राजकोट सीट से भाजपा के उम्मीदवार परसोत्तम रूपाला के बयान के बाद क्षत्रिय समाज का विरोध अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा. क्षत्रिय समाज की संकलन समिति की ओर से दिए गए आह्वान के मुताबिक बुधवार से सौराष्ट्र के दो बड़े जिलों राजकोट और कच्छ में धर्म रथ की शुरुआत की गई. ये धर्मरथ अलग-अलग गांवों में घूमेंगे और भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे.
परसोत्तम रूपाला की उम्मीदवारी रद्द न करने के विरोध में क्षत्रिय समाज अब भाजपा के सामने मैदान में उतर गया है. परसोत्तम रूपाला बार-बार क्षत्रिय समाज से माफी मांग चुके हैं और समाज को राष्ट्रहित में भाजपा के साथ जुड़ने की अपील भी कर चुके हैं. फिर भी क्षत्रिय समाज उनकी एक बात सुनने को तैयार नहीं है.
बीजेपी ने क्षत्रिय नेताओं को दी बड़ी जिम्मेदारी
वहीं दूसरी ओर गुजरात सरकार के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी और भाजपा के संगठन महामंत्री रत्नाकर ने क्षत्रिय समुदाय प्रभावित 10 जिलों में डेमेज कंट्रोल के लिए बैठकें कीं. सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं ने पार्टी के क्षत्रिय नेताओं को यह जिम्मेदारी दी है कि चुनाव के दौरान कोई बड़ी घटना ना हो और साथ ही मतदान के वक्त समाज का ज्यादातर मतदान भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष में हो. इसके लिए सभी नेताओं को अपने-अपने क्षेत्र में काम पर लगने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि इस मसले पर सभी नेता मीडिया के समक्ष बात करने से इनकार कर रहे हैं.
युवाओं में दिख रहा बीजेपी के खिलाफ रोष
इस डैमेज कंट्रोल बैठक का मूल उद्देश्य समाज के विरोध को शांत करना और साथ ही बड़े नेताओं की जनसभाओं में कोई बड़ा विरोध ना हो इसके लिए समाज को समझाना था. भाजपा के सभी क्षत्रिय नेता अपने-अपने इलाकों में समाज के लोगों को समझाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं लेकिन युवाओं में अभी भी भाजपा के खिलाफ रोष दिख रहा है. ऐसे में गृह राज्य मंत्री और भाजपा के संगठन महामंत्री की डैमेज कंट्रोल की कोशिश कितनी सफल होती है यह आने वाले दिनों में पता चलेगा.