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लोकसभा चुनाव: ED-CBI का दुरुपयोग, किसानों की मांगें, राज्य-केंद्र विवाद... पंजाब में हावी रहेंगे ये मुद्दे

पंजाब कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि एनआईए के छापे के अलावा ईडी, सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों और नागरिक (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कथित दुरुपयोग जैसे कई अन्य मुद्दे भी चुनाव परिदृश्य पर हावी रहेंगे. आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि वे 8000 करोड़ रुपये के ग्रामीण विकास फंड को रोककर पंजाब की अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ने की केंद्र सरकार की 'जानबूझकर की गई कोशिश' का अपने इलेक्शन कैम्पेन के दौरान पर्दाफाश करेंगे.

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पंजाब में लोकसभा चुनाव के दौरान किसान आंदोलन, केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग जैसे मुद्दे हावी रहेंगे. (ANI Photo)
पंजाब में लोकसभा चुनाव के दौरान किसान आंदोलन, केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग जैसे मुद्दे हावी रहेंगे. (ANI Photo)

लोकसभा चुनाव में एक-दूसरे से आगे निकलने के लिए राजनीतिक दल ऐसे मुद्दों पर मंथन करने में लगे हुए हैं, जिन्हें वे अपने प्रचार अभियान में उठा सकें. इस बार सीमावर्ती राज्य पंजाब में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का मिश्रण देखा जा रहा है. भाजपा को घेरने के लिए प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी द्वारा उठाया जा रहा सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा स्पष्ट रूप से किसान आंदोलन है. साथ ही, पंजाब के अधिकांश मतदाता ग्रामीण इलाकों में रहते हैं और खेती-किसानी से जुड़े हैं. 

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संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के बैनर तले आंदोलन कर रहे किसान संगठनों में मुख्य रूप से बीकेयू (डल्लेवाल) और किसान मजदूर मोर्चा सहित पंजाब स्थित दो किसान संघ शामिल हैं, जो सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं. किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए 10,000 रुपये मासिक पेंशन, लखीमपुर खीरी घटना के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के अलावा अन्य मांगें भी शामिल हैं.

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भाजपा अपने बचाव में कह रही है कि केंद्र सरकार ने दालों, मक्का और कपास सहित पांच फसलों को खरीदने के लिए पांच साल के अनुबंध की पेशकश की थी. लेकिन किसान संगठन मुद्दे का समाधान नहीं चाहते. पार्टी नेताओं ने पंजाब में नहीं उगाई जाने वाली फसलों के लिए एमएसपी की मांग पर भी सवाल उठाया था. हालांकि, सरकार की पेशकश को प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों ने अस्वीकार कर दिया था. कांग्रेस के अलावा, आम आदमी पार्टी ने भी पंजाब और हरियाणा में किसानों के विरोध को चुनावी मुद्दा बनाने का फैसला किया है.

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कांग्रेस केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, किसानों का मुद्दा उठा रही

पंजाब कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि एनआईए के छापे के अलावा ईडी, सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों और नागरिक (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कथित दुरुपयोग जैसे कई अन्य मुद्दे भी चुनाव परिदृश्य पर हावी रहेंगे. कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, 'पंजाब में एनआईए की छापेमारी आम बातहो गई है. हालांकि सबसे बड़ा मुद्दा किसानों का है. पंजाब के किसानों को एक कच्चा सौदा दिया गया है. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें विशेष रूप से C2+50% फॉर्म्युला लागू नहीं किया गया है. आपने यह वादा किया था लेकिन समिति की कोई बैठक नहीं हुई. न तो किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए गए हैं और न ही विरोध प्रदर्शन के दौरान मरने वाले किसानों को मुआवजा दिया गया है.'

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कांग्रेस नेता कहते हैं, दूसरा बड़ा मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार का बंद होना है, जिसने पंजाब की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में सभी सीमाएं और बंदरगाह खुले हैं, केवल अटारी सीमा व्यापार के लिए बंद है. कांग्रेस के अलावा, व्यापार संगठनों ने भी मांग की है कि अटारी सीमा पर इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट को खोलकर दोनों देशों के बीच व्यापार मार्ग को सक्रिय किया जाए. यहां यह उल्लेखनीय है कि 2019 में सरकार द्वारा कश्मीर के संबंध में संवैधानिक बदलाव (अनुच्छेद 370 रद्द करना) के बाद पाकिस्तान की ओर से भारत विरोधी स्टैंड लेने के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार प्रभावित हुआ.

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AAP ₹8000 करोड़ के ग्रामीण विकास फंड को मुद्दा बना रही

आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि वे 8000 करोड़ रुपये के ग्रामीण विकास फंड को रोककर पंजाब की अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ने की केंद्र सरकार की 'जानबूझकर की गई कोशिश' का अपने इलेक्शन कैम्पेन के दौरान पर्दाफाश करेंगे. AAP के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने कहा, 'पिछले साल 11000 करोड़ रुपये की केंद्रीय योजनाएं आवंटित की गई थीं, जिनमें से 7000 करोड़ रुपये की धनराशि का इस्तेमाल नहीं हो सका. 8000 करोड़ रुपये की ग्रामीण विकास निधि रोक दी गई है. पंजाब की ग्रामीण अर्थव्यवस्था बाधित हुई है.'

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AAP और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पंजाब में जवान और किसान दोनों दुखी हैं. भारतीय सेना में पंजाब के जवानों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन केंद्र ने अग्निवीर भर्ती योजना लागू करके नियमित भर्ती बंद कर दी. किसानों, राज्य-केंद्र विवाद और भारत-पाकिस्तान व्यापार मुद्दों के अलावा, अन्य मुद्दे जो पंजाब में लोकसभा चुनावों को प्रभावित करेंगे, वे हैं 'बंदी सिख' कहे जाने वाले पूर्व खालिस्तानी आतंकवादियों को रिहा करने की मांग, जिन्होंने अपनी जेल की सजा पूरी कर ली है. शिरोमणि अकाली दल ने इसे चुनावी मुद्दा बनाने का ऐलान किया है.

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BJP का भरोसा मोदी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों पर

इस बीच, भाजपा पिछले दस वर्षों के दौरान राज्य में मोदी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों पर भरोसा कर रही है. भाजपा अन्य मुद्दों के अलावा अधूरे चुनावी वादों, भ्रष्टाचार, बढ़ते कर्ज और बिगड़ती कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर AAP को घेर सकती है. सिख विरोधी दंगे कांग्रेस को परेशान करते रहेंगे. शिरोमणि अकाली दल को अपने शासन के दौरान बेअदबी और माफियाओं के कथित संरक्षण के मुद्दों का सामना करना पड़ेगा. पंजाब बीजेपी चीफ सुनील जाखड़ ने कहा, 'पंजाब में इन दिनों कोई भी सुरक्षित महसूस नहीं करता है. अगर कोई सुरक्षित महसूस कर रहा है, तो वे गैंगस्टर हैं जो जेलों से काम कर रहे हैं. हमने पंजाब के किसानों द्वारा उत्पादित हर फसल को एमएसपी पर खरीदा है. AAP और कांग्रेस राजनीतिक लाभ पाने के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन की साजिश रच रहे हैं.

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