लोकसभा चुनाव के अंतिम दो चरणों का मतदान बाकी है. अंतिम दो चरणों में यूपी के पूर्वांचल की सीटों पर मतदान होना है. पूर्वांचल की ही वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं और इस बार भी वहीं से चुनाव मैदान में हैं. गोरखपुर भी यूपी के इसी क्षेत्र में आता है जो सीएम योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि रहा है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के देश और प्रदेश की सियासत के दो सबसे बड़े चेहरों का नाता जिस पूर्वांचल से है, उस इलाके का चुनाव सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है.
इन चरणों में बीजेपी और उसके सहयोगियों के बीच दोस्ती का भी 'इम्तिहान' भी होगा. एनडीए के घटक अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाले अपना दल (सोनेलाल), ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और संजय निषाद की निषाद पार्टी का प्रभाव भी इसी पूर्वांचल में है. अंतिम दो चरण के चुनाव में इन नेताओं के अपनी जाति के वोटबैंक पर पकड़ की भी परीक्षा होगी.
अंतिम दो चरणों में इनका इम्तिहान
लोकसभा चुनाव के अंतिम दो चरण बीजेपी के लिए 'दोस्ती के इम्तिहान' के साथ ही अपने सहयोगियों की शक्ति की पहचान करने के लिहाज से भी अहम है. साल 2014 के आम चुनाव से एनडीए की भरोसेमंद साथी अपना दल (एस ) की अनुप्रिया पटेल हों, अपने बयानों से सुर्ख़ियों में रहने वाले ओम प्रकाश राजभर हों या संजय निषाद जैसे सहयोगी या फिर उपचुनाव हारने के बाद भी योगी मंत्रिमंडल में मंत्री बनाए गए दारा सिंह चौहान हों, सबकी परीक्षा इन्हीं दो चरणों में ही होनी है.
इन सीटों पर होना है मतदान
लोकसभा चुनाव के अंतिम दो चरणों में इलाहाबाद, फूलपुर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, अम्बेडकरनगर, श्रावस्ती, बस्ती, संतकबीर नगर, डुमरियागंज, लालगंज, आज़मगढ़, जौनपुर, मछलीशहर, भदोही में 25 अप्रैल को मतदान होना है. वाराणसी, ग़ाज़ीपुर, बलिया, चंदौली, राबर्ट्सगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, मिर्ज़ापुर, घोसी, सलेमपुर में अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है. इनमें से ज़्यादातर वो सीटें हैं जिनके नतीजे बीजेपी और उसके गठबंधन सहयोगियों की दोस्ती का लिटमस टेस्ट माने जा रहे हैं. ये दल अपने समाज के वोट बीजेपी को ट्रांसफ़र कर पाते हैं कि नहीं, नतीजों से इसका भी पता चलेगा.
कुर्मी वोटरों के रुख से तय होगा अनुप्रिया का प्रभाव
अपना दल (एस) के साथ बीजेपी के रिश्ते अन्य सहयोगियों के मुकाबले अधिक सहज रहे हैं. अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल मंत्री होने के नाते बीजेपी के मंचों पर भी सबसे ज्यादा दिखाई पड़ती हैं. 14 मई को प्रधानमंत्री के नामांकन में एनडीए ने शक्ति प्रदर्शन किया था और उसमें अनुप्रिया भी थीं. जिन सीटों पर मतदान होना है उनमें करीब 12 सीटों पर कुर्मी मतदाता अच्छी तादाद में हैं.
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पिछले चुनाव के वोटिंग पैटर्न की बात करें तो कुर्मी वोटर किसी एक के साथ नहीं रहा है. विधानसभा चुनाव में सिराथु सीट से यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ चुनाव जीतने वाली अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी पटेल की जीत इसी ओर संकेत करती है. वहीं, कौशांबी, मिर्ज़ापुर जैसी सीट पर कुर्मी मतदाताओं ने अपना दल (एस) और बीजेपी के पक्ष में वोट किया था. ऐसे में अनुप्रिया पटेल की अपनी सीट मिर्जापुर के साथ ही अपना दल के खाते में गई दूसरी सीट रॉबर्ट्सगंज और फूलपुर, बस्ती, प्रतापगढ़ में भी कुर्मी वोटरों के रुख पर नजरें होंगी.
राजभर-निषाद की भी परीक्षा
एनडीए गठबंधन में 'कभी पास, कभी दूर' की स्थिति में रहने वाले सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर के अपने सजातीय वोट पर पकड़ की परीक्षा भी इन दो चरणों में होगी. राजभर मतदाता घोसी, लालगंज (सु), आजमगढ़, गाजीपुर में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. एनडीए में फिर से वापसी के बाद तमाम अगर-मगर, लंबे इंतजार के बाद ओम प्रकाश राजभर न सिर्फ योगी सरकार में मंत्री बनाए गए, बल्कि उन्हें भारी-भरकम विभाग भी दिया गया. अब राजभर के सामने घोसी से अपने बेटे अरविंद राजभर को जिताने, बाकी सीटों पर राजभर वोट बीजेपी को ट्रांसफर कराने की चुनौती है. घोसी से सपा ने राजीव राय के रूप में मजबूत उम्मीदवार उतारा है जिससे राजभर के लिए इस सीट पर लड़ाई आसान नहीं होगी.
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निषाद पार्टी के प्रमुख डॉक्टर संजय निषाद योगी कैबिनेट में मंत्री हैं. बीजेपी ने संजय निषाद के बेटे को संतकबीर नगर से चुनाव मैदान में उतारा है. इस चुनाव को संजय निषाद के लिए भी अपनी प्रासंगिकता साबित करने का चुनाव कहा जा रहा है. संजय किस तरह से निषाद वोट अपने सहयोगी बीजेपी को ट्रांसफर करते हैं, इसकी भी परख होगी. पूर्वांचल में नोनिया (चौहान) समाज के मतदाताओं की संख्या 3% के करीब है. बीजेपी ने दारा सिंह चौहान को फिर से वापस लिया और उपचुनाव में हार के बाद भी मंत्री बनाया तो इसके पीछे नोनिया वोट का ये गणित ही था. अंतिम चरण में बीजेपी के इस फैसले की भी परीक्षा है.