उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद से मायावती और बसपा पर बीजेपी की B टीम होने का तमगा लगा हुआ है. इस बात की चर्चा होती रही है कि मायावती पर्दे के पीछे से बीजेपी की मदद करती हैं. फिर चाहे अलग-अलग चुनावों में ऐसे प्रत्याशी उतारना हो, जिससे विपक्षी दलों को नुकसान तो हो, लेकिन बीजेपी का फायदा हो. या फिर समय-समय पर सरकार की कुछ नीतियों और फैसलों पर सहमति जताना हो. मायावती राजनीति की माहिर और पुरानी खिलाड़ी हैं. वह राजनीति में कब क्या करेंगी, यह कोई नहीं जानता.
इस बार के लोकसभा चुनाव में भी मायावती कुछ ऐसा ही करती नजर आ रही हैं, जिसकी भनक ना विपक्ष को थी और ना ही बीजेपी को. यूपी में मायावती ने 2024 की लड़ाई को बेहद दिलचस्प बना दिया है. बसपा ने बीजेपी की B टीम के तमगे को दूर करने का पूरी तरह से मन बना लिया है. आलम यह है कि हाल ही में आई बीएसपी प्रत्याशियों की लिस्ट ने सपा और कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी का भी कई सीटों पर खेल बिगाड़ दिया है. जौनपुर, मेरठ, मैनपुरी, बस्ती, बंदायू, आजमगढ़ समेत तमाम ऐसी सीटें हैं, जहां बसपा सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ-साथ बीजेपी की राह में कांटा साबित हो रही है.
जौनपुर सीट पर बसपा ने धनंजय सिंह की पत्नी को उतारा
जौनपुर लोकसभा सीट का पिछला चुनाव भाजपा बसपा के हाथों हार गई थी. इस चुनाव को निकालने के लिए भाजपा ने कृपा शंकर सिंह को टिकट दिया, जो महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे और मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी ने मास्टर स्ट्रोक चलते हुए मायावती सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा को यहां से उतारा है. यह वही बाबू सिंह कुशवाहा हैं जो एक वक्त में मायावती के 'आंख, कान' होते थे. कहानी में ट्विस्ट तब आया जब मायावती ने जौनपुर सीट से बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को टिकट दे दिया. धनंजय सिंह ठाकुर समाज से बाते हैं और फिलहाल जेल में हैं.
मैनपुरी सीट पर सपा का पलड़ा भारी था, ऐसे में मायावती ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. पहले यहां से गुलशन शाक्य को बसपा का टिकट मिला था, अब पार्टी ने पूर्व विधायक शिव प्रसाद यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है. वह घोसी यादव बिरादरी से आते हैं और 2007 में भरथना से विधायक रह चुके हैं. वह यादव वोटों में सेंध लगाकर समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. मेरठ में बीजेपी ने अपने सिटिंग सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर मशहूर टीवी सीरियल रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है.
मेरठ में त्यागी कार्ड खेल मायावती ने बढ़ाई BJP की चुनौती
भाजपा त्यागी समाज को अपने समर्थन में मनाती रही है. अब मायावती ने मेरठ में देवव्रत त्यागी को प्रत्याशी बनाकर भाजपा के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की चाल चली है और उसे मुश्किल में डाल दिया है. आजमगढ़ में अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव सपा की तरफ से चुनावी मैदान में है, तो भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ को उतारा है. इस सीट पर राजभर मतदाताओं की अच्छी तादाद है और बीजेपी का ओमप्रकाश राजभर से गठबंधन उसके लिए बढ़त के रूप में माना जा रहा था.
लेकिन अब मायावती ने अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को आजमगढ़ से उतरकर बीजेपी और सपा के लिए चुनौती खड़ी कर दी है. बस्ती में बीजेपी ने अपने सिटिंग सांसद हरीश द्विवेदी को फिर टिकट दिया है. बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मण समाज के ही दयाशंकर मिश्र को टिकट देकर भाजपा की राह में कांटे डाल दिए हैं. समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर यहां से रामप्रसाद चौधरी को मैदान में उतारा है, जो मायावती सरकार में मंत्री रह चुके हैं और बसपा सुप्रीमो के करीबियों में इनकी गिनती होती थी.
बदायूं में BSP के 'मुस्लिम' बढ़ाएंगे आदित्य यादव की मुश्किलें
बदायूं में सपा ने शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को टिकट दिया है. उनके लिए चुनाव पहले ही मुश्किल था, अब बसपा ने यहां से मुस्लिम खां को उतारकर सपा की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. बदायूं में यादव और मुस्लिम वोटर मिलकर 50% हो जाते हैं. इसी तरह बरेली सीट पर मास्टर छोटेलाल गंगवार को उम्मीदवार बनाकर बसपा ने लड़ाई त्रिकोणीय बना दी है. बीजेपी ने यहां से पूर्व मंत्री छत्रपाल गंगवार और सपा ने पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने को टिकट दिया है.
BSP ने UP में अब तक 25% टिकट मुस्लिम प्रत्याशियों को दिए
यूपी की आबादी में मुसलमानों की करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी है. बसपा ने मुस्लिम वोट बैंक को साधने की भरपूर कोशिश की है. बसपा ने अब तक 55 उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें से 14 मुस्लिम हैं. कुल मिलाकर बसपा अब तक 25.45 प्रतिशत टिकट मुसलमानों को दे चुकी है और अभी उसे 25 और सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा करनी है. यूपी में सपा और कांग्रेस गठबंधन ने अब तक घोषित 72 उम्मीदवारों में से 7 ही टिकट मुसलमानों को दिए हैं. बसपा के लिए इस चुनाव में समीकरण बदल रहे हैं और इंडिया गुट द्वारा मायावती को बीजेपी की B टीम कहना सियासी शरारत से ज्यादा कुछ और नजर नहीं आता.