महाराष्ट्र (Maharashtra) की सतारा (Satara) लोकसभा सीट से एनसीपी (शरद पवार) कांग्रेस के दिग्गज नेता पृथ्वीराज चव्हाण को अपने साथ लेने की कोशिश में लगी हुई है. पृथ्वीराज चव्हाण सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. पहले तो पृथ्वीराज चव्हाण सतारा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए, लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि वह कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़ेंगे.
सतारा लोकसभा क्षेत्र मूल रूप से एनसीपी (शरद पवार) का है. मौजूदा सांसद श्रीनिवास पाटिल ने बताया कि वह स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. उनके बेटे सारंग चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी नेताओं के मुताबिक उन्हें पार्टी और निर्वाचन क्षेत्र में भी ऐसा कोई समर्थन नहीं है.
क्या NCP के हिस्से जाएगी भिवंडी सीट?
एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पृथ्वीराज चव्हाण के साथ इस मुद्दे पर गहन चर्चा की. अंतिम फैसले का ऐलान 3 अप्रैल को एनसीपी नेताओं के साथ आंतरिक बैठक के बाद किया जाएगा. एनसीपी भिवंडी से चुनाव लड़ने पर जोर दे रही है, यह सीट मूल रूप से कांग्रेस की है. सूत्रों के मुताबिक अगर पृथ्वीराज चव्हाण सतारा से चुनाव लड़ते हैं तो एनसीपी को बदले में भिवंडी मिलेगी.
बीजेपी ने अभी तक सतारा से कैंडिडेट का ऐलान नहीं किया है लेकिन उदयनराजे भोसले ने अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है. साल 2019 में उन्होंने एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और फिर 6 महीने बाद इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. उपचुनाव में वह एनसीपी के श्रीनिवास पाटिल से हार गए.
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अतीत पर एक नजर...
दिलचस्प बात यह है कि पृथ्वीराज चव्हाण 1999 में कराड निर्वाचन क्षेत्र से एनसीपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव हार गए थे. तब उन्हें एनसीपी के श्रीनिवास पाटिल ने हराया था. 1990 के दशक की शुरुआत में पृथ्वीराज चव्हाण के राजनीति में एंट्री लेने के बाद, वह हमेशा राज्य कांग्रेस में पवार विरोधी ग्रुप का हिस्सा थे. इसके अलावा पृथ्वीराज, कांग्रेस पार्टी आलाकमान (गांधी परिवार) के करीबी भी थे, जिनके साथ पवार के संबंध अच्छे नहीं थे.
जब नवंबर 2010 में पृथ्वीराज चव्हाण को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने के लिए दिल्ली से भेजा गया था, तो इसे राज्य में एनसीपी के बढ़ते दबदबे पर लगाम लगाने के लिए कांग्रेस आलाकमान द्वारा एक कोशिश के रूप में देखा गया था.