के दूसरे दिन ही खालिस्तानी अमृतपाल सिंह के माता-पिता से मिलने पहुंचे और समर्थन मांगा. वल्टोहा ने सोमवार को स्वर्ण मंदिर के पास हेरिटेज स्ट्रीट में अमृतपाल सिंह के माता-पिता से मुलाकात की. यहां अमृतपाल का परिवार धरने पर बैठा है और बेटे को असम से पंजाब जेल ट्रांसफर किए जाने की मांग कर रहा है. अमृतपाल के वकील राजदेव सिंह खालसा के अनुसार, अमृतपाल 7 से 14 मई के बीच खडूर साहिब के लिए नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं. अमृतपाल को 23 अप्रैल 2023 को एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया था.

'अमृतपाल के परिवार से सहयोग का किया अनुरोध'

शिअद नेता वल्टोहा ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर किया है और लिखा, लोकसभा चुनाव के संबंध में अमृतपाल सिंह के परिवार के साथ चर्चा की. बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई. परिवार से इस चुनाव में सहयोग करने का अनुरोध किया. वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख अमृतपाल अपने 9 सहयोगियों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत असम के डिब्रूगढ़ की केंद्रीय जेल में बंद है. सूत्रों के मुताबिक, वल्टोहा ने अमृतपाल के माता-पिता, तरसेम सिंह और बलविंदर कौर से चुनाव में उनका समर्थन करने का अनुरोध किया. वल्टोहा शिअद के प्रवक्ता भी हैं. वे 2007 और 2012 में विधायक चुने गए. हालांकि, 2022 में वो खेम करण सीट से विधानसभा क्षेत्र हार गए थे.

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'अमृतपाल का समर्थन करें वल्टोहा'

वहीं, इस मुलाकात के बाद वल्टोहा और अमृतपाल का परिवार आमने-सामने आ गया है. अमृपाल के परिवार ने वल्टोहा को खुली चेतावनी दे डाली है. अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह ने अमृतसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा, इस सीट के लिए उनके बेटे के नाम की घोषणा चार दिन पहले की गई थी. वे (शिअद) अपना उम्मीदवार खड़ा करके ऐतिहासिक गलती कर रहे हैं. उन्होंने सुबह वल्टोहा से मुलाकात का जिक्र किया और कहा, शिअद उम्मीदवार ने हमसे कहा कि लोग अमृतपाल के खिलाफ चुनाव लड़ने पर सवाल कर रहे हैं. तरसेम सिंह ने कहा, हमने (वल्टोहा से) कहा कि यह लोगों का फैसला है (खडूर साहिब से अमृतपाल को मैदान में उतारना). यह पूछे जाने पर कि वल्टोहा ने दावा किया कि अमृतपाल के परिवार ने उन्हें चुनाव में समर्थन देने का आश्वासन दिया है, इस पर तरसेम सिंह ने कहा, हमने उन्हें ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि बल्कि वल्टोहा को चुनाव में अमृतपाल का समर्थन करना चाहिए.

'तो बढ़ जाएंगी अमृतपाल की मुश्किलें?'

फिलहाल, यह शिअद वापस कदम खींचने को तैयार नहीं है. अगर यहां सहमति नहीं बनती है तो अमृतपाल की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है. चूंकि शिअद का ग्रामीण सिख बहुल सीट पर खासा दबदबा है और पार्टी को लगातार यहां से जीत मिलती रही है. खडूर साहिब लोकसभा सीट को 'पंथिक' सीट कहा जाता है. ये 2008 में अस्तित्व में आई. 2009 में शिअद के रतन सिंह अजनाला सांसद बने और 2014 में अकाली उम्मीदवार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने यह सीट जीती.

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'सिमरनजीत ने किया अमृतपाल का समर्थन'

इससे पहले रविवार को संगरूर से सांसद सिमरनजीत मान के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) ने कहा कि वो अमृतपाल सिंह का समर्थन करेंगे. मान ने कहा कि अमृतपाल के नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद उनकी पार्टी इस सीट से अपना उम्मीदवार वापस ले लेगी. सिमरनजीत का कहना था कि अगर सरकार ने उन्हें चुनाव ना लड़ने दिया तो हम मजबूत अपना उम्मीदवार उतारेंगे. सिमरनजीत सिंह मान साल 2022 में संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में जीते थे. उन्होंने संगरूर में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) के किले को फतह किया था. उपचुनाव में मान ने AAP के गुरमेल सिंह को 6,070 वोटों से हराया। था. इससे पहले संगरूर सीट पर 2014 और 2019 के चुनाव में AAP के भगवंत मान ने जीत हासिल की थी. 2022 में भगवंत मान पंजाब के सीएम बने तो उन्हें संगरूर सीट छोड़नी पड़ी. उसके बाद लोकसभा के उपचुनाव हुए और सिमरनजीत सिंह ने इस सीट पर कब्जा कर लिया. 

