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महाराष्ट्र: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में DMK फैक्टर कैसे हो सकता है निर्णायक? समझिए

चुनाव विश्लेषकों के अनुसार, खैरलांजी नरसंहार की घटना का एक दशक से अधिक समय के बाद भी पश्चिमी विदर्भ के दलित मतदाताओं पर काफी प्रभाव है. विशेष रूप से अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को बौद्ध और गैर-बौद्ध उम्मीदवारों की तर्ज पर विभाजित किया गया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में DMK (दलित, मुस्लिम और कुनबी मराठा) फैक्टर निर्णायक हो सकता है. पूर्वी विदर्भ में लोकसभा चुनाव का पहला चरण पूरा होने के बाद सभी की निगाहें आठ निर्वाचन क्षेत्रों अकोला, अमरावती, बुलढाणा, वर्धा, यवतमाल-वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी पर टिकी हैं. यहां 26 अप्रैल को दूसरे चरण में मतदान है. इनमें से पांच सीटें पश्चिमी विदर्भ की हैं और तीन सीटें मराठवाड़ा में आती हैं. हालांकि, पश्चिमी विदर्भ की सीटों अमरावती, अकोला, बुलढाणा, वर्धा और यवतमाल-वाशिम के उम्मीदवारों के एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होने की संभावना रणनीतिक रूप से उनके जाति समीकरणों पर आधारित है.

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चुनाव विश्लेषकों के अनुसार, खैरलांजी नरसंहार की घटना का एक दशक से अधिक समय के बाद भी पश्चिमी विदर्भ के दलित मतदाताओं पर काफी प्रभाव है. विशेष रूप से अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को बौद्ध और गैर-बौद्ध उम्मीदवारों की तर्ज पर विभाजित किया गया है, जिसमें राकांपा के वरिष्ठ नेता अजीत पवार खेमे के शीर्ष नेता शामिल हैं.

नवनीत राणा के खिलाफ इनका मुकाबला
अमरावती सीट पर कांग्रेस ने अंबेडकरवादी सामाजिक कार्यकर्ता बलवंत वानखेड़े को मौजूदा सांसद नवनीत कौर राणा के खिलाफ उतारा है. वह हाल ही में भाजपा में शामिल हुई हैं. इसके अलावा, एनडीए के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के सहयोगी नेता बच्चू कडू की अध्यक्षता वाली प्रहार जनशक्ति पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले दिनेश बूब ने भाजपा उम्मीदवार नवनीत राणा के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठादिया है. इसी तरह, एकनाथ शिंदे गुट का प्रतिनिधित्व करने वाले अमरावती के पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल, नवनीत राणा के खिलाफ मुकाबले के लिए तैयार हैं.

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अकोला सीट पर क्या है समीकरण
अकोला सीट पर वंचित बहुजन अघाड़ी प्रमुख प्रकाश अंबेडकर की नजर मुस्लिम वोटों पर है, जो निर्वाचन क्षेत्र के कुल मतदाताओं का लगभग 20 प्रतिशत है. भाजपा से अनूप धोत्रे और कांग्रेस से अभय पाटिल, दोनों मराठा उम्मीदवार के बीच सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. इस बात की अधिक संभावना है कि मौजूदा सांसद संजय धोत्रे के बेटे अनूप धोत्रे को वंशवाद के लिए निशाना बनाया जा रहा है. वहीं अभय पाटिल की नजर कांग्रेस के प्रति वफादार पारंपरिक अल्पसंख्यक मतदाताओं पर होगी.

बुलढाणा और यवतमाल-वाशिम सीट
बुलढाणा और यवतमाल-वाशिम ऐसी दो सीटें हैं जहां शिवसेना में विभाजन के बाद पहली बार शिंदे सेना बनाम UBT सेना की चुनावी लड़ाई देखने को मिलेगी. बुलढाणा में एकनाथ शिंदे गुट का प्रतिनिधित्व करने वाले मौजूदा सांसद प्रतापराव जाधव को UBT सेना के नरेंद्र खेडेकर, पूर्व जिला परिषद प्रमुख और उद्धव के वफादार से चुनौती का सामना करना पड़ता है.

बंजारा और कुनबी समुदायों के प्रभुत्व वाली यवतमाल-वाशिम सीट पर भी पांच बार की सांसद, शिव सेना की भावना गवली को समर्थन मिला था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया और यूबीटी सेना के संजय देशमुख के खिलाफ राजश्री पाटिल को दे दिया गया. मुकाबला मराठा संजय देशमुख के खिलाफ ध्रुवीकरण कर रहे ओबीसी के कुनबी उम्मीदवार के बीच होने की उम्मीद है.

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जबकि वर्धा सीट पर बीजेपी के मौजूदा सांसद रामदास तड़स अपनी हैट्रिक जीत पूरी करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. लेकिन कांग्रेस से राकांपा शरद पवार खेमे में लाए गए तीन बार के विधायक अमर काले का मुकाबला भाजपा के ताड़स से है.

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