'सभी दलों ने उतारे उम्मीदवार'

फिलहाल, खडूर साहिब की जंग में लड़ने वाले चेहरे भी तय हो गए हैं. वल्टोहा और अमृतपाल के अलावा आम आदमी पार्टी से लालजीत सिंह भुल्लर, बीजेपी से मंजीत सिंह मन्ना मियां विंड और कांग्रेस से कुलबीर सिंह जीरा मैदान में हैं. कांग्रेस के जसबीर सिंह डिम्पा वर्तमान सांसद हैं. शिरोमणि अकाली दल 1996 के बाद पहली बार अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहा है. इससे पहले वो बीजेपी के साथ अलायंस में चुनाव लड़ता आया है. बादल के नेतृत्व वाली पार्टी SAD ने साल 2020 में विवादित कृषि कानून के विरोध में एनडीए से अलायंस तोड़ लिया था. बीजेपी ने घोषणा की है कि वो पंजाब में अकेले आम चुनाव लड़ेगी.

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खडूर साहिब सीट पर एक जून को लोकसभा चुनाव में वोटिंग होनी है. पंजाब की सभी 13 सीटों पर सातवें चरण में चुनाव होने हैं. 

क्या चुनाव लड़ पाएंगे अमृतपाल, क्या कहता है कानून?

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों को किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है या उनकी सजा दो साल से कम है, वे जेल से चुनाव लड़ सकते हैं. यह पहली बार नहीं है जब जेल में बंद कोई व्यक्ति जेल से चुनाव लड़ेगा. खालिस्तानी नेता सिमरनजीत सिंह मान ने भी 1989 में जेल से लोकसभा चुनाव लड़ा था. वे और उनके तीन समर्थक चुनाव जीते थे. कानून कहता है कि जेल में बंद व्यक्ति जेल से अपना नामांकन दाखिल कर सकता है और अपने प्रतिनिधि के माध्यम से भेज सकता है. यदि वह चुनाव जीत जाता है तो उसे शपथ लेने के लिए जेल से रिहा किया जा सकता है. जेल के अंदर शपथ दिलाने का कोई प्रावधान नहीं है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62 (5) कहती है कि यदि कोई व्यक्ति पुलिस की कानूनी हिरासत में है या जेल में कैद है तो वह किसी भी चुनाव में मतदान नहीं कर सकता है. इस अधिनियम की धारा 3 निर्वाचक और मतदाता के बीच अंतर पैदा करती है.  2013 के एक संशोधन में यह प्रावधान है कि यदि किसी व्यक्ति को मतदान करने से रोक दिया जाता है तो भी वह मतदाता रहेगा. उसका नाम मतदाता सूची में होना चाहिए.

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भारतीय संविधान में विश्वास नहीं करते अमृतपाल

गिरफ्तारी से पहले अमृतपाल ने कहा था कि यह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है कि वो भारतीय संविधान में विश्वास करें या नहीं. उन्होंने कहा था, मैं भारतीय संविधान को तभी स्वीकार करूंगा जब यह मुझे स्वीकार करेगा. एक अन्य अलगाववादी नेता सिमरनजीत सिंह मान ने 2022 में संगरूर लोकसभा उपचुनाव जीता था. जुलाई 2023 में उन्होंने ईश्वर के नाम पर और संविधान की शपथ ली तो उन्होंने अपनी अलगाववादी भावनाओं को त्याग दिया. 

किस मामले में पकड़ा गया अमृतपाल?

अमृतपाल को एक महीने से ज्यादा समय तक चली तलाशी के बाद पिछले साल 23 अप्रैल को मोगा के रोडे गांव से गिरफ्तार किया गया था. खालिस्तान समर्थक पिछले साल मार्च में वाहन बदलकर और हुलिया बदलकर जालंधर जिले में पुलिस की गिरफ्त से भाग गया था. दरअसल, पंजाब पुलिस ने पिछले साल 23 फरवरी को अजनाला थाने में बवाल की घटना के बाद एक्शन लिया था. अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों को थाने के बाहर तलवारें और बंदूकें लहराते देखा गया था. ये लोग बैरिकेड तोड़ कर अमृतसर शहर के बाहरी इलाके में पुलिस स्टेशन में घुस गए थे और तीखी झड़प की थी. अमृतपाल अपने सहयोगी लवप्रीत सिंह तूफान की रिहाई को लेकर थाने का घेराव करने पहुंचे थे.

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